कुछ महीनों पहले जब स्वेज नहर में ब्लॉकेज हुआ था तब दुनिया भर में सप्लाई चेन लगभग रुक सी गयी थी। अब चीन भी इसी तरह के एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। दक्षिणी चीन में सबसे व्यस्त बंदरगाह पर जाम लग चुका है जिससे शिपिंग बैकलॉग कई गुना बढ़ रहा है। इस ब्लॉकेज को क्लियर होने में महीनों लग जायेंगे। इइस कारण चीन की एक बड़ी महत्वाकांक्षा को झटका लगा है। चीन कोरोना की दूसरी लहर का फायदा उठा कर भारत से बिजनेस चुराना चाहता था, पर अब उसे ही संकट का सामना करना पड़ रहा है। वास्तव में देखा जाये तो विश्व को एक बार भी यह एहसास होने जा रहा है कि चीन जैसी गैर-जिम्मेदार और सत्तावादी शक्ति के साथ व्यापार करने का क्या खतरा होता है।
दरअसल, जब से दक्षिणी चीन में कोरोनावायरस का प्रकोप बढ़ा है तब से उस क्षेत्र में लॉकडाउन लगा हुआ है। इसी कारण बंदरगाहों पर कंटेनर शिपिंग का जाम लग चुका इससे चीनी व्यापार को काफी नुकसान हो रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार Guangdong प्रांत में 150 नए वुहान वायरस के मामले दर्ज किए गए हैं, जो चीन के लिए एक प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग और exporting powerhouse के रूप में जाना जाता है।
Guangdong के प्रमुख बंदरगाहों जैसे Yantian, Shekou, Chiwan और Nansha ने इस सप्ताह नोटिस जारी किए और जहाजों को बिना एडवांस रिजर्वेशन के बंदरगाहों में प्रवेश करने से निलंबित कर दिया। साथ ही, ये बंदरगाह केवल जहाजों के आने से तीन से सात दिनों के भीतर export-bound containers के लिए बुकिंग स्वीकार करेंगे।
इस बीच, प्रमुख शिपिंग कंपनियों ने भी जहाज में देरी, पोर्ट कॉल शेड्यूल में बदलाव करने और यहां तक कि कुछ बंदरगाहों को पूरी तरह से छोड़ने की संभावना की चेतावनी दी है।
ओशन नेटवर्क एक्सप्रेस (ONE) ने 9 जून को एक नोटिस जारी किया था जिसमें कहा गया था कि दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट Yantian International Container Terminal क्षमता से कम काम कर रहा है। दूसरी ओर, Shekou और Chiwan कंटेनर टर्मिनलों पर भीड़ बढ़ कर क्षमता से 90 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
Danish consultancy Vespucci Maritime के CEO Lars Jensen के हालिया अनुमान के अनुसार, पिछले महीने मई के अंत में जब कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लगा था तब से अकेले Yantian में बैकलॉग लगभग 357,000 छह-मीटर कंटेनर का लोड हो गया है। मार्च में स्वेज नहर के छह दिनों तक बंद होने से जितना प्रभावित व्यापार हुआ था उससे कहीं अधिक अकेले Yantian में बैकलॉग है।
Refinitiv डेटा से पता चला है कि शुक्रवार तक, 50 से अधिक कंटेनर जहाज Outer Pearl River Delta में डॉक करने की प्रतीक्षा कर रहे थे, जहां कुछ सबसे व्यस्त चीनी बंदरगाह स्थित हैं।
चीन का दावा है कि जून के अंत तक Yantian और अन्य कंटेनर बंदरगाहों पर बैकलॉग सामान्य रूप से काम करना शुरू कर देगा। लेकिन हकीकत यह है कि दक्षिणी चीन में चल रहे शिपिंग कंजेशन से पैदा हुआ संकट कई महीनों तक जारी रहने वाला है।
चीन के शिपिंग संकट का असर वैश्विक सप्लाई चेन में महसूस किया जा रहा है। पिछले साल भी, जब चीन वुहान वायरस की चपेट में था, कम्युनिस्ट राष्ट्र में प्रतिबंधों के कारण वैश्विक सप्लाई चेन प्रभावित हुई थी।
उस समय, विश्व के देशों ने चीन से अपने सप्लाई चेन दूर करने के बारे में सोचा था, लेकिन अंततः सभी देशों ने चीन के साथ फिर से व्यापार करना शुरू कर दिया। अब फिर से हालात वही होने वाले हैं।
वहीं, दूसरी ओर चीन की योजनाएं भी धराशायी हो रही हैं। जब भारत कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आया, तो चीन ने जश्न मनाना शुरू कर दिया था। उसे लगा था कि अब वो उन कंपनियों को सबक सिखा सकता है जो अपनी मैन्युफैक्चरिंग भारत में ले जा रहे थे। बीजिंग ने इस तथ्य का जश्न मनाया कि वह अब कंपनियों को भारत से बाहर निकाल सकता है और उनके बिजनेस को वापस चीन में ले जा सकता है।
जब भारत दूसरी लहर का सामना कर रहा था, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) भारत का मज़ाक उड़ा रही थी। एक शीर्ष चीनी law enforcement body ने भारत का मजाक उड़ाने के लिए श्मशान के साथ एक चीनी अंतरिक्ष प्रक्षेपण की तस्वीर भी पोस्ट की थी।
यह विडम्बना ही है कि चीनी सरकार भारत में होने वाली उन मौतों पर जश्न मनाने की कोशिश कर रही थी, जो वुहान में उत्पन्न एक चीनी वायरस के कारण हुई थी। लेकिन समय सबसे बलवान होता है और अब चीन के सबसे व्यस्त बंदरगाह बंद होने जा रहे हैं।
भारत की दुर्दशा पर अपना फायदा चाहने वाले चीन की योजना पूरी तरह से उलटी पड़ गई है। चीन में container congestion crisis पहले से ही बीमार चीनी अर्थव्यवस्था को और अधिक प्रभावित करने वाला है।
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चीनी अर्थव्यवस्था पहले से ही राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खराब मैनेजमेंट के कारण डांवाडोल स्थिति में है। चीन की अर्थव्यवस्था पर कर्ज का संकट मंडरा रहा है क्योंकि इसकी कई प्रमुख निजी कंपनियां, State-owned enterprises और क्षेत्रीय बैंक डिफाल्ट कर रहे हैं। साथ ही अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ ट्रेड वार पहले से ही कम्युनिस्ट राष्ट्र को तबाह कर रहा है।
जहां तक चीन का संबंध है, दक्षिणी चीन में यह कंटेनर संकट ताबूत में आखिरी कील साबित हो सकता है। विश्व को यह समझना चाहिए कि चीन से दूर रहने में ही उनकी भलाई है और अपनी सप्लाई चेन को इस देश पर केंद्रित नहीं करना चाहिए।