देश के सबसे शिक्षित राज्य के लोग शराब की दुकान पर लम्बी लम्बी कतारों में खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। हम केरल की बात कर रहे हैं जहाँ दो माह के लॉकडाउन के बाद अंततः कोरोना प्रतिबंध में ढील मिलनी शुरू हुई तो शराब की दुकान पर लम्बी कतार लग गई। सरकार द्वारा संचालित Kerala State Beverages Corporation (BevCo) के अधीन आने वाली सभी शराब की दुकानों और बार में भीड़ बढ़ गई है।
केरल में कई स्थानों पर लम्बी कतारें कई सौ मीटर तक लग रही हैं। 65 वर्षीय एक व्यक्ति ने कहा “मेरे लिए ये बहुत मुश्किल था क्योंकि मेरे पास शराब का स्टॉक खत्म हो गया था, लेकिन आज मैं अपने स्टॉक को लेने के लिए लाइन में खड़ा हूँ और बहुत ताजा महसूस कर रहा हूँ।” लोग बाकायदा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कर रहे थे।
सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करने के बारे में टिप्पणी करते हुए एक युवा ने कहा कि “हम किसी प्रकार की अफरा तफरी नहीं कर रहे हैं। हम किसी के लिए कोई समस्या नहीं पैदा करेंगे लेकिन हम प्रशासन से यही अनुरोध करते हैं कि शराब की दुकान शनिवार और रविवार को भी बंद न की जाएं, जो कि (बन्दी) हो रहा है। यह एक गलत निर्णय है।” युवक की बात पढ़कर यही लगता है कि केरल के युवकों में शनिवार और रविवार को शराब की दुकान बंद करने को लेकर खासी नाराजगी है।
बहरहाल स्थानीय मीडिया का कहना है कि शराब की दुकानों के खुलने पर पहले दिन ही 72 करोड़ रुपये की शराब बिकी है। सरकारी बिक्री के अलावा शराब को बेचने के लिए एक और संस्थान है। Consumerfed नामक के केरल में कार्यरत उपभोक्ताओं के ही संगठन ने भी पहले दिन 8 करोड़ की शराब बेची है। इसमें अभी बार के आंकड़े नहीं शामिल हैं, नहीं तो कुल बिक्री में कुछ करोड़ रुपये की और वृद्धि हो जाती।
देवभूमि के नाम से विख्यात केरल में सांस्कृतिक परिवर्तन किस प्रकार हो चुका है, यह साफ देखा जा सकता है। केरल की भूमि सनातन संस्कृति की उस समय रक्षक बनी थी, जिस समय उत्तर में मुस्लिम आक्रांताओं के अत्याचारों से सनातन संस्कृति का दिनो-दिन क्षय हो रहा था, लेकिन आज ईसाईयों के बाहुल्य ने शराब को और मुसलमानों के बाहुल्य ने गौमांस भक्षण को केरल की संस्कृति का भाग बना दिया है।