एक समय में देश की सबसे बड़ी एयर लाइन कंपनी रहने वाली जेट एयरवेज एक बार फिर से शुरू होने जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) की मुंबई बेंच ने दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही जेट एयरवेज के लिए ब्रिटेन स्थित कालरॉक कैपिटल और यूएई स्थित उद्यमी मुरारी लाल कंसोर्टियम के रेजोल्यूशन प्लान को मंजूरी दे दी है। हालांकि इस मंजूरी के साथ कुछ शर्तें भी जुड़ी हुई हैं।
कंपनी द्वारा समय पर कर्ज चुकाने में विफल रहने के बाद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व में कंपनी के कर्जदाताओं की समिति (COC) ने दिवालिया प्रक्रिया की अनुमति मांगी थी। NCLT की मुंबई पीठ ने मंगलवार को समाधान योजना को अनुमोदन देते हुए कहा है कि यह 90 दिनों के भीतर अमल में आ जानी चाहिए।
CNBC-TV18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जेट एयरवेज को स्लॉट मुहैया कराने के लिए डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) और मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन (MCA) को 22 जून से 90 दिनों का वक्त दिया गया है। कंपनी के स्लॉट पर सिविल एविएशन रेगुलेटर आखिरी फैसला लेगा। जेट एयरवेज के इंसॉल्वेंसी रिज्योलूशन प्रोफेशनल (IRP) आशीष छावछरिया ने बताया कि वह NCLT के फैसले से खुश हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की कोई वजह नहीं है कि DGCA अब NCLT के फैसले को चुनौती देगा।
बता दें कि एक समय 120 हवाई जहाजों का बेड़ा रखने वाले और दर्जनों घरेलू व सिंगापुर, लंदन और दुबई जैसे स्थानों पर इंटरनेशनल फ्लाइट संचालित करने वाले जेट एयरवेज को अप्रैल 2019 में अपनी सभी उड़ानें बंद करने को मजबूर होना पड़ा था। उस वक्त कंपनी के पास जो स्लॉट थे वह दूसरी एयरलाइन कंपनियों को अलॉट कर दिया गया था।
प्रतिद्वंद्वी एयरलाइन कंपनियों की फ्लाइट्स की कम कीमत के कारण इसे भारी घाटा उठाना पड़ा था। विमानों का परिचालन रुकने के समय एयरलाइन के ऊपर लगभग 30 हजार करोड़ रुपये के कर्ज के दावे किये जा चुके थे।
मार्च 2019 में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने बकाया का भुगतान न करने का हवाला देते हुए एयरलाइन को ईंधन की आपूर्ति भी बंद कर दी थी।
इसके बाद Lenders से 400 करोड़ रुपये के आपातकालीन फंडिंग को अस्वीकार किये जाने के बाद 17 अप्रैल 2019 को, एयरलाइन ने सभी उड़ान संचालन को निलंबित कर दिया। यही नहीं इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) में इसकी सदस्यता निलंबित कर दी गई थी।
जून 2019 में, जेट एयरवेज के ऋणदाताओं ने insolvency and bankruptcy code (IBC) के तहत कंपनी के समाधान के लिए मामला राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) को रेफर करने का निर्णय लिया।
जेट एयरवेज छह महीने में परिचालन शुरू कर सकता है
अक्टूबर 2020 में, मुरारी लाल जालान और कलरॉक कैपिटल के नेतृत्व में एक कंसोर्टियम ने कई राउंड के बाद जेट एयरवेज के लिए बिडिंग यानी बोली हासिल की। इसके बाद जेट एयरवेज के दोबारा उड़ने की उम्मीद शुरू हुई।
रिपोर्ट के अनुसार जेट एयरवेज के कुछ प्रमुख ऋणदाता एसबीआई, यस बैंक, आईडीबीआई बैंक और केनरा बैंक हैं। SBI के तहत आने वाले 13 घरेलू बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 5,776 करोड़ रुपये का दावा किया था।
माना जाता है कि कलरॉक-जालान कंसोर्टियम ने जेट एयरवेज के वित्तीय लेनदारों, कर्मचारियों और अन्य कर्मचारियों को पांच साल की अवधि में पुनर्भुगतान के रूप में 1,183 करोड़ रुपये की पेशकश की है। इसने वित्तीय लेनदारों को जेट एयरवेज में लगभग 9.5 प्रतिशत हिस्सेदारी और जेट प्रिविलेज में 7.5 प्रतिशत हिस्सेदारी की भी पेशकश की है।
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कैलरॉक-जालान कंसोर्टियम ने अगले पांच वर्ष में बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और कर्मचारियों को 1200 करोड़ रुपये के भुगतान का प्रस्ताव रखा है, इसकी 30 विमानों के साथ जेट एयरवेज की फुल सर्विस एयरलाइन के तौर पर स्थापित करने की योजना है।
Insolvency and bankruptcy code के तहत यह समाधान प्रक्रिया पिछले दो वर्षों से चल रही है, लेकिन अब NCLT की मंजूरी एयरलाइन के लिए आशा की एक किरण लेकर आई है, जो छह महीने के भीतर परिचालन फिर से शुरू कर सकता है।
यानी एक समय में देश की शान रानी जेट एयरवेज एक बार फिर उड़ान भरने को तैयार है। एक तरह से देखा जाये तो यह IBC के कारण ही संभव हो पाया है। जेट एयरवेज को दोबारा से शुरू करना IBC यानी insolvency and bankruptcy code की भी जीत मानी जानी चाहिए।