उत्तर भारत में अपना वर्चस्व स्थापित करने के बाद अब भाजप की नजर भारत के दक्षिणी हिस्से पर जा टिकी है, जिसका सबसे ताजा उदाहरण है पुडुचेरी में सरकार बनना। बीजेपी के इस प्रयास को एक और मजबूत बल मिलने वाला है और वो भी तेलंगाना में। दरअसल, तेलंगाना के विधायक ईटेला राजेंद्र (Etela Rajender) ने शुक्रवार को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और उनकी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के साथ अपने दो दशक के जुड़ाव को समाप्त कर दिया। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि राजेंद्र भाजपा से जुड़ सकते हैं।
बता दें कि ईटेला राजेंद्र (Etela Rajender) को आधारहीन कारण की वजह से कैबिनेट के पद से बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के बाद राजेंद्र ने पत्रकारों से कहा, “पार्टी के साथ 19 साल तक जुड़े रहने के बाद, मैं पार्टी और उसकी सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। जहां तक पार्टी की सदस्यता की बात है, मैंने पहले भी कहा था कि आपको (तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव) मुझे हटाने की जरूरत नहीं है। मैं विधायक का पद भी छोड़ दूंगा। मैं अपने समर्थकों से बात करने के बाद अपनी आगे की रणनीति के बारे में जानकारी दूंगा।”
Former Telangana Minister Etela Rajender along with few other local Telangana Rashtra Samithi (TRS) leaders have resigned from the party.
Rajender will submit his resignation as MLA to Speaker soon.
(File photo) pic.twitter.com/irKfD1HFye
— ANI (@ANI) June 4, 2021
इतना ही नहीं राज्य के मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए ईटेला राजेंद्र ने कहा कि मंत्री पद ‘गुलाम’ होने से भी बदतर है। राजेंद्र ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर पर एक निरंकुश शासन चलाने का आरोप लगाया, जहां मंत्रियों को अपना काम नहीं करने दिया जा रहा है।
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राजेंद्र का यह बयान इस सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक के बाद आया है। ऐसे में कह सकते हैं कि वो भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
भाजपा अध्यक्ष के साथ बैठक के बाद ईटेला राजेंद्र ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि,”आपके शासन में, मंत्री अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं कर सकते, वे अपनी क्षमता से काम नहीं कर सकते, और अधिकारी स्वतंत्रता के साथ काम नहीं कर सकते। मंत्रियों को बिना अपॉइंटमेंट के उनके कार्यालय सह आवास में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। ‘प्रगति भवन’, जो कि मुख्यमंत्री का कार्यालय-सह-निवास है, का नाम गुलाम (दास) भवन’ रखा जाना चाहिए।
बता दें कि ईटेला राजेंद्र केसीआर के करीबी सहयोगी हुआ करते थे और टीआरएस की स्थापना के समय से ही पार्टी के साथ जुड़े हुए थे। वह तेलंगाना आंदोलन में सबसे आगे थे – एक ऐसी लड़ाई जिसने केसीआर को तेलंगाना का मुख्यमंत्री बनने में मदद की। अगर हम तेलंगाना में ई.राजेंद्र का प्रभाव देखें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि राजेंद्र वो नेता हैं जिन्होंने केसीआर को शिखर तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी, और अब वो जल्द ही केसीआर के पतन का कारण बन सकते हैं।
ईटेला राजेंद्र तेलंगाना में टीआरएस सरकार को गिराने और बीजेपी को स्थापित करने में कारगर साबित हो सकते हैं। इसके तीन कारण है।
पहला यह कि राजेंद्र, दूसरा हिमंता बिस्वा सरमा बन सकते हैं क्योंकि असम के हिमंता की तरह यह भी जमीनी स्तर के नेता हैं। यह भी अपने राज्य में बहुचर्चित नेता हैं और यही नहीं राजेंद्र टीआरएस और केसीआर की नस-नस से वाकिफ है। जब राजेंद्र टीआरएस को बना सकते है तो फिर गिरा भी सकते हैं।
दूसरा यह कि राजेंद्र पिछड़ा वर्ग,अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के नेता हैं। दिलचस्प बात यह है कि, वर्तमान में केसीआर के ऑफिस का भी सदस्य इन समुदायों से ताल्लुक रखता है। ऐसे में राजेंद्र इस मुद्दे को होने वाले विधानसभा चुनाव में उठा सकते हैं।
तीसरा यह कि, ईटेला राजेंद्र ने इस्तीफा देने के बाद राज्य के कई और मंत्रियों की आपबीती भी सुनाई, जिसमें उन्होंने कहा कि कई मंत्री सीएम की गुलामी करने पर मजबूर हैं। ऐसे में राजेंद्र टीआरएस के अंदर फूट डालने में सफल हो सकते हैं। अंततः इसका फायदा बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में मिल सकता है।
गौरतलब है कि दुबका विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों के दौरान केसीआर ने सभी तरह के षड्यंत्र रचे, इसके बावजूद बीजेपी उम्मीदवार ने भारी मतों से अपना कब्जा किया था । बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल करने के साथ ही धीरे-धीरे राज्य में अपने राजनीतिक जनाधार को मजबूत करना शुरू कर दिया था। ऐसे में यदि ईटाला राजेंद्र भाजपा का दामन थामते हैं तो इससे केसीआर की चिंतायें बढ़ जायेंगी।
2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के पास अभी पर्याप्त समय है जिसमें वो ईटेला राजेंद्र की मदद से जमीनी स्तर पर काम कर विधानसभा चुनावों में जीत पर मुहर लगा सकती है।