इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जल्द ही अपनी प्रधानमंत्री की कुर्सी गँवाने वाले हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि विपक्ष की 8 पार्टियों ने मिलकर उनके खिलाफ गठबंधन बनाने का ऐलान कर लिया है। बेंजामिन नेतन्याहू कुछ दिनों बाद सत्ता से दूर होने वाले हैं, लेकिन इस दौरान ऐसा लगता है कि वे आखिरी दिनों में ईरान और इज़रायल के अन्य दुश्मनों पर बड़ा वार करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।
अपने सत्ता के आखिरी दिनों में इज़रायल के दुश्मनों पर वार करने के पीछे बेंजामिन नेतन्याहू की रणनीति विपक्ष के गठबंधन में दरार डालने की हो सकती है।
पिछले कुछ घंटों में ईरान के खिलाफ आश्चर्यजनक रूप से कई बड़ी कार्रवाई की जा चुकी हैं, जिनके कारणों का कुछ खास पता नहीं चल पाया है। बुधवार को Gulf of Oman में ईरानी नेवी के सबसे बड़े जहाज़ में अचानक आग लग गयी और देखते ही देखते वह बड़ा जहाज़ पानी में डूब गया। ईरान के Jask पोर्ट से थोड़ी दूर ईरानी नेवी का यह जहाज़ एक ट्रेनिंग मिशन पर था, जिस दौरान यह हादसा हुआ।
ईरानी सरकार के मुताबिक इस घटना के कारणों का अभी कुछ पता नहीं चल पाया है, लेकिन पूर्व में इस प्रकार के हमले केवल इज़रायल की ओर से ही होते रहे हैं।
इतना ही नहीं, जैसे ही ईरान की नेवी को समुद्र में यह बड़ा नुकसान झेलना पड़ा, उसके कुछ घंटों बाद ही तेहरान से भी ईरानी सरकार के लिए बड़ी अशुभ खबर आई। Tondgooyan Petrochemical Co की तेहरान स्थिति ऑइल रेफाइनरी में LPG लीक होने के कारण बड़ा विस्फोट हो गया, जिसका धुआँ पूरे तेहरान शहर से देखा जा सकता था। LPG लीक क्यों हुई, उसका भी कोई कारण नहीं पता लगाया जा सका।
आग इतनी तेज फैली की शाम तक भी आग को काबू नहीं किया जा सका। ऊपर की दोनों घटनाओं में प्रत्यक्ष तौर पर इज़रायल के शामिल होने का सबूत या दावा पेश नहीं किया गया है, लेकिन मौजूदा हालातों और पूर्व की घटनाओं के आधार पर इन घटनाओं में इज़रायल का हाथ होने की आशंका से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता।
इसी प्रकार की कार्रवाई सीरिया में भी हुई। यहाँ इजरायली सेना ने खुद घोषणा की कि उन्होंने Golan Heights क्षेत्र में सीरियाई सेना की पोस्ट को बर्बाद किया है। घोषणा करने के साथ ही इजरायली सेना के प्रवक्ता ने कहा कि वे इजरायल की संप्रभुता को चुनौती देने वाले किसी भी एक्शन को कतई स्वीकार नहीं करेंगे। इजरायल ने दावा किया है कि इस पोस्ट को ईरान समर्थित उग्रवादी और हिज्बुल्लाह जैसे आतंकी संगठन भी इस्तेमाल कर रहे थे।
यहाँ पर सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि बेंजामिन नेतन्याहू अपनी सत्ता के आखिरी दिनों में ऐसा क्यों कर रहे हैं। दरअसल, बेंजामिन नेतन्याहू आगामी सरकार के नेताओं के लिए एक ऐसी विरासत छोड़कर जाने की तैयारी में है जिसका अनुपालन करना आगामी “Change” ब्लॉक के लिए संभव नहीं होगा।
बता दें कि बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ अभी जो गठबंधन बना है, उसने इस्लामिस्ट, वामपंथी पार्टियों से लेकर घोर दक्षिणपंथी तक कुल 8 पार्टियां शामिल हैं। Yamina पार्टी के मुखिया Naftali Bennett घोर दक्षिणपंथी नेता हैं, जो फिलिस्तीन के वजूद से ही इंकार करते हैं और जो West Bank को पूरी तरह इजरायल में शामिल करना चाहते हैं।
दूसरी ओर इसी गठबंधन में RAAM जैसी इस्लामिस्ट पार्टी भी है जिसे इजरायल में फिलिस्तीन का सबसे बड़ा समर्थक माना जाता है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि RAAM सरकार का हिस्सा बनने जा रही है, लेकिन बड़ा प्रश्न यही है कि क्या ये बहु-विचारधारा संगम अपना कार्यकाल पूरा कर भी पाएगा या नहीं!
Bennett बेशक एक दक्षिणपंथी नेता हैं लेकिन उनके लिए बेंजामिन नेतन्याहू की विरासत को आगे बढ़ाना मुमकिन नहीं होगा क्योंकि उनका बेहद कमजोर गठबंधन उन्हें ऐसा करने से रोकेगा। RAAM और बाकी लिबरल कभी भी सरकार गिराने की धमकी देकर Bennett के फैसलों को प्रभवित कर सकेंगे। नेतन्याहू यह अच्छे से जानते हैं। इसीलिए वे अपने आखिरी दिनों में इजरायल के दुश्मनों पर ताबड़-तोड़ कार्रवाई कर रहे हैं।
RAAM जैसी पार्टी Bennett को फिलिस्तीन और ईरान के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से रोकेगी तो सरकार की स्थिति अपने आप कमजोर होगी। बेंजामिन नेतन्याहू सरकार से बाहर बैठने के बाद एक गिद्ध की तरह इसी घड़ी का इंतज़ार कर रहे होंगे।