कृषि कानून के विरोध में टिकरी बॉर्डर पर बैठे किसान आंदोलन से लगातार दिल दहला देने वाली ख़बरें सामने आ रही हैं। अप्रैल महीने में पश्चिम बंगाल से धरना स्थल पर प्रदर्शन के समर्थन में आई 25 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार की खबर के बाद अब एक और यौन उत्पीडन का मामला सामने आया है।
ट्विटर पर शिवानी ढिल्लोन ने इन्स्टाग्राम पर पोस्ट किये गए एक महिला कार्यकर्ता की आप बीती की जानकारी दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “टिकरी बॉर्डर से छेड़छाड़ और रेप की घटना की सूचना मिली है। पंजाबी नर्सिंग सहायिका से किसान के वेश में आपराधिक तत्वों ने छेड़छाड़ और बलात्कार किया।”
उन्होंने सवाल करते हुए लिखा कि, “कोई रिपोर्ट क्यों नहीं कर रहा है?”
https://twitter.com/shivani_sikh/status/1400816121603710990?s=20
उन्होंने जिस इन्स्टाग्राम पोस्ट को ट्विटर पर डाला था उसमें एक महिला द्वारा अपने साथ हुए यौन उत्पीडन कीआपबीती लिखी हुई थी कि कैसे डॉ सवईमान सिंह के समर्थकों द्वारा उनके साथ यौन उत्पीडन किया गया और डॉ सवईमान सिंह ने कुछ नहीं किया। पोस्ट में स्पष्ट लिखा है कि अगर किसी को प्रूफ की आवश्यकता होगी तो वह सवईमान सिंह से CCTV फुटेज की मांग करे।
https://twitter.com/shivani_sikh/status/1400817912231858177?s=20
उस महिला ने अपनी आपबीती में लिखा कि, “सवईमान सिंह के समर्थक जब मेरे साथ छेड़छाड़ कर रहे थे तब मैंने इससे कार्रवाई की मांग की तो इसने मुझे ही वापस भेजना सही समझा। जब मैंने सुरक्षा की मांग की तो इसने यह कह दिया कि यह अमेरिका नहीं है। छेड़छाड़ करने वालों ने मुझसे माफ़ी भी नहीं मांगी, उलटे मुझे ही अपमान और स्लट शेमिंग का सामना करना पड़ा।“
उस महिला ने बताया कि जब मैं प्रदर्शनकारियों के बीच वैक्सीन के बारे में जागरूकता पैदा करने वाले कैम्प में थी। दो दिनों तक तो ठीक था लेकिन तीसरे दिन से उसके साथ बदसलूकी शुरू हो गयी। उसे सवईमान सिंह के साथ घुमते देख उसके करैक्टर पर सवाल उठाने लगे और झूठ फ़ैलाने लगे।
उस महिला की शब्दों में, किसान आंदोलन महिला volunteers के लिए डराने वाले वातावरण के केंद्र में बदल गया है। ये प्रदर्शनकारी प्रदर्शनकारियों की आड़ में गिद्धों से कम नहीं हैं।
https://twitter.com/shivani_sikh/status/1400819376828215298?s=20
जब महिला ने सेवईमान सिंह से शिकायत की तो उनका कहना था सड़कों पर कब्जा करने वाले प्रदर्शनकारी कुछ भी कर सकते हैं और इससे बच सकते हैं। उन्होंने कहा कि,”आप यहां 2-3 दिनों के लिए हैं, जबकि वे volunteer 4-5 महीने से वहां थे। मैं उन्हें कैसे निकाल सकता हूं?”
महिला ने अपनी वेदना प्रस्तुत करते हुए लिखा है कि सवईमान सिंह ने घटना की जानकारी भी नहीं पूछी। उनका कहना था कि, “यह अमेरिका नहीं बल्कि भारत है।”
भारत में नारी की शील इतनी सस्ती है कि कोई भी इसे हल्के में ले सकता है। धिक्कार है इन गिद्धों पर। उस महिला ने लिखा कि, “मैं यह सोचकर कांपती हूं कि कितनी महिलाओं को इन प्रदर्शनकारियों के sexism, misogyny और harassment का सामना करना पड़ता है और कितनी और महिलाएं इसी कारण आंदोलन छोड़ चुकी होंगी।”
उन्होंने दो कारण भी बताया कि क्यों उन्होंने इस घटना का जिक्र पहले नहीं किया था। उन्होंने बताया कि पहले तो इस घटना को प्रोसेस कर रही थी कि उनके साथ हुआ क्या। दूसरा कारण उन्होंने बताया कि अगर वे पहले बताती तो मोर्चा(किसान आंदोलन) की बदनामी होती।
हालाँकि प्रदर्शनकारियों द्वारा किया गया इस तरह से महिलाओं के उत्पीडन की घटना लगातार सामने आ रही है। यह तो पहले से स्पष्ट हो गया था कि ये किसान नहीं बल्कि भाड़े के प्रदर्शनकारी हैं। ये प्रदर्शनकारी उर्फ बलात्कारी महिलाओं को अपमानित कर समाज को दूषित करते हैं। तथा कुछ राजनेताओं द्वारा ऐसे लोगों को संरक्षण मिलता है।
बता दें कि टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में पश्चिम बंगाल की 25 वर्षीय युवती ने हिस्सा लिया था। अब खबर आई है कि उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था। इस मामले में बहादुरगढ़ पुलिस ने दो महिलाओं और चार युवकों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज किया है।
आरोपियों में अनिल मलिक, अनूप सिंह, अंकुश सांगवान, जगदीश बराड़, कविता आर्य और योगिता सुहाग शामिल हैं। आरोपियों पर धारा 376, 354, 365 और 342 के तहत केस दर्ज किया गया था।
अब तो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने हरियाणा के झज्जर के पुलिस अधीक्षक को दिल्ली-टिकरी सीमा पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई पश्चिम बंगाल की एक महिला किसान कार्यकर्ता की कथित बलात्कार और उसके बाद हुई मौत पर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
TFI किसान आंदोलन के पहले दिन से ही सचेत कर रहा हैं कि यह कोई किसान आंदोलन नहीं बल्कि पंजाब और हरियाणा के कुछ बड़े जमीदारों का आंदोलन है। इस आंदोलन का तार सीधे तौर पर खालिस्तानियों से जुड़ा हुआ है। हाल ही में किसान आंदोलन में हुए बलात्कार से एक बार फिर साफ हो गया है कि दिल्ली बॉर्डर पर कब्जा जमाए किसान नहीं बल्कि अराजक तत्त्व हैं, जो महीनों से किसानों का चोला पहन कर बैठे हैं। किसानों के विरोध स्थल पर संभावित रूप से दूसरी बलात्कार की घटना की खबर सरकार के लिए क्षेत्र को खाली करने के लिए पर्याप्त होनी चाहिए।