पिछले कुछ दिनों से मुख्यधारा मीडिया में जम्मू कश्मीर का मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में है। जम्मू कश्मीर में सेना के टुकड़ियों की अतिरिक्त तैनाती की गई है। गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से लेकर तीनों सेनाओं के प्रमुख के साथ एक बार बैठक हो चुकी है। इतना ही नहीं जम्मू कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों (गुपकार अलायंस) के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 24 जून को बैठक होने वाली है।
ऐसे में मुख्यधारा मीडिया में विभिन्न प्रकार के कयास लगाए जा रहे हैं। जैसे कि, जम्मू कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा, या जम्मू और कश्मीर को अलग कर दिया जाएगा। गुपकार अलायंस के नेताओं में से एक PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर से “पाकिस्तान राग” अलापना चालू कर दिया है। महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि, सरकार अगर तालिबान से बात कर सकती है तो पाकिस्तान से क्यों नहीं? मुफ्ती ने कहा है कि, “प्रधानमंत्री को पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए जिससे कि कश्मीर को लेकर कोई हल निकल सके और इस क्षेत्र में शांति स्थापित हो सके।“
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वहीं, कांग्रेस नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते वक्त कहा कि, “ सबसे ऊंची डिमांड स्टेटहुड (राज्य का दर्जा) की होगी। ये एजेंडे में सबसे ऊपर होगा। संसद के पटल पर भी इसका वादा किया गया था। पूर्ण राज्य, उपराज्यपाल वाला राज्य नहीं।”
गुलाम नबी आजाद से जब अनुच्छेद 370 के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मैं जम्मू और कश्मीर दोनों जगह के कांग्रेस नेताओं से इस पर चर्चा कर रहा हूं। इसके बाद मैं हमारे पार्टी नेतृत्व- कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह- और जो साथी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से इससे संबंधित रहे हैं, उनका मार्गदर्शन लूंगा। इसलिए अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। हां, मैं ये कह सकता हूं कि पूर्ण राज्य का दर्जा एजेंडे में शीर्ष पर होगा।”
कांग्रेस और गुपकार अलायंस के नेताओं और नेत्री की बातों से कहीं से नहीं लगता यह लोग जम्मू कश्मीर के हित के बारे में सोचते है, या फिर राज्य में अमन और शांति चाहते हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें जम्मू कश्मीर के हित के लिए निमंत्रण भेजा है। उन्हें इस मौके को जम्मू कश्मीर में विकास और आम जनमानस की संवृद्धि के लिए उपयोग करना चाहिए था, लेकिन इसके विपरीत वे वापस से राज्य को आतंकवाद और पाकिस्तान के चंगुल में धकेलना चाहते हैं।
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बता दें कि जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा की मांग, अनुच्छेद 370 की बहाली और गुपकार अलायंस, पाकिस्तान राग अलाप के बीच, क्षेत्र और लोगों के विकास की कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐसी किसी बात पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, जो वापस से राज्य में आतंकवाद और पाकिस्तानी गतिविधियों को बढ़ावा दे।