जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में आरक्षण के लिए पंडितों ने लिखा पीएम को पत्र
जम्मू-कश्मीर एक बार फिर देश की राजनीति के केंद्र में आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर को लेकर प्रमुख मुद्दों पर बैठक की गई है। इस नए केंद्र शासित प्रदेश के लगभग-लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत कर राज्य में राजनीतिक गतिविधियों और लोकतंत्र को मजबूत करने की कवायद शुरू हो गई है। वहीं, कश्मीरी पंडितों का मुद्दा एक बार फिर उठने लगा है। ये समुदाय लगातार जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में अपने प्रतिनिधित्व की मांग करता रहा है, लेकिन अब खबरें हैं कि मोदी सरकार कश्मीर की 2-3 सीटों पर कश्मीरी पंडितों के लिए आरक्षण तय कर सकती है, जो कि इस समुदाय के लिए किसी जीत से कम नहीं होगा।
कश्मीरी पंडितों के साथ हुए नरसंहार के बाद लगभग सभी सरकारों ने उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया है। वहीं, पीएम मोदी की बैठक में कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधि के तौर किसी भी नेता को न बुलाया जाना इस समुदाय को रास नहीं आया है। दूसरी ओर इस समुदाय की मांग है कि इसे जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में आरक्षण मिले, जिसको लेकर मोदी सरकार एक बड़ा दांव चल सकती है।
ख़बरों के मुताबिक जल्द ही जम्मू-कश्मीर का परिसीमन किया जाएगा जिससे जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों में बढ़ोतरी हैगी और इनमें कम से कम 2-3 सीटें कश्मीरी पंडितों के लिए आरक्षित होंगी। इन आरक्षित कश्मीरी पंडित की सीटों पर कश्मीरी पंडित ही वोट डाल सकेंगे।
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कश्मीरी पंडितों द्वारा लिखे गए पत्र के मुख्य बिंदु
न्यूज 18 की रिपोर्ट बताती है कि इस साल के अंत तक जम्मू-कश्मीर के परिसीमन के पूरा होने पर वहां के नेताओं को कश्मीरी पंडितों के लिए आरक्षित सीटों का प्रस्ताव दिया जाएगा और फिर इसे लागू कर दिया जाएगा।
इस मुद्दे पर कश्मीरी पंडितों के अंतरराष्ट्रीय समन्वयक सुरेंद्र कौल ने कहा, “5,000 साल पुराने इतिहास वाले कश्मीर के मूल निवासियों के रूप में हम खुद को घाटी के प्रमुख साझेदार मानते हैं। पीएम मोदी यह अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारे नरसंहार के मुद्दे पर अब तक कुछ नहीं हुआ है। भारत के नागरिक और कश्मीर के निवासियों के रूप में Global Kashmiri Pandit Diaspora (GKPD ) चाहेगी कि कश्मीरी पंडित मातृभूमि के लिए शुरू किए जा रहे नई राजनीतिक पहल का हिस्सा बने। हम अपने इस अधिकार का इस्तेमाल करना चाहते हैं।”
वहीं, पीएम मोदी द्वारा आयोजित बैठक में कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधि को न बुलाने को लेकर समुदाय का प्रमुख ग्रुप आहत है और बाबत उन्होंने पीएम मोदी के नाम एक खुला पत्र लिखा है। इस ग्रुप के संयोजक डॉ. अग्निशेखर ने कहा, “पिछली यूपीए सरकार ने हमें तीन बैठकों में बुलाकर हमारी राय ली थी, चाहें परिणाम कुछ भी हो। इतना ही नहीं पनुन कश्मीर के संयोजक के रूप में मैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने के लिए पांच बार प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर चुका हूं।”
उन्होंने पत्र में लिखा, “नई दिल्ली में सर्वदलीय बैठक में हमें ना बुलाकर मौजूदा सरकार ने कश्मीर में इस्लामी सांप्रदायिकता की अलगाववादी राजनीति करने वाली ताकतों को क्या संदेश दिया है?”
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जम्मू कश्मीर विधानसभा में आरक्षण से पंडितों को क्या फायदा होगा?
वहीं, आरक्षण की मांगो को लेकर कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू का भी कहना है कि कश्मीर पंडित अपने दम पर चुनाव नहीं जीत सकता है, इसलिए सरकार को दो सीटों के लिए तो आरक्षण का खाका तैयार करना ही चाहिए जिससे कश्मीरी पंडितों की आवाज जम्मू-कश्मीर विधानसभा तक तो पहुंचे।
वहीं, पीएम की सर्वदलीय बैठक में लोकतंत्र मजबूत करने की बात प्रमुखता से उठना दिखाता है कि अब वहां चुनाव की तैयारियों को शुरू किया जाएगा।
ऐसे में कश्मीरी पंडितों की आरक्षण की मांग अधिक जोर पकड़ रही है, वहीं, ये माना जा रहा है कि परिसीमन में मोदी सरकार कश्मीरी पंडितों के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आरक्षण का एलान कर सकती है, जो कि इस वंचित रहे समुदाय के लिए एक राहत की बात होगी।