पीएमसी बैंक में हुए स्कैम और Bad loans के बारे में RBI को वर्ष 2011 से पता था, इसके बावजूद कोई कड़ा कदम नहीं उठाया गया जिसके 9 वर्ष बाद पीएमसी बैंक स्कैम सामने आया।
दरअसल, वर्ष 2019 के पीएमसी बैंक स्कैम और बाद में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से संबंधित वित्तीय अनियमितताओं और bad loans की कम रिपोर्टिंग के बाद, नई जानकारी सामने आई है। मनीकंट्रोल की एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2011 की शुरुआत में भेजे गए एक पत्र के बारे में जानकारी का पता चला है, जिसमें एक Whistleblower ने आरबीआई को बैंक में वित्तीय अनियमितताओं के बारे में आगाह किया था।
मनीकंट्रोल के इस रिपोर्ट के अनुसार, 28 जनवरी, 2011 को पीएमसी बैंक के एक कर्मचारी ने शहरी बैंक विभाग में आरबीआई के प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक को A Udgata के नाम से एक पत्र भेजा था। इससे यह पता चलता है कि RBI को पर्याप्त अलार्म और स्कैम के संकेत मिले थे, जिस पर अगर समय से अमल होता को यह घोटाला रोका जा सकता था, जिसके कारण PMC बैंक डूब गया।
रिपोर्ट के अनुसार, “पीएमसी बैंक के एक अधिकारी ने 28 जनवरी, 2011 को RBI के अर्बन बैंक के चीफ जनरल मैनेजर A Udgata को एक लेटर लिखकर PMC बैंक में हो रहा गड़बड़ियों के बारे में बताया था। इस लेटर में Whistleblower ने RBI को PMC बैंक का HDIL और DHFL के साथ डीलिंग में हो रही जालसाजियों के बारे में बताया था।“ यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि HDIL और DHFL दोनों ही कर्ज में डूबकर दिवालिया हो गईं।
इस लेटर में Whistleblower ने पीएमसी बैंक के शीर्ष प्रबंधन और वधावन द्वारा नियंत्रित दो कंपनियों के बीच संबंध पर प्रकाश डाला था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, “Whistleblower ने अपने लेटर में कहा था कि पीएमसी बैंक ने HDIL के साथ मिलकर अपने डिपोडिट्स में हेरफेर की और बदले में HDIL की पूरी ब्लैक मनी PMC बैंक के कैश डिपोजिट में दिखाया गया। इस बढ़ी हुई कैश लिमिट की जानकारी RBI को नहीं दी गई।“
Whistleblower ने Non-Profit Assets (NPAs) की कम रिपोर्टिंग, नकली Deposits की एंट्री, और ऋण खातों में हेराफेरी को भी उजागर किया था।
Whistleblower के पत्र के अनुसार, कई शीर्ष उधार लेने वाले बैंक के निदेशक और यहां तक कि शीर्ष बैंक अधिकारियों से संबंधित थे। इसके कारण, बैंक के अधिकारियों को जानबूझकर खातों में हेर-फेर करने के लिए कहा गया था ताकि नए स्वामित्व वाली कंपनियों को बनाने और नए ऋण की सुविधा प्रदान की जा सके।
मनीकंट्रोल ने बताया है कि, “इस लेटर में Whistleblower ने बताया कि PMC बैंक का वास्तविक NPA 9% था, लेकिन बैंक ने इसे केवल 1% दिखाया। साथ ही पीएमसी बैंक ने अपने सिस्टम में 250 करोड़ रुपये का फेक डिपोजिट दिखाया। बैंक ने NPA करने वाली कंपनियों जैसे कि DHFL और HDIL को बडी मात्रा में फ्रेश लोन दिया। बैंक के लोन बुक को बढ़ाने का लिए नकली डिपोजिट दिखाए गए।“
Whistleblower ने तब ही RBI से इस मामले की गहराई से जांच करने को कहा था। हालांकि, RBI ने इस लेटर को संज्ञान में लिया और 7 मार्च 2011 को इस मामले की जांच करने का आदेश PMC के CEO Joy Thomas को दिया था। परन्तु उस समय कुछ खास नहीं हुआ और 2019 में स्कैम सामने आने के बाद अक्टूबर में गिरफ्तार हुआ।
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यहाँ सवाल ऑडिटर जिसने ऑडिट क्लासिफिकेश में पीएमसी बैंक को A रेटिंग दिया था, उसके साथ-साथ RBI तथा UPA सरकार पर भी उठता है। तत्कालीन गवर्नर Dr D Subbarao ने त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं की? साथ ही अगले गवर्नर रघुराम राजन पर भी सवाल उठता है कि उन्होंने जानकारी होते हुए भी NPA बढ़ने दिया! UPA सरकार के समय हुए इस स्कैम के खिलाफ वर्ष 2011 में ही कार्रवाई होती तो हो कई घोटालों पर भी लगाम लगाया जा सकता था। साथ ही उस कार्रवाई से PNB घोटाले करने वाले भी सहम जाते।