उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में महज आठ से नौ महीने ही रह गए हैं और इसका अंदाजा राज्य में चल रहे राजनीतिक उथल- पुथल से लगाया जा सकता है। बसपा जिसका उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा प्रभाव हुआ करता था, आज वो पार्टी अपने चंद विधायकों के साथ ही सिमट गई हैं। पार्टी ने आधे से ज्यादा विधायकों को निलंबित कर दिया है और बाकी नेताओं ने भी पार्टी के भविष्य को देखते हुए पार्टी से दूरी बनाने का फैसला कर लिया है। राजनीतिक जानकारों और बसपा के कुछ नेताओं का मानना है कि “पार्टी के नेताओं और मायावती के बीच में एक दीवार है, जिसका नाम है सतीश चन्द्र मिश्रा।”
जी हां, सतीश चन्द्र मिश्रा बसपा के सबसे मजबूत नेता है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद सतीश चन्द्र मिश्रा दलित और ब्राह्मण समाज में एकता के लिए जाने जाते हैं। सतीश चन्द्र मिश्रा की दलित-ब्राह्मण एकता की गणित ने ही 2007 में पार्टी सुप्रीमो मायावती को मुख्यमंत्री पद पर विराजमान करवाया था। तब से अब तक मायावती सतीश चन्द्र मिश्रा पर विश्वास करती आ रही हैं। पार्टी के जटिल राजनीतिक फैसले भी सतीश चन्द्र मिश्रा के हामी भरने के बाद ही होते हैं।
और पढ़ें-यह चुनाव, मायावती के लिए एक नेता और BSP के लिए एक पार्टी के रूप में आखिरी होगा
आपको बता दें कि साल 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा को सिर्फ 18 सीटें मिली थी। यानी केवल 18 विधायक थे, पर 18 में से 9 विधायकों को अनुशासनहीनता के आरोपों में निलंबित कर दिया गया और 2 विधायक तो पार्टी से 6 वर्षों के लिए निकाले जा चुके हैं। बसपा के इस हालात का ज़िम्मेदार सतीश चन्द्र मिश्रा माने जा रहे हैं। ज्यादातर विधायकों का मानना है कि मिश्रा की वजह से ही मायावती को विधायकों के बारे में गलतफहमी हुई हैं। पार्टी के नेताओं का मानना है कि सतीश चन्द्र मिश्रा बसपा को बर्बाद कर रहे हैं और इस बात का मायावती को भनक तक नहीं है।
बता दें कि बसपा के बागी विधायकों में से 5 विधायक का सपा से जुड़ने की अटकलें तेज हो गईं हैं। उसमें से श्रावस्ती के भिनगा से बसपा के निलंबित एमएलए असलम अली रायनी ने न्यूज 18 से बताया कि, ‘मायावती वही करती हैं, जो सतीश चन्द्र मिश्रा उनसे करने के लिए कहते हैं। वह पार्टी को बर्बाद कर रहे हैं। अगर यही व्यवस्था बरकरार रही तो मुस्लिम बसपा को छोड़ देंगे।’ यही नहीं न्यूज 18 के अनुसार, जौनपुर के मुंगरा बादशाहपुर से विधायक सुषमा पटेल और प्रयागराज के हांडिया से पार्टी विधायक हाकिम लाल बिंद ने भी इस संकट का ठीकरा सतीश चन्द्र मिश्रा पर ही फोड़ा है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं और भाजपा और सपा अपने-अपने संगठन को मजबूत करने में लगे हैं वहीं बसपा का संगठन बिखर रहा है और इस बात का मायावती को इल्म तक नहीं है। वर्तमान हालात को देखते हुए यह कहना उचित होगा कि आगमी विधानसभा चुनाव में मुख्य रूप से दो ही पार्टियां प्रासंगिक होंगी वह हैं- सपा और भाजपा।