उत्तर प्रदेश में मूक बधिर लोगों से लेकर अलग-अलग तरह के बेसहारा लोगों का हिन्दू धर्म से इस्लाम मजहब में परिवर्तन का मामला सामने आया है। 1000 से अधिक लोगों को डरा धमकाकर और लालच देकर विभिन्न माध्यम से इस्लाम में परिवर्तित करवाया गया। ATS की गिरफ्त में आए मोहम्मद उमर गौतम और मुफ़्ती काजी जहाँगीर कासमी ने अपनी पूरी साजिश के बारे में जानकारी दी है। इस दौरान कुछ बड़े खुलासे भी हुए हैं।
दरअसल, मोहम्मद उमर गौतम स्वयं एक हिन्दू था। उसका असली नाम श्याम प्रताप सिंह गौतम था। वह उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिला के ग्राम पंथुआ का रहने वाला है, जबकि वह जाति से क्षत्रिय था एवं गाँव के प्रतिष्ठित क्षत्रिय परिवार का लड़का था। वह ग्रेजुएशन के दौरान नैनीताल में एक हॉस्टल में रहता था। उस दौरान जब उसके पैर में चोट लगी तो उसके बगल के कमरे में रहने वाले मुस्लिम लड़के ने उसके ठीक होने तक उसकी देखभाल की। वह उसे डॉक्टर के यहाँ ले जाता था और उसके कहने पर उसे मंदिर भी ले जाता था। उस लड़के ने श्याम प्रताप का विश्वास जीतकर उसे धीरे-धीरे इस्लाम के विचार से प्रभावित करने की शुरुआत की। बाद में श्याम पर उस लड़के का ऐसा प्रभाव हुआ कि वह इस्लामिक किताबों का भी अध्ययन करने लगा। 1984 में उसने इस्लाम कबूल कर लिया और श्याम प्रताप सिंह गौतम से मोहम्मद उमर गौतम बन गया। गौतम ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से कानून की भी पढ़ाई की है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उमर गौतम की तरफ से यह भी दावा किया गया है कि वह जिस इस्लामिक सेंटर के लिए काम करता है वह ‛इस्लामिक दावा सेंटर’ हर महीने करीब 15 से ज्यादा लोगों को इस्लाम में प्रवेश करवाता है। इससे संबंधित कागजात की पूरी जानकारी उमर गौतम को रहती थी। इस मामले में अब उमर की तरफ से बड़ा खुलासा किया गया है। उसके अनुसार ‛इस्लामिक दावा सेंटर’ में पोलैंड, इंग्लैंण्ड और सिंगापुर अमेरिका तक के लोंगों का परिवर्तन हुआ है और उन्हें इस्लाम कबूल करवाया गया है।
उमर, इस्लाम कबूल करने के बाद उमर गौतम अपने काफ़िर पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुआ था। उमर गौतम ने इस्लाम में परिवर्तन के कुछ समय पूर्व पास के गाँव की राजेश्वरी से विवाह किया और स्वयं इस्लाम अपनाने के बाद अपनी पत्नी को भी मुस्लिम बना दिया। उसने राजी का नया नाम रजिया रखा। उमर गौतम आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवार से आता है, उसके पास 75 बीघा खानदानी जमीन है, लेकिन उसने अल्लाह की राह में इन सब को दांव पर लगा दिया। यहाँ तक कि उसके ससुर ने उसे समझाया और एक ईंट भट्टा उसके नाम करने का लालच दिया लेकिन उसने रसूल के दिखाए रास्ते को छोड़ने की हामी नहीं भारी।
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि वह अपने काम के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से मदद लेता था। इस पूरे गिरोह की खबर पुलिस को डासना देवी मंदिर से मिली। यह वही डासना देवी मंदिर है, जहाँ के महंत यति नरसिम्हानन्द सरस्वती हैं, जो लगातार इस्लामिक अत्याचार के विरुद्ध मुखर रहे हैं। यही नहीं, जिन मुखबधिर लोगों का इस्लाम में परिवर्तन किया गया है उन्हें बाद में मानवबम के रूप में इस्तेमाल करके पूरे भारत को दहलाने की साजिश थी। अब एजेंसियों ने पूरे देश में फैले रैकेट की पहचान शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डासना में पकड़े गए विपुल और कासिफ के जरिये बहुत से ऐसे संगठनों की जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को मिली है। साथ ही नागपुर का एक कट्टरपंथी संगठन भी इनके निशाने पर है।
यह पूरा मामला चौंकाने वाला न होकर आंख खोलने वाला होना चाहिए। वर्षों से कई हिन्दू संतो द्वारा पिछली सभी सरकारों को इस बात के प्रति आगाह किया जाता रहा है कि मुस्लिम समाज का एक तबका, पाकिस्तान और अन्य इस्लामिक कट्टरपंथीयों के सहयोग से हिंदुओं के परिवर्तन के लिए ऐसे रैकेट चला रहा है। सरकार और हिन्दू समाज इसके प्रति सजग नहीं है जिसका नतीजा जनसांख्यिकी परिवर्तन के रूप में सामने आता है। ये लोग ISI से मदद लेते हैं जो साफ दिखाता है कि ये लोग ISI के लिए अन्य प्रकार की गतिविधियों को भी संचालित करते होंगे, जिसके तहत भारत को आंतरिक रूप से अशांत करना, स्लीपर सेल तैयार करना आदि शामिल हैं। ऐसे संगठन इस्लामिक आतंकवाद के हाथ मजबूत करते हैं और सरकार तथा सुरक्षा एजेंसियां सोती रहती हैं। योगी सरकार बधाई की पात्र है कि उत्तर प्रदेश में ऐसी ताकतों का दमन किया जा रहा है, लेकिन प्रश्न है कि क्या बाकी देश इससे कोई सीख लेगा?