वैश्विक महामारी कोरोना पर दूसरी ओर प्राणों की रक्षा करने वाले उन साँसों की चिंता न करते हुए उनको सदा के लिए शांत करने में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। जिन स्वास्थ्य सेवा में लगे कर्मचारियों की ज़रूरत इस समय सबको थी, उनमें से कुछ सेवा न करते हुए मरीजों को मृत्यु प्राप्ति की ओर ले गए। उत्तर प्रदेश सरकार की दो मुख्य एम्बुलेंस सेवाएं 25-26 जुलाई की मध्यरात्रि से ठप हो गई थीं, क्योंकि राज्य भर में एम्बुलेंस चालक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे।
उन्नत जीवन समर्थन प्रणाली (एएलएस) एम्बुलेंस चालकों ने अपने रोजगार की शर्तों में बदलाव और एक अलग कंपनी को एम्बुलेंस सेवा निविदा सौंपने के बाद भुगतान के खिलाफ हड़ताल शुरू किया था, जिससे राज्य में सरकार द्वारा संचालित 102 (मातृत्व सुविधा एम्बुलेंस) और 108 (आपातकालीन एम्बुलेंस) दोनों एम्बुलेंस सेवाएं प्रभावित थीं। इसी बीच बुधवार को एंबुलेंस हड़ताल के चलते उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक महिला की समय से इलाज न मिल पाने की वजह से मृत्यु हो गयी।
एम्बुलेंस चालकों की इस हड़ताल के चलते मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वाराणसी में एंबुलेंस नहीं मिलने पर बुधवार को एक शख्स अपनी पत्नी को ट्रॉली पर बिठाकर अस्पताल ले जाने को मजबूर हो गया। अब इसको लेकर राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अखबार में छपी तस्वीर को शेयर कर उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर हमला बोला है। पुलिस की मदद से कर्मियों से एंबुलेंस लेकर अन्य चालकों को सौंप दी गई है। वहीं एंबुलेंस सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी का दावा है कि मरीजों को यह सुविधा मुहैया कराई जा रही है।
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अब तक इन सभी एंबुलेंस सेवाओं को संचालन जीवी की एम्बुलेंस सर्विस प्राईवेट लिमिटेड देख रही थी जिसको योगी सरकार ने अब निरस्त कर दिया। शासन की ओर से एडवांस लाइफ सपोर्ट (एलएस) के संचालन के लिए नया टेंडर निकाल दिया गया और जिस कंपनी के टेंडर जीता उसने पुनः सेवाओं को संचालित कर दिया।
एंबुलेंस हड़ताल और स्वास्थ्य सेवाओं में लगे कर्मचारियों की ज़िद की वजह से लोगों के प्राणों पर बन आई और एक की मृत्यु भी हो गयी। इस पर संज्ञान लेते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने तत्काल ही उन 570 ड्राइवरों और आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन (ईएमटी) सभी को बर्खास्त कर दिया है।
इससे योगी सरकार ने यह संदेश दिया है कि कोई भी त्रुटि बताने या उसमें सुधार करने की मांग का बात करके समाधान निकाला जाना चाहिए, न की एम्बुलेंस कर्मचारियों द्वारा ऐसी हड़ताल से जिसने ऐसे समय में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया। एम्बुलेंस कर्मचारियों के इस अनुचित कदम को लेकर बर्खास्तगी जैसा कदम सरकार द्वारा उठाया जाना उन सभी को संदेश है कि स्वास्थ्य सेवाओं में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।