उत्तर-प्रदेश के बाद अब असम में भी रामराज्य की राह साफ होती दिख रही है। हिमंता बिस्वा सरमा ने मुख्यमंत्री बनने के बाद से अपराध और अपराधियों को मानो जड़ से उखाड़ फेंकने की ठान ली हो। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति पर ही अब असम की हिमंता सरकार चल रही है। अपराधियों को पकड़कर जेल में तो ठूंसा ही जा रहा है, साथ ही उनके नाम भी सार्वजनिक किए जा रहे हैं।
अब इस दिशा में हिमंता बिस्वा सरमा ने एक अहम कदम उठाया है। मुख्यमंत्री ने जांच एजेंसियों से ये सुनिश्चित करने को कहा है कि दुष्कर्म, हत्या, ड्रग्स जैसे मामलों में छह महीने के अंतर्गत आरोप पत्र दायर किया जाए।
जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य पुलिस से जघन्य आपराधिक मामलों में छह महीने के भीतर आरोप पत्र दाखिल करने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि दुष्कर्म, हत्या, नशीले पदार्थो की तस्करी, अवैध वसूली और अवैध हथियार रखने के लंबित मामलों की जांच छह महीने में पूरी की जाए।
इसी रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि सरमा ने ये निर्देश प्रदेश के सभी थानाध्यक्षों (SHO) के साथ बैठक में दिए। राज्य में किसी भी मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह की यह पहली बैठक थी। उन्होंने थाना प्रभारियों से कहा कि वे सभी लंबित मामलों के आरोप पत्र दाखिल करने और अपराधियों को दंडित कराने के कार्य में जुट जाएं। इस कार्य में वे अपने वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग लें। CID की भी मदद लें। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर फोरेंसिक जांच में देरी के चलते आरोप पत्र तैयार न हो पा रहे हों तो अन्य प्रदेशों की फोरेंसिक लैब की मदद ली जाए। राज्य सरकार देश की चार-पांच उच्चस्तरीय प्रयोगशालाओं से फोरेंसिक जांच के लिए जल्द ही समझौता करेगी।
असम में मुख्यमंत्री बनने के बाद से लगातार CM हिमंता बिस्वा सरमा ऐसे कई आदेश दे चुके हैं जिसकी वजह से वो लगातार सुर्खियों में रहे हैं। कानून व्यवस्था को लेकर असम के मुख्यमंत्री जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहे हैं। मुख्यमंत्री सरमा का संदेश बिल्कुल स्पष्ट है- कुछ भी हो, असम पुलिस को पीड़ितों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
एक तरफ हिमंता बिस्वा सरमा पीड़ितों के साथ खड़े रहते हैं तो वहीं दूसरी तरफ अपराधियों को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ते। हाल ही में असम के होजाई जिले के एक कोविड केयर सेंटर में एक मरीज की मौत हो गई। इसके बाद मरीज के परिजनों ने डॉक्टरों के साथ मारपीट की। डॉक्टर कमल देबनाथ ने इस घटना को बताते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को ट्विटर पर टैग किया। डॉक्टर ने अपने ट्विटर में कहा कि CM खुद देखें कि राज्य में फ्रंटलाइन वर्कर्स की क्या हालत है ?
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा तुरंत एक्टिव हुए। उन्होंने साफ कहा कि होजाई में हुई असभ्य हरकत को उनके प्रशासन द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने असम पुलिस को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए।
हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्विट करते हुए कहा, “हमारे फ्रंटलाइन कर्मचारियों पर ऐसा कायराना हमला बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। असम पुलिस ये सुनिश्चित करेगी कि गुनहगारों को जल्द से जल्द सजा मिले।“
हिमंता बिस्वा सरमा का सिर्फ यही एक फैसला नहीं बल्कि हाल ही में उन्होंने कई ऐसी नीतियां अपनाने की बात कही है जोकि लोकप्रियता के पैमाने पर उन्हें देश के मुख्यमंत्रियों की कतार में आगे खड़ा कर देती हैं।
हाल ही में हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा था कि वो असम में मुस्लिम आबादी रोकने के लिए कदम उठाएंगे। एक मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “यह एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हमारी माताओं और बहनों की भलाई के लिए तथा इन सबसे ऊपर, समुदाय के कल्याण के लिए है’’
उन्होंने दावा किया कि असम अपनी वार्षिक जनसंख्या वृद्धि 1.6 प्रतिशत रखने में कामयाब रहा है लेकिन ‘जब हम सांख्यिकी की तह में जाते हैं तो यह पाते हैं कि मुस्लिम आबादी 29 प्रतिशत की दर (दशकीय) से बढ़ रही है, जबकि हिंदू आबादी 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही’
इसी को लेकर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा था कि उनकी सरकार दो बच्चों की एक नीति यानी कि, टू चाइल्ड पॉलिसी (Two Child Policy) लेकर आएगी। इस नीति का पालन करने वालों को खास योजनाओं के तहत लाभ मिलेगा।
चाहे अपराध को रोकने की बात हो, अपराधियों को सजा दिलाने की बात हो या फिर मुस्लिम आबादी का मुद्दा हो, हर मुद्दे पर असम सरकार कड़े फैसले ले रही है। ऐसे में सोशल मीडिया पर लोग लगातार लिख रहे हैं कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति पर चलकर असम में भी रामराज्य की स्थापना कर देंगे।