आपको क्या लगता है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसे अपना सबसे बड़ा विरोधी मानते हैं। आमतौर पर इसका जवाब अखिलेश यादव या मायावती हो सकता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऐसा नहीं मानते है। उनके हिसाब से उनका कोई प्रतिद्वंद्वी है तो वह – असदुद्दीन ओवैसी है।
दरअसल, हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने द इंडियन एक्सप्रेस को इंटरव्यू दिया था। इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि वे अगले साल के विधानसभा चुनावों में अपना सबसे बड़ा विरोधी किसे मानते हैं, तो मुख्यमंत्री ने कहा: “मैं किसी को विरोधी नहीं मानता। दोनों पक्ष (सरकार और विपक्ष) लोकतंत्र का सार हैं…”
वहीं योगी आदित्यनाथ ने इंटरव्यू में असदुद्दीन ओवैसी के लिए तारीफ के पुल बांध दिए। यूपी के मुख्यमंत्री ने शनिवार को कहा, “असदुद्दीन ओवैसी जी एक बड़े राष्ट्रीय नेता हैं। वह चुनाव प्रचार के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में जाते हैं और उनका अपना जनाधार है। अगर उन्होंने भाजपा को चुनौती दी है, तो भाजपा कार्यकर्ता उनकी चुनौती स्वीकार करेंगे।”
बता दें कि, यह प्रतिक्रिया ओवैसी की टिप्पणी के जवाब में थी जिसमें उन्होंने कहा था कि 2022 के चुनावों के बाद योगी को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया जाएगा।
हैरानी की बात यह है कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों- अखिलेश यादव और मायावती को छोड़कर ओवैसी की चर्चा क्यों कर रहें है! सच तो यह भी है कि, ओवैसी की पार्टी AIMIM का 2017 विधान सभा चुनाव में प्रदर्शन संतोषजनक भी नहीं था। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) ने 2017 में जिन 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उसमें उसे मात्र 2.46 प्रतिशत वोट मिले थे। इन 38 उम्मीदवारों में से 37 की जमानत जब्त हो गई थी।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों योगी आदित्यनाथ ओवैसी को जनाधार वाले नेता मान रहें है। तो बता दें कि ऐसा इसलिये क्योंकि योगी आदित्यनाथ चाहते है कि मुस्लिम वोट बैंक ओवैसी और अखिलेश यादव में बट जाए और केवल बट ही न जाए, ओवैसी के खाते में ज्यादा जाए। साफ शब्दों में कहें तो, जितना ज्यादा ओवैसी को फायदा होगा, उतना ही अखिलेश यादव को नुकसान झेलना होगा।
बता दें कि AIMIM को “वोट कटवा” पार्टी के तौर पर भी देखा जाता है। तो जाहिर है कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते है कि, AIMIM सपा के वोट बैंक में सेंधमरी करे। जिसको भर पाना समाजवादी पार्टी के लिए नामुमकिन हो।
AIMIM उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से 100 पर चुनाव लड़ सकती है, जिनमें मुसलमानों की आबादी 19 फीसदी के करीब है। अनुमानत: लगभग 50 सीटों (जहां मतदाताओं में उनकी हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से अधिक है) पर ये निर्णायक असर डाल सकते है। इतना ही नहीं ओवैसी ने यूपी विधान सभा चुनाव के लिए ओम प्रकाश राजभर के साथ गठबंधन कर लिया है। ऐसे में यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र में गठबंधन की भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है।
अंततः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी इसलिए दिखा रहें है क्योंकि वह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जितने एंटी हिंदू वोट हो, वो ओवैसी के पाले में गिरे। योगी आदित्यनाथ द्वारा चली गई चाल, यह साबित करने के लिए काफी है, यूपी मुख्यमंत्री एक मजबूत प्रशासक ही नहीं बल्कि एक मंझे हुए राजनेता भी है।