पिछले वर्ष लद्दाख में शुरू हुआ चीन के साथ गतिरोध अभी तक थमा नहीं है। दोनों पक्षों की तरफ से बातचीत की बात सामने आती रहती है लेकिन तनाव कम होता दिखाई नहीं दे रहा। अब एक ख़बर सामने आई है कि भारत लद्दाख में 4 एयरपोर्ट और 37 हेलीपैड का निर्माण करेगा।
ऐसा लगता है मानो भारत ने अक्साई चिन को वापस लेने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया हो। आर्टिकल 370 को हटाने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने को लेकर जब सदन में चर्चा हो रही, उस वक्त गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कहा था कि अक्साई चिन भारत का हिस्सा है और उसके लिए जान भी दे देंगे।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने लद्दाख क्षेत्र में हवाई संपर्क को बढ़ावा देने का काम शुरू कर दिया है, जिससे सेना की आवाजाही बड़ी संख्या में हो सके। चीन के साथ सटी सीमा रेखा को ध्यान में रखते हुए लद्दाख में चार नए हवाई अड्डे और 37 हेलीपैड बनाने की योजना बनाई जा रही है।
ये नए हवाई संपर्क न केवल पर्यटन को बढ़ावा देंगे बल्कि सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण एसेट के रूप में भी काम करेंगे। इसके साथ ही प्राकृतिक आपदाओं के दौरान त्वरित राहत देने के काम भी आयेंगे। इसके साथ ही रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इन नए निर्माणों से अक्साई चिन पर नजर रखना और आसान हो जायेगा।
बता दें कि चीन भी सीमा के उस पार अपनी हरकतें बढ़ा चुका है। चीन तिब्बत के इलाके में अपने एयरबेस को लगातार बढ़ाने में लगा हुआ है। ड्रैगन एयर फ़ील्ड्स की मरमत के साथ-साथ अत्याधुनिकीकरण भी कर रहा है। यही नहीं मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो छोटे-मोटे एयरस्ट्रिप्स को भी सेना के जंगी हवाई जहाजों और मिलिट्री उपकरण को ढोने वाले बड़े विमानों को उतारने वाले रनवे में तब्दील किया जा रहा है।
यही कारण है कि अब भारत ने भी नए एयरपोर्ट और हेलीपैडों का निर्माण कर चीन को कड़ा संदेश देने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पहले ही सीमा से सटे इलाकों में रोड और ब्रिज बड़े पैमाने पर तैयार हो चुके हैं।
रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने पहले ही चार नए हवाईअड्डों के लिए भूमि की पहचान कर ली है जो बड़े विमानों को भी उतारने में सक्षम होंगे। इन चारो में से एक एयरपोर्ट का निर्माण लेह शहर में भी किया जाएगा। ये एयरपोर्ट वैकल्पिक एयरफील्ड की तरह भी काम करेगा। इसके साथ ही एक एयरपोर्ट ज़ांस्कर घाटी में भी बनाया जायेगा जिससे यह क्षेत्र दूसरे हिस्सों से जुड़ सकेगा।
सरकार चांग थांग के पास एक हवाईअड्डे की भी योजना बना रही है जो Pangong Tso झील से जुड़ा है। यह वही स्थान है जहां पिछले साल चीन ने अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के हजारों सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भेजकर सीमा पर तनाव बढ़ाया था। हालाँकि, भारत की सेना ने गलवान में पराक्रम से जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन को कड़ा जवाब दिया था।
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इसके अलावा कारगिल में पहले से ही एक सैन्य हवाई क्षेत्र है, रिपोर्ट के अनुसार सरकार अब इसे वैकल्पिक नागरिक हवाई अड्डे में बदलने की योजना बना रही है। कारगिल में वर्तमान हवाई क्षेत्र का उपयोग भारतीय वायुसेना द्वारा किया जाता है और अभी तक नागरिक संचालन शुरू करने के लिए अनुमोदन प्राप्त नहीं हुआ है।
इस बीच लद्दाख में वर्तमान में 37 हेलीपैड निर्माणाधीन हैं। ये केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के दूरदराज और दुर्गम पहाड़ियों में फैले हुए हैं। निर्माण पूरा हो जाने के बाद ये हेलीपैड भारी चिनूक सीएच 47 हेलीकॉप्टरों को संभालने में भी सक्षम होंगे। रिपोर्ट की मानें तो इनमें से कई के इसी साल चालू होने की संभावना है।
योजना के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार लद्दाख में इन सभी एयरपोर्ट और हेलीपैड को बड़े विमानों के लिए हमेशा तैयार रखना चाहती है, जिससे किसी भी आपदा में तनिक भी देरी न हो। यही नहीं जिस तरह से तैयारी चल रही है उससे कथित तौर पर यह आशंका भी जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री मोदी, अक्साई चिन को चीन के कब्जे से वापस भारत में मिलाने की तैयारी कर रहे हैं।