लूटतंत्र- इस एक शब्द के जरिये कांग्रेस के शासन के इतिहास को समझना गागर में सागर भरने जैसा होगा। भारत को लूटतंत्र बनाने वाला गांधी परिवार अब मोदी सरकार को भ्रष्टाचार पर ज्ञान दे रहा है। नेहरू हो या उनकी बेटी इंदिरा या इंदिरा के बाद कांग्रेस को संभालने वालीं उनकी बहु सोनिया गांधी ही क्यों न हो। इन लोगों के शासनकाल में भारत का विकास जितना पीछे रहा उतनी ही तेजी से बीते 6-7 सालों में बढ़ा है।
नमस्कार, मैं अनिमेष पांडेय आपको बताने जा रहा हूं कैसे नेहरू गांधी के शासन में भारत एक Kleptocracy यानि लूटतंत्र बन चुका था।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि नेहरू गांधी परिवार का शासन देश के लिए कभी भी गौरव की बात नहीं रही है। इस परिवार ने भारत की जितनी दुर्गति की है, उतनी किसी अन्य परिवार ने नहीं की होगी। परंतु अधिकतर लोग इस बात से अपरिचित है कि कैसे नेहरू गांधी के शासन में भारत एक Kleptocracy यानि लूटतंत्र बन चुका था।
जब भारत स्वतंत्र हुआ था, तो देश की कमान जवाहरलाल नेहरू को सौंपी गई थी। वे सोवियत संघ की नीतियों से बहुत प्रभावित थे, एवं देश को उसी आधार पर बनाना चाहते थे। हालांकि, पूरा देश उनसे सहमत नहीं था, इसीलिए शायद उनके चाहते हुए भी संविधान में ‘समाजवादी’ शब्द नहीं जुड़ पाया।
लेकिन प्रश्न तो वही है – यह Kleptocracy क्या है? इसे नेहरू गांधी परिवार के शासन में कैसे बढ़ावा मिला, और इससे भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक प्रगति को कितना धक्का पहुंचा? आम भाषा में समझाया जाए तो Kleptocracy का अर्थ है वो शासन प्रणाली है, जहां चोरों ओर लुटेरों का राज हो, जहां भ्रष्टाचार ही शासन का पर्याय हो। इसे एक शब्द में लूटतंत्र भी कह सकते हैं।
भारत को जिस हाल में अंग्रेज़ छोड़ के गए थे, वो लूटतंत्र तो नहीं था। तो फिर भारत ऐसा बना कैसे? इसके पीछे एक ही कारण है – तीन मूर्ति भवन में रहने वाला नेहरू गांधी परिवार। जब भारत स्वतंत्र हुआ था, तो वह अंग्रेजों दवारा प्रतीड़ित किया राष्ट्र था। लेकिन कुछ तो निजी शासकों के कारण, और कुछ तो अंग्रेज़ों के कारण भारत के पास ऐसी संरचना और शासन व्यवस्था थी, कि वह कई एशियाई देशों से मीलों आगे था। चीन, जापान और कोरिया भी उस समय भारत से काफी पीछे थे।
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लेकिन सोवियत संघ का अनुसरण करने की चाह में नेहरू ने देश का बंटाधार कर दिया। 1991 तक जिस अर्थव्यवस्था मॉडल के आधार पर भारत का नीति निर्माण हुआ था, उसे आम भाषा में फैबियन समाजवाद कहा जाता था। यहाँ हर चीज कछुआ चाल पर चलती थी। भाई भतीजावाद को बढ़ावा दिया जाता था, और आधुनिकीकरण का जमकर विरोध होता था। जिस देश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का आधुनिकीकरण 60 – 70 के दशक तक हो जाना चाहिए था, वहाँ पहली मेट्रो ही कोलकाता में 1985 में आ, इससे तो आप समझ सकते हैं शासन किसके भरोसे था।
लेकिन इस लूटतंत्र के लिए केवल नेहरू ही अकेले जिम्मेदार नहीं थे। उन्होंने केवल सैद्धांतिक नींव डाली थी, परंतु उनके स्वप्न को वास्तविक रूप उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने दिया। बैंकों का राष्ट्रीयकरण, आयकर के नाम पर उद्योगपतियों से उगाही, लाइसेंस राज, परमिट राज, ये सब इंदिरा गांधी के ही समय पर फले फूले। नेहरू के समय भी उद्योग अपनी गति से चलते थे, परंतु इंदिरा गांधी के शासन के समय में उद्योगों का जीना मुहाल हो चुका था। कानपुर से लेकर मुंबई जैसे औद्योगिक शहरों में ट्रेड यूनियनबाज़ी और दत्ता सामन्त जैसे गुंडों के कारण जितना नुकसान हुआ, ये सब इंदिरा गांधी के भ्रष्ट तंत्र का ही योगदान था। जो परिवार देश के रक्षा युद्धपोत का इस्तेमाल अपने निजी यात्रा के लिए करे, उससे आप और क्या उम्मीद कर सकते हैं?
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1991 तक आते आते इन्हीं भ्रष्ट नीतियों के कारण देश में एनपीए और कर्जों का बोझ इतना बढ़ गया कि भारत को अपने स्वर्ण भंडार का एक हिस्सा गिरवी रखना पड़ा। यदि पीवी नरसिम्हा राव ने जोखिम उठाते हुए भारत की नीतियों में व्यापक बदलाव नहीं किया होता, तो आज हमारा हाल ही क्यूबा जैसा होता।
लेकिन नेहरू गांधी परिवार का लालच वहीं समाप्त नहीं हुआ। 2004 में जब यूपीए की सरकार सत्ता में आई, तो चेहरा भले मनमोहन सिंह थे, परंतु सबको पता था कि सत्ता में वास्तव में कौन था। सोनिया गांधी ने परिवार के वर्षों पुरानी नीति का मान रखते हुए उतनी ही सफाई से लूटतंत्र को बढ़ावा दिया। यूपीए सरकार सरकार कम, लूटने खसोटने का दरबार अधिक बन चुका था। AgustaWestland का घोटाला हो, कोयला घोटाला हो, 2 जी घोटाला हो, आप बस नाम बोलते जाइए और नेहरू गांधी परिवार की छत्रछाया में वह सब हुआ है। स्थिति तो ऐसी थी कि जब मोदी सरकार ने कमान संभाली, तो उन्हें ज्ञात हुआ कि देश के सैनिकों के पास तो पर्याप्त गोला बारूद तक नहीं बचा है।
ऐसे में नेहरू गांधी परिवार जब आज मोदी सरकार को भ्रष्टाचार पर ज्ञान दे रहा है, तो ऐसा लगता है मानो दुशासन कृष्ण को नारी सशक्तिकरण पर ज्ञान दे रहा हो। ये न सिर्फ हास्यास्पद है, बल्कि कांग्रेस के वर्षों के काले करतूतों का उपहास उड़ाने जैसा है, जो ऐसे अनेक पापों से भर है, जिसका स्त्रोत सिर्फ एक है – नेहरू गांधी परिवार।