भले ही देश में वामपंथ की जड़े अब उखड़ रही हों, लेकिन अभी ये जहां भी अपनी अंतिम सांसे ले रहा है, वहां बर्बादी के निशान गहरे हो रहे हैं, ताजा उदाहरण केरल है। दुनिया की सबसे बड़ी बच्चों के वस्त्र निर्माता कंपनी KiteX ने केरल सरकार और अधिकारियों से तंग आकर राज्य छोड़ तेलंगाना में निवेश की तैयारी कर ली है। केरल सरकार लगातार अपनी सफाई में दावे तो कर रही है, लेकिन कंपनी के CEO का ऐलान केरल के कम्युनिस्ट शासन पर सवाल खड़े करता है। ये ठीक उसी तरह की स्थिति है, जैसी बंगाल में निवेशकों ने झेली थी और अंत में बंगाल को टाटा कह दिया था, तो सवाल उठता है क्या केरल भी बंगाल की राह पर निकल चुका है?
TFIPOST ने कुछ दिन पहले ही आपको बताया था कि कैसे KiteX के CEO साबू एम जैकब ने ट्वीट कर केरल में कंपनी के शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई थी। अब उन्हीं सीईओ ने केरल छोड़ तेलंगाना में 1000 करोड़ का निवेश करने की प्लानिंग कर ली है, जिसको लेकर तेलंगाना सरकार काफी उत्साहित है। तेलंगाना के ही उद्योग मंत्री केटी रामाराव ने इस संबंध में जानकारी दी और ये केरल सरकार और उसकी कार्यशैली पर एक तमाचे की तरह है।
KiteX की प्लानिंग थी कि वो 2025 तक राज्य मे करीब 3,500 करोड़ का निवेश करेगी, लेकिन कम्युनिस्टों के शासन में हो रहे कंपनी के शोषण से कंपनी के सब्र का बांध टूट गया है। इस पूरे विवाद का कारण कंपनी के एनार्कुलम में प्रोडक्शन प्लांट में आए दिन सरकारी अधिकारियों की छोपेमारी को माना जा रहा है। KiteX सीईओ खुद इस बात को कह चुके हैं कि लगातार राज्य सरकार के अलग-अलग विभाग के अधिकारी आकर कर्मचारियों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं, मानों वे किसी चोरी-डकैती के मामले से जुड़े केस के लिए आए हो। इसके अलावा उन्होंने ये भी आरोप लगाए कि केरल में अन्य राज्यों की अपेक्षा सरकार जरूरत से ज्यादा पैसा केवल जमीन के लिए वसूल रही है। उन्होंने बताया, “हमें करीब 200 एकड़ जमीन की आवश्यकता थी, केरल मे हमें ये जमीन करीब 3.5 करोड़ प्रति एकड़ के हिसाब से दी गई, जबकि देश के अन्य राज्यों में ये कीमत करीब 15 लाख के करीब की ही है।” खास बात ये भी है कि तेलंगाना जाने के ऐलान के साथ ही कंपनी के शेयर्स में 20 प्रतिशत का उछाल देखा गया है।
कंपनी को प्रताड़ित करने का ये रवैया अब केरल की कम्युनिस्ट सरकार को बेहद महंगा पड़ गया है। पिछले साल नवंबर के दौरान ही पेप्सिको ने प्लांट बंद कर दिया था, जिसकी वजह कर्मचारियों का विद्रोह माना जा रहा है। कंपनी ने उस दौरान भी दबे मुंह केरल सरकार पर आरोप लगाए थे और अब यही KiteX के सीईओ ने भी किया है। दुनिया की सबसे बड़ी बच्चों के वस्त्र बनाने वाली कंपनियों में शामिल काइटेक्स के जरिए यकीनन केरल के स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा था, लेकिन अब कंपनी के प्रवास के बाद रोजगार के मामले में केरल को बड़ा झटका लगने वाला है।
भले ही केरल के उद्योग मंत्री विवाद को सुलझाने की बात कह रहे हों, लेकिन ये कहने में तनिक भी गुरेज नहीं होना चाहिए कि उनकी सरकार में कम्युनिस्टों ने ऐसा आतंक बचा रखा है कि अब कंपनियां छोड़ कर भाग रही हैं। कम्युनिस्टों की यही रीति रही है, पूंजीवाद के विरोध के नाम पर इन लोगों ने विकास की नाव को हमेशा डुबाने का काम किया है। इसका उदाहरण बंगाल भी है, जो 60 के दशक में एक समृद्ध राज्यों की सूची में आता था, लेकिन पहले कम्युनिस्टों और फिर इस्लामिक झंडा बुलंद करने वाली ममता के शासन के दौरान यहां से वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों का ऐसा पलायन हआ है कि बंगाल आज बीमारु राज्य की सूची में आ गया है।
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सबसे सटीक उदाहरण तो टाटा का नैनो प्लांट हैं, जिसे बंगाल में विरोध के कारण रतन टाटा ने गुजरात में शिफ्ट करवाया था, आज गुजरात कहां है ये आप सभी जानते हैं लेकिन बंगाल व्यापार के मामले में निचले स्तर पर जा चुका है। बंगाल में जिस तरह कम्युनिस्टों ने व्यापार को बर्बाद किया, अब वही ये लोग केरल में भी कर रहे हैं। यही कारण है कि ‘Ease of Doing Business’ की रैंकिंग में केरल का स्थान आज 28वें नंबर पर पहुंच गया है, जो दिखाता है कि कम्युनिस्टों ने व्यापारिक दृष्टिकोण से केरल को बर्बाद कर दिया है। केरल मे साक्षरता दर अधिक होने के बावजूद वहां सरकार की नाकामियों का नुकसान आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश जैसा राज्य जो पांच साल पहले तक केवल गुंडाराज के लिए जाना जाता था, उसका कायकल्प कर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने निवेशकों के लिए एक बेहतरीन व्यापारिक माहौल तैयार किया है, वहीं केरल जैसा राज्य अब बर्बादी की कगार पर जा रहा है। जिस तरह के KiteX केरल छोड़कर तेलंगाना जा रही हैं तो ये अन्य उद्योंगपतियों के लिए सबक है कि वो भी केरल जाने से बचें, ऐसे में केरल में निवेश की संभावनाएं पहले से अधिक कम ही हो जाएंगी।