कहावत है कि… निंदक नियरे राखिए, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने अपने चारों तरफ एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार कर रखा है जो कि चाटुकारों और बचकानी हरकतें करने वालों का समूह माना जाता है। ये चाटुकार वर्ग ही देश की राजनीति में कांग्रेस के पिछड़ने की वजह बन गये हैं। इन चाटुकारों में एक वर्ग लुटियंस मीडिया का भी है जो कि फिजूल मुद्दों को उठाकर मोदी सरकार पर सवालों के तीर मारती है। इसके विपरीत कांग्रेस लुटियंस मीडिया के इन कथित पत्रकारों और मीडिया समूहों द्वारा तैयार किए हुए तीर खुद ही अपने सिर ले लेती है। इससे मोदी सरकार की छवि में तो कोई फर्क नहीं पड़ता, अपितु कांग्रेस की राजनीतिक विश्वसनीयता और गिर जाती है। इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर को लेकर भी कांग्रेस द्वारा उठाए जा रहे सवाल भी कुछ ऐसे ही हैं, जिसका कांग्रेस को ही नुकसान होने वाल है।
डिजिटल मीडिया के जरिए अपना प्रोपेगैंडा फैलाने वाले पोर्टल ‘द वायर’ ने एक खबर के जरिए खुलासे का ढोंग करते हुए बताया है कि भारत के करीब 300 विशिष्ट लोगों की इजरायली के पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए जासूसी की जा रही है, जिसमें कांग्रेस समेत सत्ताधारी दल के नेताओं के साथ ही देश के कुछ पत्रकार और बिजनेसमैन भी शामिल हैं। हालांकि, पोर्टल ने पूरी खबर में ‘सकता है’ ‘सकते हैं’ जैसे संभावानाजनक शब्दों का ही प्रयोग किया है, जिसका मतलब ये हुआ कि इस खुलासे वाले ढोंग में कुछ भी प्रमाणित नहीं है। पोर्टल बड़ी ही चालाकी के साथ मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए शब्दों की बाजीगरी कर गया, लेकिन कांग्रेस इसे सरकार के खिलाफ हमला बोलने की बचकानी भूल कर रही है।
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इसको लेकर ही टीएफआई के कंसल्टिंग एडिटर अजीत दत्ता ने ट्विटर पर लिखा कि ‘कांग्रेस अपने राजनीतिक गर्त में जाने की जिम्मेदार है, लेकिन उसे पूरी तरह बर्बाद करने की तैयारी लुटियंस मीडिया ने ही कर रखी है’। ये जरूर एक व्यंग्य है लेकिन ये आज के दौर में कांग्रेस और लुटियंस मीडिया की असल सच्चाई है।
The Congress Party was responsible for its own downfall, but the Lutyens media will be responsible for its complete extinction. How both sides just don't realise this is unbelievably funny.
— Ajit Datta (@ajitdatta) July 20, 2021
संसद सत्र की शुरुआत के ठीक पहले लुटियंस मीडिया के समूह ‘द वायर’ ने पेगासस का मुद्दा उठाकर कांग्रेस की मदद करने की कोशिश की है, लेकिन कांग्रेस को इन सबसे नुकसान ही हो रहा है। संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस नेता बवाल कर रहे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि राहुल गांधी जैसे नेताओं और वामपंथी पत्रकारों की जासूसी करके मोदी सरकार लोकतंत्र की हत्या करने के साथ ही निजता का उल्लंघन कर रही है। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा मुद्दा यही है कि उनके नेता की जासूसी हो रही है और उनके समर्थन में एजेंडा चलाने वाले पत्रकारों को निशाने पर लिया जा रहा है।
सरकार कोरोनावायरस के दौरान रोकथाम के लिए क्या काम कर रही है, इससे कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसके विपरीत सवाल ये उठता है कि सरकार देश के किन नेताओं और पत्रकारों की जासूसी कर रही है इस मुद्दे पर जनता क्या सोचती है…? असल बात तो ये है कि जनता को अपने मुद्दों से मतलब है। जासूसी के मामलों से जनता को कोई मतलब नहीं है, क्योंकि ये राजनीतिक दलों के अपने निजी मसले हैं। लुटियंस मीडिया के पत्रकारों की बात करें तो इसमें राजदीप सरजदेसाई से लेकर रवीश कुमार, द प्रिंट वाले शेखर गुप्ता, अभिसार, रोहिणी सिंह, स्वीति चतुर्वेदी जैसे कथित पत्रकार हैं; जो कि पेगासस के इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं। इन पत्रकारों के कारण ही कांग्रेस इस मुद्दे को अजीबों गरीब रंग देने में लगी हुई है। ‘द वायर’ जैसे संस्थान ने बिना किसी सोर्स और सत्यापन के शब्दों की बाजीगरी के जरिए एक खबर लिख दी और कांग्रेस उसको लेकर छाती पीट रही है। अब अगर इन्हें विपक्ष चुनावी मुद्दा बनाने की योजना बना रही है तो उसे फायदा केवल मोदी सरकार को ही होगा क्योंकि समर्थक तो यही चाहते हैं कि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों पर निगरानी रखी जाये।
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हालांकि, पेगासस के कांड से जनता का लेश मात्र भी जुड़ाव नहीं है। ऐसे में कांग्रेस चाहे जितना भी सवाल उठाए लेकिन उसे कुछ भी खास हासिल होने वाला नहीं है। इसके विपरीत इसका फायदा बीजेपी को ही मिलेगा। राहुल गांधी जैसे राजनेताओं के भ्रष्टाचार से लेकर वामपंथी पत्रकारों की फेक न्यूज के चलते जनता भी चाहती है कि इनकी परत दर परत जांच हो। जनता इस पेगासस के कांड को मोदी सरकार के लिए सकारात्मक रुख देख सकती है, जिसमें नुकसान कांग्रेस को ही होगा। वैसे ये कोई पहला मामला नहीं है कि लुटियंस मीडिया किसी फेक एजेंडे के तहत खबर प्रकाशित करे और कांग्रेस उसका राजनीतिक इस्तेमाल करने की कोशिश में अपना ही नुकसान कर ले।
याद कीजिए साल 2018 के मध्य में ‘द हिन्दू’ ने फ्रांस से भारत की राफेल लड़ाकू विमानों की डील को लेकर बिना किसी सत्यापन के खबर प्रकाशित की थी, और कांग्रेस उस मामले को ले उड़ी थी। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए राफेल में घोटाले होने की बात कहकर पीएम मोदी पर बट्टा लगाने की कोशिश की। राहुल गांधी अपनी चुनावी रैलियों से लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस तक में राफेल को मुद्दा बनाते रहे, लेकिन राहुल के हाथ केवल हार ही लगी। सुप्रीम कोर्ट से लेकर सीएजी तक ने मोदी सरकार को क्लीन चिट दी। यही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे का फायदा भाजपा की जीत के रूप में स्पष्ट दिखाई दे रहा था। कुछ इसी तरह कांग्रेस के किसी भी नेता पर पुराने भ्रष्टाचार को लेकर कार्रवाई होती है, तो कांग्रेस तुरंत इसे केन्द्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग बता देती है।
कोरोना वैक्सीनेशन के मसले पर खबरें फैलाईं गईं कि वैक्सीन की क्षमता कम है, फिर नया मुद्दा वैक्सीन का विदेशों में निर्यात था; इसके बाद ऑक्सीजन के निर्यात का मुद्दा बनाया गया। इन सबके जरिए कोशिश की गई है कि मोदी सरकार की छवि खराब की जाए। कांग्रेस के लिए एजेंडा चलाने वाले ये पत्रकार ऐसी खबरें लाए जो तथ्यों की कसौटी पर दो पल भी न टिक सके। कांग्रेस ने इन सबके जरिए राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की, लेकिन हुआ क्या? जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस के हिस्से हार लगी।
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पेगासस का मुद्दा ऐसे समय पर उठाया गया जब देश में पुनः 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों की आहट सुनाई देने लगी है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश का चुनाव है, ऐसे में कांग्रेस इस पेगासस के मुद्दे के जरिए अपने लिए माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, इसका उत्तर प्रदेश की जनता से उतना ही सरोकार है जितना क्रिकेट गेंद का फुटबॉल से… यानी कोई नहीं। कांग्रेस लुटियंस मीडिया की कथित खोजी पत्रकारिता और असल ढोंगी पत्रकारिता के चक्कर मे आए दिन अपनी भद्द पिटवा रही है।
लुटियंस मीडिया के पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो उनके द्वारा प्रकाशित फर्जी खबरों के आधार पर कांग्रेस ने जो भी मुद्दे उठाए, वो सभी कांग्रेस के लिए मुसीबत बने हैं। इनके कारण कांग्रेस की विश्वसनीयता बढ़ने के बजाए घट ही गई है। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि पेगासस का मुद्दा भी कांग्रेस को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों कुछ खास फायदा नहीं पहुंचा पाएगा। वहीं, लुटियंस मीडिया के पैटर्न के आधार पर ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस को बर्बाद करने के लिए इन पत्रकारों ने कोई खास सुपारी ले रखी है और ये कांग्रेस को 2024 में लगभग खत्म कर सकती है।