केंद्रीय स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन ने पश्चिम बंगाल सरकार की, उसके नए कोरोना वैक्सीनेशन पोर्टल के लिए, कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि नया पोर्टल वैक्सीनेशन की प्रामाणिकता को प्रभावित करेगा। पश्चिम बंगाल सरकार ने भारत सरकार के cowin पोर्टल की तरह Benvax नामक पोर्टल बनाया है। पश्चिम बंगाल सरकार की पूरी वैक्सीनेशन प्रक्रिया इसी पोर्टल के जरिए संचालित हो रही है। डॉ० हर्षवर्धन ने कहा है की यह पोर्टल तमाम तरह की कठिनाइयां और भ्रम पैदा करेगा। उन्होंने कहा है कि वह भारत के वैक्सीनेशन प्रक्रिया को तृणमूल कांग्रेस के जंगल राज से प्रभावित नहीं होने देंगे।
डॉ० हर्षवर्धन ने बताया कि Benvax का सारा प्रकरण सुवेन्दु अधिकारी की ओर से उनके सामने लाया गया था। सुवेन्दु अधिकारी ने ही पश्चिम बंगाल में Benvax के कारण हो रही गड़बड़ की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को दी है। पश्चिम बंगाल में इस पोर्टल के जरिये लोगों को वैक्सीन लग रही है, उसकी प्रमाणिकता नहीं है, स्थानीय स्तर पर तैयार सर्टिफिकेट बांटे जा रहे हैं, जिसपर ममता बनर्जी की फोटो लगी हुई है।
बता दें कि भारत में वैक्सीनेशन की पूरी जिम्मेदारी और आर्थिक बोझ केंद्र के पास है। केंद्र राज्यों को मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करवा रहा है और ममता बनर्जी केन्द्र की दी हुई वैक्सीन को अपनी फोटो वाले सर्टिफिकेट के साथ बांट रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि Benvax के जरिये किसे किसे वैक्सीन दी जा रही है, इसकी कोई जानकारी है या नहीं, जानकारी है तो वह प्रामाणिक है या नहीं यह नहीं पता। ऐसे में भारतीय वैक्सीन का लाभ आम भारतीयों को मिल रहा है या बांग्लादेशी घुसपैठियों को, यह भी नहीं पता।
अभी हाल ही में कोलकाता में एक मामला सामने आया था, जिसमें कोविशिल्ड का लेबल लगाकर Amikacin Sulphate 500 m नाम की दवा लोगों को लगा दी गई थी। एन्टी बैक्टीरियल इंजेक्शन को कोरोना वैक्सीन बनाकर लगा दिया गया। पुलिस ने देबांजन देब को गिरफ्तार किया जो स्वयं को IAS बताता रहा था। यह तमाशा पश्चिम बंगाल की राजधानी में हो रहा है तो बाकी राज्य में धांधली का स्तर क्या होगा इसकी कल्पना की जा सकती है। एक ओर यह धांधली चल रही है, दूसरी ओर ममता बनर्जी ने BENVAX लांच करके इस धांधली को खुली छूट दे दी है। ममता का यह रवैया, जिसके तहत वह पश्चिम बंगाल के लिए देश के एकीकृत पोर्टल से अलग नया पोर्टल दे रही हैं, देश तोड़ने वाली मानसिकता का प्रमाण है।
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केंद्र के प्रति राजनीतिक प्रतिद्वंदिता एक बात है और देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाना दूसरी बात है। ममता बनर्जी ने जिस प्रकार से अबतक हर केंद्रीय मदद का विरोध किया है, आपदा पर बुलाई गई मीटिंग को राजनीति का अड्डा बनाया है, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के काम में बाधा पहुंचाई है, यह सभी काम पश्चिम बंगाल की राजनीति को बहुत गलत दिशा में ले जा रहा है। यही हाल रहा तो तृणमूल की बंगाली पहचान की राजनीति अलगाववाद के स्तर पर कभी भी पहुंच सकती है।