प्रधानमंत्री मोदी के मन में कब क्या चल रहा है ये कोई नहीं बता सकता। इसका सबसे बड़ा उदाहरण, हाल ही में हुए केन्द्रीय मंत्रिमंडल विस्तार है, जिसमें कई नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, लेकिन इस बार युवाओं को इसका उत्तर दायित्व सौंपना मोदी का मास्टरस्ट्रोक कहा जा सकता है। इसी में बेहद अहम बदलाव के तौर पर डॉ हर्षवर्धन से स्वास्थ्य मंत्रालय और सदानंद गोडा से रसायन और उवर्रक मंत्रालय लेकर पूर्व में रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री का प्रभार संभाल रहे मनसुख लाल मंडाविया को सौंप दिया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय के पीछे मनसुख मंडाविया की गहरी सोच और कम उम्र में प्राप्त लंबा अनुभव -दो बेहद अहम कारण हैं। मनसुख मंडाविया मूलतः गुजरात से ताल्लुक रखते हैं और वह 2002 में गुजरात के सबसे कम उम्र के विधायक बनने वाले व्यक्ति थे। विभिन्न राज्य सरकार के आयोगों में उनके काम को सराहा गया।
मनसुख मंडाविया ने 2012 में राज्यसभा पहुंचकर संसद का सफर शुरू किया और प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में उन्हें अपनी केबिनेट में शामिल करते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय समेत जहाजरानी मंत्रालय और रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री का दायित्व सौंपा। तदोपरांत उन्हें 2018 में पुनः राज्यसभा सांसद के रूप में चुना गया और 2019 में चुनावों के बाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें जहाजरानी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री बनाया गया ।
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गुजरात में विधायक रहते हुए मनसुख मंडाविया ने अपनी छवि समाज के लिए एक समर्पित जनप्रतिनिधि की बनाई। उस दौरान विधायक के तौर पर तो लोग उन्हें जानते ही थे ही पर जिस बात ने उन्हें खास बनाया, वो था समाज को जागरूक करने के लिए की गईं उनकी पदयात्राएँ । 2005 में बतौर विधायक उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के अधिकार हेतु अपनी पालीताना विधानसभा के अंतर्गत आने वाले 45 शैक्षिक रूप से पिछड़े गांवों से 123 किमी की दूरी तय की ।
इसके बाद उन्होंने दूसरी महत्वपूर्ण पदयात्रा 2007 में की जिसका मूल उद्देश्य ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘व्यासन हटाओ’ के तहत थी, जिसमें उन्होंने 127 किलोमीटर के 52 गांवों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया था। इससे उन्हें समाज सुधारक की भूमिका में देखा जाने लगा और वो चिर –परिचित हुए ।
मोदी मंत्रिमंडल में शपथ ग्रहण के बाद मनसुख मंडाविया को सॉफ्ट-टार्गेट समझते हुए उनके पुराने ट्वीट उठाकर उनकी अंग्रेज़ी के लिए जगहसायी करने की कोशिशें की जा रही है। अगर विपक्षी स्वास्थ्य समेत उनके पूर्व में अधिकृत मंत्रालय में किए गए अभूतपूर्व कार्यों पर नज़र डाले तो पता चलेगा कि उन्होंने कितने बेहतरीन काम किए हैं।
अपनी राजनीतिक परिपक्वता और नेतृत्व कौशल के चलते, उन्हें 2015 में संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था, जहां उन्होंने “सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा” पर अपना संबोधन दिया था। कोरोना और कोरोना से पूर्व रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री के तौर पर उन्होंने सस्ते दामों पर 850 से अधिक दवाओं को उपलब्ध कराने से लेकर हार्ट स्टेंट और घुटने के प्रत्यारोपण की लागत को कम करने के लिए पूरे देश में 5100 से ज़्यादा जन औषधि केंद्र स्थापित किए थे, फिर असहाय और ज़रूरतमंद मरीजों को महंगी से महंगी दवाएं कम दाम में मिलने लगी। इस मूलभूत परिवर्तन का श्रेय मनसुख मंडाविया को ही जाता है।
राजनीति में रहने और राजनीति करने के लिए दो पक्ष होते हैं या तो आप खुद के लिए कर रहे हैं या समाज के लिए। तथाकथित विपक्षी मनसुख मंडाविया के काम को नज़रअंदाज़ करके उनके पुराने ट्वीट्स के जरिए उन पर वार कर रहे हैं और यह विपक्ष की विकृत और छोटी सोच का प्रमाण है।