बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति को लेकर कहा जा सकता है कि वो कब कैसे पलट जाएं… ये कोई नहीं जानता। भले ही वो बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार चला रहे हों, लेकिन विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान के कारण जेडीयू को नुकसान हुआ, नीतीश इसके पीछे बीजेपी को भी जिम्मेदार मानते हैं। ऐसे में चिराग पासवान की पार्टी में फूट के बाद ये कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने उनसे अपना राजनीतिक बदला ले लिया है, लेकिन अब वो बीजेपी को झटका देने के मूड में है। जेडीयू उत्तर प्रदेश में 200 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, और बीजेपी से गठबंधन करना चाहती है। ऐसे में बीजेपी गठबंधन करती है तो उसे बड़ा घाटा हो सकता है, इसलिए जेडीयू को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए महत्व नहीं दिया जाना चाहिए।
बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की हालत 2020 के विधानसभा चुनावों में बेहद पतली हो गई थी, जिसकी वजह चिराग पासवान की पार्टी का अकेले जेडीयू के खिलाफ चुनाव लड़ना माना जा रहा था। चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी में हाल के दिनों में पड़ी फूट के लिए नीतीश कुमार की पार्टी को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। वहीं, अब चिराग को रोकने में नाकाम होने वाली बीजेपी से बदला लेने के लिए नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जेडीयू को उतारने की तैयारी कर ली है।
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यूपी के 2020 विधानसभा चुनाव को लेकर जेडीयू का कहना है कि वो बीजेपी के साथ एनडीए में शामिल होकर 200 सीटें लड़ना चाहती हैं, अगर बीजेपी नहीं मानी तो फिर जेडीयू अकेले चुनाव लड़ेगी। इस मामले जेडीयू के प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश प्रभारी केसी त्यागी ने कहा, “हमने यूपी विधानसभा चुनाव में 200 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। गठबंधन बनाने के लिए हमारी पहली प्राथमिकता बीजेपी होगी। अगर यह अमल में नहीं आता है, तो हम असम, झारखंड और पश्चिम बंगाल की तरह अकेले जाएंगे।”
बीजेपी की स्थिति को कमजोर बताते हुए केसी त्यागी ने कहा है कि अब बीजेपी को साथियों की जरूरत पड़ने वाली है। उन्होंने कहा, “सच कहूं तो बीजेपी की वर्तमान स्थिति 2017 के जैसी नहीं है जब उसने 312 सीटें जीती और सत्ता में आई। आज चल रहे किसान आंदोलन से करीब 100 विधानसभा सीटें सीधे तौर पर प्रभावित हैं। पश्चिमी यूपी में 17% आबादी वाले अधिकांश जाट बीजेपी से नाखुश हैं। इसलिए बीजेपी को एक सहयोगी की जरूरत है।”
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जेडीयू के इस कदम को बीजेपी से बदले के तौर पर देखा जा रहा है, साल 2020 में जब चिराग ने अकेले चुनाव लड़ने की बात कही थी, तो नीतीश ने बीजेपी से इस मामले को सुलझाने की मांग की थी, लेकिन बीजेपी ने कुछ नहीं किया। वहीं, इसका नुकसान चुनाव में जेडीयू को हुआ। ऐसे में अब बीजेपी की मुसीबत बढ़ाने की नीयत से नीतीश जेडीयू को उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में जनाधार की बात करें तो जेडीयू शून्य ही है, ऐसे में दबाव में आकर यदि बीजेपी जेडीयू के साथ गठबंधन करती है तो पार्टी को तगड़ा नुक़सान हो सकता है। बीजेपी न केवल उत्तर प्रदेश में अपना जनाधार खो सकती है, बल्कि पार्टी के हाथ से सत्ता भी निकल सकती है। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि जेडीयू द्वारा चाहें जितनी भी धमकियां दी जाएं, लेकिन बीजेपी को जेडीयू से गठबंधन नहीं करना चाहिए।