हाल ही में महिला भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रच दिया। 2017 में भारोत्तोलन यानि वेटलिफ्टिंग के विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में 49 किलो वर्ग में 202 किलो का कुल भार उठाते हुए रजत पदक प्राप्त किया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस अवसर पर भी कमियाँ निकालने में जुटे हुए हैं, ताकि कैसे भी करके मीराबाई चानू का उपहास उड़ाया जा सके, और मोदी सरकार का उनके पदक में योगदान छुपाया जा सके।
निस्संदेह मीराबाई चानू की उपलब्धि से पूरे देश में हर्षोल्लास का माहौल है और सभी उत्सव मना रहे हैं। लेकिन कुछ निकृष्ट लोग ऐसे भी हैं जो इस अवसर पर भी कमियाँ निकालने में लगे हुए हैं। एक ओर काँग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दैनिक भास्कर का एक अपमानजनक कार्टून शेयर किया, जिसमें पेट्रोल के बढ़ते दामों पर मोदी सरकार पर तंज कसने के नाम पर मीराबाई के रजत पदक का मज़ाक उड़ाया गया।
वहीं दूसरी ओर द वायर की कुख्यात पत्रकार रोहिणी सिंह ने भारतीय वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के एक अफसर को सिर्फ इसलिए अपमानित करना शुरू कर दिया, क्योंकि उन्होंने बताया कि कैसे मोदी सरकार ने मीराबाई चानू के लिए सही समय पर सुविधाओं का प्रबंध किया था।
और पढ़ें :PM मोदी के विरोध में दैनिक भास्कर और कांग्रेस ने ओलंपिक रजत विजेता मीराबाई चानू का किया अपमान
लेकिन वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के अफसर ने ऐसा क्या शेयर किया, जिस पर रोहिणी सिंह भड़क उठी? ऐसा क्या है कि मोदी सरकार के बारे में एक भी सकारात्मक खबर छपने से वामपंथी ऐसे तड़पने लगते हैं, जैसे जल बिन मछली? दरअसल, अभी हाल ही में मीराबाई चानू की उपलब्धियों पर भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष बिरेन्द्र प्रसाद बैश्य ने टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले एथलीटों की सहायता हेतु पीएम नरेंद्र मोदी का अभिवादन किया। इस पर रोहिणी सिंह ने तंज कसते हुए ट्वीट किया, “किसलिए हम उनका शुक्रिया करें? वज़न उठाने के लिए?” –
Grateful to the prime minister for what exactly? Lifting weights on her behalf? https://t.co/x9ErVfWvU7
— Rohini Singh (@rohini_sgh) July 25, 2021
इसमें कोई दो राय नहीं है कि रोहिणी सिंह घोर वामपंथी पत्रकार है, जिनका काम मोदी विरोध करते रहना है। लेकिन उनका अंध विरोध यूं ही नहीं है। वह असल में जनता को मोदी सरकार के योगदान से अनभिज्ञ रखना चाहती है। वो कैसे?
असल में रियो ओलंपिक के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद PM मोदी ने खेल जगत में व्यापक बदलाव की नींव रखने का निर्णय किया था। इसी के अंतर्गत 2016 में ही लॉन्च किए गए टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम यानि TOPS और स्कूली स्तर पर खेलों इंडिया अभियान को और अधिक धार दी गई।
TOPS के अंतर्गत उन खिलाड़ियों को विशेष रूप से चिन्हित किया गया, जिनमें देश को ओलंपिक में पदक जिताने की क्षमता स्पष्ट दिखाई देती थी। 2018 में मीराबाई चानू को विश्व चैम्पियनशिप और राष्ट्रमंडल खेल के उनके ऐतिहासिक प्रदर्शन के चलते शामिल किया गया था। द ब्रिज नामक स्पोर्ट्स वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में की गई मीराबाई चानू की विशेष ट्रेनिंग के लिए उन पर अब तक कुल 1.3 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जिसमें से 51.51 लाख रुपये तो विशेष तौर पर कोविड लॉकडाउन के पश्चात अमेरिका में विशेष ट्रेनिंग के लिए दिए गए।
कोरोना वायरस की महामारी के कारण जब देश में लॉकडाउन लगा, तो उसके कारण देश में काफी पाबंदियाँ भी लगी थी। हालांकि, अमेरिका में उस समय इतनी पाबंदियाँ नहीं थी, और ऐसे में मोदी सरकार के तत्कालीन खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने विशेष कदम उठाते हुए लॉकडाउन के लगने से ठीक पहले मीराबाई चानू को कोच विजय शर्मा सहित अमेरिका भेजा, ताकि वह टोक्यो पूरी तरह से तैयार होके जा सके –
India strikes first medal at Olympic #Tokyo2020
Mirabai Chanu wins silver Medal in 49 kg Women's Weightlifting and made India proud🇮🇳
Congratulations @mirabai_chanu ! #Cheer4India pic.twitter.com/NCDqjgdSGe— Kiren Rijiju (मोदी का परिवार) (@KirenRijiju) July 24, 2021
Olympic Bronze medalist & #TOPSAthlete @MangteC praises #SAI's @kheloindia and #TOPS initiative and wishes all athletes and sports fans luck for 2021.@KirenRijiju @DGSAI @RijijuOffice @PIB_India @PMOIndia @IndiaSports @YASMinistry @mygovindia @WeAreTeamIndia @ddsportschannel pic.twitter.com/CJUITYkCji
— SAI Media (@Media_SAI) January 3, 2021
राष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग कोच विजय शर्मा के अनुसार, “अमेरिका में ट्रेनिंग के वो दो दौरे बहुत ही अहम थे। भारत में जितनी पाबंदियाँ थी, उसके मुकाबले अमेरिका में उतनी नहीं थी, और हम स्वच्छंद तौर पर ट्रेनिंग कर सकते हैं। हम मीराबाई की खूबियों और कमजोरियों पर भी यहाँ बिना किसी चिंता के काम कर सके हैं। हम खेल मंत्रालय के आभारी हैं, जो उन्होंने अपने आप हमसे संपर्क करके हमें तत्काल प्रभाव से भारत से अमेरिका भेजा।”
इसके अलावा मोदी सरकार ने खेलों पर जो खर्च है, उसमें भी काफी बदलाव किया है। पहले राज्यवर्धन सिंह राठौर और फिर किरेन रिजिजू के नेतृत्व में खेल मंत्रालय ने भारतीय खेलों की दशा सुधारने की दिशा में बहुत काम किया है। केवल स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने ही पिछले 5 वर्षों में 1200 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। इसका एक असर स्पष्ट तौर पर यूथ ओलंपिक 2018 में दिखा। युवा खेलों में भी भारत को जहां मात्र 1 से 2 पदक मिलते हैं, वहाँ से भारत को 3 स्वर्ण पदक, 9 रजत पदक और 1 कांस्य पदक प्राप्त हुआ। टोक्यो में भी आशा की जा रही है कि ऐसा ही कुछ चमत्कार देखने को मिले, और पहले ही दिन मीराबाई चानू ने इसे सिद्ध भी किया है।
कोरोना वायरस की महामारी के कारण खेल बजट को आवंटन में भले नुकसान रहा हो, परंतु साई और राष्ट्रीय खेल महासंघों को केंद्र सरकार ने वित्तीय सहायता की कोई कमी नहीं होने दी है। पिछली बार के मुकाबले टोक्यो ओलंपिक को देखते हुए स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को 500 करोड़ रुपये के मुकाबले 660.41 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय खेल संगठनों को पिछली बार के 245 करोड़ के मुकाबले 280 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे –
अब सोचिए, यदि ये सारी बातें जनता के समक्ष आएंगी, तो कोई वामपंथियों के सफेद झूठ पर ध्यान क्यों देगा? इसीलिए रोहिणी सिंह और रणदीप सुरजेवाला जैसे लोग जानबूझकर मोदी सरकार के उपहास के नाम पर देश के गौरव को नीचा दिखाते हैं, ताकि मोदी सरकार के अच्छे काम कभी सामने न आ सके। लेकिन सूर्योदय को भला कोई रोक पाया है?