कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इन दिनों उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार की तैयारी जोरों शोरों से कर रही हैं। यह सच है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का कोई जनाधार नहीं है। इसके बावजूद प्रियंका गांधी एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं। इसी कड़ी में हाल ही में उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अन्य दल से गठबंधन के लिए तैयार है। हालांकि, किसी अन्य दल ने कांग्रेस के साथ विलय करने का कोई संकेत नहीं दिया है पर जिस तरह से प्रियंका पार्टी की हर रणनीति पर नजर रख रही हैं उसे देखकर लगता है जैसे ये उनकी पर्सनल लड़ाई ज्यादा है जहां उनकी टक्कर उनके भाई राहुल गांधी से है।
इस बात से प्रियंका गांधी वाड्रा भी भली भांति परिचित हैं कि, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सबसे कमजोर पार्टी है। वह किसी भी हाल में बीजेपी को टक्कर देने में असमर्थ हैं। यह जानते हुए भी प्रियंका गांधी चुनावी दंगल में कूद चुकी हैं। ऐसा लग रहा है मानो यह चुनाव प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीतिक सफर की अग्नि परीक्षा है। ऐसा इसलिए क्योंकि देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी की नेत्री प्रदेश की छोटी पार्टियों से जुड़ने के लिए खुला न्योता दे रही है। अर्थात, प्रियंका गांधी के सामने यह मजबूरी आ गई है कि उन्होंने खुद से ही छोटे दलों के लिए गठबंधन के दरवाजे खोल दिए हैं, वहीं राहुल गांधी इस पर कुछ खास एक्टिव नहीं नजर आ रहे।
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फिलहाल, प्रियंका गांधी वाड्रा एक विकट परिस्थिति में फँसी हुई हैं। उनके ऊपर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी है और यह जिम्मेदारी इससे पहले 2017 विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी को दी गई थी। नतीजा यह हुआ था कि कांग्रेस पार्टी “सिंगल डिजिट” में ही सिमट गई थी। कांग्रेस पार्टी को मात्र 7 सीटें ही मिली थी। 2017 विधानसभा चुनाव के बाद यह साबित हो चुका था कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में बुरी तरफ से विफल हो चुके हैं, जो बचा खुचा संदेह था वह राहुल गांधी ने 2019 अमेठी से लोकसभा चुनाव में हार कर पूरा कर दिया है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की इस विफलता को देखते हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बागडोर प्रियंका गांधी के हाथों में दिया गया है। प्रियंका गांधी चुनाव की तैयारी में जी जान से लगी हुई है क्योंकी उन्हें अपने भाई राहुल गांधी से बेहतर करना है। यानी कांग्रेस को साल 2017 विधानसभा चुनाव से अच्छा प्रदर्शन करना है।
बहरहाल, सोनिया गांधी ने प्रियंका गांधी को 2019 के आम चुनावों में उत्तर प्रदेश का दायित्व सौंपा था, लेकिन प्रियंका गांधी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई थीं। ऐसे में माना जा रहा है कि यह मौका कांग्रेस पार्टी के अस्तित्व को बचाने के लिए तो है ही पर प्रियंका गांधी की साख बचाने के लिए ज्यादा है।
आपको बता दें कि राहुल गांधी प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा किए जा रहे चुनावी सम्मेलनों को लेकर ज्यादा उत्साही नजर नहीं आ रहे हैं। राहुल गांधी ने अपने ट्विटर पर प्रियंका गांधी वाड्रा के यूपी चुनाव प्रचार से संबंधित किसी भी तस्वीर या पोस्ट को न तो रीट्वीट किया है और न ही उन्हें लाइक किया है। राहुल गांधी अपने ट्विटर पर तमाम चीजें साझा कर रहें है, परन्तु यूपी चुनाव यानी प्रियंका गांधी से जुड़ा कुछ भी साझा करने से बच रहें है। यह तथ्य भाई- बहन के बीच चल रहें तनाव की ओर इशारा कर रहा है।
ऐसे में प्रियंका गांधी के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। अगर कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई तो संभवतः प्रियंका गांधी वाड्रा को राजनीति से दरकिनार कर दिया जाएगा। वहीं, दूसरी तरफ अगर कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है तो राहुल गांधी से ज्यादा महत्व प्रियंका को मिल सकती है।
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ऐसा लगता है, यह कांग्रेस पार्टी के अंदर अपना वर्चस्व स्थापित करने की लड़ाई है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि 2022 यूपी विधानसभा चुनाव बीजेपी और अन्य दल के खिलाफ नहीं, बल्कि प्रियंका बनाम राहुल गांधी है।