मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन ?
कर्नाटक में बीजेपी ने जिस तरह से बीएस येदियुरप्पा को लंबे कार्यकाल के बाद नेतृत्व परिवर्तन करते हुए उन्हें किनारे किया है, वो इस बात का पर्याय है कि पार्टी अब बड़ा राजनीतिक कद होने के बावजूद नेतृत्व परिवर्तन से पीछे नहीं हटेगी। आज की बात करें तो बीजेपी का नेतृत्व राजस्थान और मध्य प्रदेश को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में युवा एवं नई पीढ़ी के नेताओं के हाथों में है। ऐसे में कर्नाटक के प्रकरण के बाद ये तय है कि राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी नेतृत्व परिवर्तन अवश्य होगा, लेकिन सवाल यह है की मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?
राजस्थान में बीजेपी की हार के बाद वसुंधरा किनारे की जा चुकी हैं, और अब ये माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश में मामा शिवराज सिंह चौहान को भी केंद्र की राजनीति में लाकर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन किया जा सकता है, और मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री गृहमंत्री का पद संभाल रहे नरोत्तम मिश्रा हो सकते है।
अब सवाल यह है की मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा और क्यों? तो आपको बता दे की अगले मुख्यमंत्री के तौर पर जो नाम सबसे अधिक चर्चा का विषय है, वो गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा हैं। कट्टर हिन्दूवादी छवि वाले नरोत्तम को गृहमंत्रालय मिलना ही स्पष्ट करता है कि वो सरकार में कितने अधिक महत्वपूर्ण हैं। 2020 में भी उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की चर्चाएं थीं, लेकिन शिवराज के कद के आगे बीजेपी बीच विधानसभा कार्यकाल के दौरान कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी।
नरोत्तम मिश्रा मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बन सकते है, कारण?
नरोत्तम मिश्रा के राजनीतिक कौशल की बात करें तो मध्यप्रदेश प्रदेश की दतिया विधानसभा से चुनकर आते हैं , वो लगातार 6 बार से पार्टी के लिए विधानसभा चुनाव जीतकर आ रहे हैं। सरकार से लेकर संगठनात्मक कार्यों में नरोत्तम मिश्रा की भूमिका अहम रहती है।
बीजेपी उनके राजनीतिक कौशल को अच्छे से जानती है, यही कारण है कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने उन्हें अहम जिम्मेदारियां दीं थीं। हिंदूवादी चेहरा माने जाने वाले नरोत्तम की छवि त्वरित फैसले लेने की है, जो कि बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं की USP भी है।
केवल राजनीतिक ही नहीं प्रशासनिक स्तर पर भी नरोत्तम का अनुभव प्रशंसनीय है। राज्य में लव जिहाद के मुद्दे पर आक्रामक रवैया अपनाने से लेकर उसके लिए कानूनी प्रावधान तैयार करने में नरोत्तम मिश्रा की मुख्य भूमिका है।
और पढ़ें- लव जिहाद और गौ-कैबिनेट पर फैसला ले, हिंदुत्व इस बार की मध्यप्रदेश सरकार का मुख्य एजेंडा
जानकार ये भी मानते हैं कि बीजेपी शासित राज्यों में अगर कहीं सबसे सख्त लव जिहाद का कानून है, तो वो मध्य प्रदेश में है, जिसका श्रेय नरोत्तम मिश्रा को ही जाता है। इसके अलावा ओटीटी प्लेटफॉर्म्स में हिंदुओं की छवि धूमिल करने और देवी देवताओं के अपमान को लेकर भी नरोत्तम मिश्रा ने मध्य प्रदेश से सबसे पहले आवाज उठाई, जिसका नतीजा ये कि केन्द्र और सुप्रीम कोर्ट के संज्ञानों के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को झुकना पड़ा।
बीजेपी अन्य मुख्यमंत्री के विकल्प पर क्यों विचार कर रही है?
हालांकि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का रवैया भी इस कार्यकाल में आक्रामक हुआ है लेकिन अब बीजेपी राज्य में भविष्य की राजनीति के लिए एक नए चेहरे की तलाश में है, जिसकी पटकथा 2018 में ही लिख दी गई थी। इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक कुशल राजनेता हैं, और उनका राजनीतिक अनुभव बीजेपी के लिए मुश्किल समय में भी काम आया है; किन्तु भविष्य को देखते हुए बीजेपी की केंद्रीय ईकाई धीरे-धीरे बड़े फैसले लेती रहती है।
साल 2018 के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद ही बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को केन्द्र में लाने की तैयारी कर ली थी, किन्तु उस दौरान शिवराज ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा, क्योंकि शिवराज को पता था कि कमलनाथ की सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर सकेगी। शिवराज की सोच सही साबित हुई, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने अपमान के कारण कांग्रेस छोड़ बीजेपी में चले गए। उनके साथ विधायकों का एक धड़ा भी गया।
ऐसे में पुनः शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। नेतृत्व परिवर्तन की कोशिश चुनाव में हार के बाद की गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज के कुशल नेतृत्व को देखते हुए, और कांग्रेस से बीजेपी में आए विधायकों के कारण कोई टकराव न पैदा हो; इसलिए शिवराज सिंह चौहान को ही मुख्यमंत्री बनाया गया।
शिवराज सिंह चौहान का भविष्य और संभावनाएं!
इसके विपरीत दिलचस्प बात ये है कि इस बार कैबिनेट में शिवराज के करीबियों को महत्व नहीं मिला; जो उनके लिए भी संकेत था कि ये उनका आखिरी कार्यकाल होगा। ऐसा नहीं है कि पार्टी नरोत्तम मिश्रा को मुख्यमंत्री पद देकर शिवराज सिंह चौहान को पूर्णतः मुख्यधारा की राजनीति से किनारे कर देगी।
शिवराज के पास लगभग 18 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहने का अनुभव है। वो अच्छे से जानते हैं कि ढीठ अधिकारियों से कैसे काम करवाना है, और केन्द्र की राजनीति में ऐसे नेताओं की आवश्यकता भी रहती है। ऐसे में संभव है कि बीजेपी उन्हें केन्द्रीय राजनीति में लेकर आए, और जिस तरह मोदी सरकार में सर्वानंद सोनेवाल और एकनाथ खडसे जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों को मोदी कैबिनेट शामिल किया गया, उसी तरह शिवराज को भी कैबिनेट में जगह दी जा सकती है।
शिवराज एक नर्म स्वभाव के नेता माने जाते हैं। पिछले 16 वर्षों के अपने कार्यकाल में उन्होंने मध्य प्रदेश में बीजेपी को अजेय बना दिया है, और बेहतरीन सीएम की भूमिका निभाई है, लेकिन नई पीढ़ी को विस्तार देने के लिए आवश्यक है कि उन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी होगी। ऐसे में ये माना जा रहा है कि साल 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश को बीजेपी जीत के साथ एक नया मुख्यमंत्री देगी, मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन एक बात तो स्पष्ट है की मुख्यमंत्री के में सबसे आगे नरोत्तम मिश्रा ही हैं।