महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे भी अब दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के रास्ते पर ही चल रहे हैं। कोरोना से लड़ाई में सबसे पीछे रहने वाले मुख्यमंत्री ठाकरे ने 16 महीनों में अपने PR अभियान में 155 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। हालाँकि, यह किसी से छुपा नहीं है कि कोरोना के दुसरे चरण में जब मामले चरम पर थे तब भी महाराष्ट्र में देशभर से सबसे अधिक कोरोना के मामले सामने आ रहे थे और अब भी आ रहे हैं। इसका अर्थ स्पष्ट है कि उद्धव ठाकरे ने कोरोना में प्रशासन न देख PR सोशल मीडिया पर ध्यान दिया।
रिपोर्ट के अनुसार एक RTI से यह बात सामने आई है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने अपनी विभिन्न सार्वजनिक योजनाओं के प्रचार और सोशल मीडिया अभियानों पर 155 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। RTI एक्टिविस्ट अनिल गलगली के RTI पर सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय (DGIPR) ने यह जानकारी दी है।
उद्धव ठाकरे की महाविकास अघाड़ी सरकार ने अकेले सोशल मीडिया पर लगभग 5.99 करोड़ रुपये खर्च किए हैं और प्रचार अभियानों पर हर महीने लगभग 9.6 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि सरकारी अधिकारी इन खर्चों को सही बता रहे हैं।
अनिल गलगली ने एक RTI दायर कर महाविकास अघाड़ी सरकार के गठन के बाद से प्रचार अभियानों पर किए गए विभिन्न खर्चों से संबंधित विवरण की मांग की थी। DGIPR ने 11 दिसंबर, 2019 से 12 मार्च, 2021 तक 16 महीनों के लिए खर्च का विवरण सार्वजानिक किया।
वर्ष 2020 में 26 विभिन्न विभागों के प्रचार अभियान पर कुल 104.55 करोड़ रुपये खर्च किए गए। अनिल गलगली के अनुसार इस खर्च में महिला दिवस के अवसर पर 5.96 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रमों पर 19.92 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र शहरी विकास मिशन के लिए अभियान पर 6.49 करोड़ रुपये, चक्रवात के दौरान 2.25 करोड़ रुपये शामिल हैं।
इससे पहले, MVA सरकार ने अपने टीकाकरण अभियान के प्रचार पर अकेले लगभग 20 करोड़ रुपये खर्च किए, इसके अलावा शिव भोजन योजना के लिए भी एक बड़ी राशि खर्च की गई थी। वर्ष 2021 में, राज्य के 12 विभागों ने 12 मार्च, 2021 तक 29.79 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
इन विभागों में स्वास्थ्य शिक्षा विभाग (15.94 करोड़ रुपये) के बाद जल जीवन मिशन के लिए 1.88 करोड़ रुपये, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 20 लाख रुपये, अल्पसंख्यक विभाग द्वारा 48 लाख रुपये और सोशल मीडिया पर 45 लाख खर्च किए गए है।
अनिल गलगली के अनुसार, यह आंकड़ा और अधिक हो सकता है क्योंकि सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशालय के पास शत-प्रतिशत जानकारी नहीं थी। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में अनिल गलगली ने मांग की है कि सरकार विभागीय स्तर पर होने वाले खर्च, खर्च की प्रकृति और लाभार्थी का नाम सरकारी वेबसाइट पर अपलोड करे।
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TFI ने कुछ दिनों पहले ही बताया था कि किस तरह के दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल विज्ञापन पर पानी की तरह पैसे बहा रहे हैं। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पिछले तीन महीनों में डेढ़ सौ करोड़ रुपए केवल सरकार के प्रचार पर खर्च किए हैं, और ये जानकारी किसी मीडिया रिपोर्ट की नहीं बल्कि RTI के जरिए ही प्राप्त हुई है।
So money spent by @ArvindKejriwal during first 3 months of 2021 on bribing Indian media via ads
Jan: 32.52 cr
Feb: 25.33 cr
Mar: 92.48 crHe spent 1.67 crores per day just on ads.
Imagine the no of oxygen tankers he could have built witt this money? #DilliKaCancer hai ye! pic.twitter.com/zi5VFEB1OK— Alok Bhatt (Modi Ka Parivar) (@alok_bhatt) April 24, 2021
इस खर्च में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया के विज्ञापन भी शामिल हैं। ये रिपोर्ट दिखाती है कि केजरीवाल सरकार की नीयत केवल और केवल प्रचार की रही है, जबकि जनहित से इनका कोई सरोकार नहीं है। ठीक इसी तरह उद्धव ठाकरे भी जनता के लिए कम और अपनी छवि के लिए अधिक काम कर रहे हैं।
आज के दौर में सरकारों को अपने कार्यों की जानकारी लोगों तक पंहुचाने के लिए बेहतरीन प्रचार-प्रसार का विशेष ध्यान रखना होता है, लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार जमीनी स्तर पर कार्यों के विपरीत केवल प्रचार पर ही ध्यान केंद्रित करते रहे हैं, और उनकी मीडिया मैनेजमेंट की इन्हीं हरकतों के चलते ही महाराष्ट्र और दिल्ली की जनता को कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य की प्राथमिक सुविधाओं के लिए तरसना पड़ा था।