कर्नाटक में सियासी उठापटक जारी है। बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। अब इसके बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि अब कर्नाटक का मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? आखिर किसे बीजेपी कर्नाटक की सत्ता पर बिठाएगी? इसमें सबसे पहला नाम प्रह्लाद जोशी का निकलकर आ रहा है। पिछले कई दिनों से इसकी अटकलें हैं कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व प्रह्लाद जोशी को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में है। प्रह्लादत जोशी, मोदी सरकार में मंत्री हैं। उन्हें जमीनी नेता समझा जाता है। कर्नाटक की राजनीति में उनकी जमीन पर मजबूत पकड़ है।
राजनीतिक अटकलों को विराम देते हुए बीएस येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया है। इस्तीफे का ऐलान करते हुए येदियुरप्पा भावुक भी हो गए। भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि ये मेरे लिए अग्निपरीक्षा जैसा था। ऐसे में राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है। सभी के दिमाग में एक ही सवाल है कि येदियुरप्पा के बाद कौन ?
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येदियुरप्पा के बाद कर्नाटक में कौन मुख्यमंत्री हो सकता है इसको लेकर TFI ने पहले भी भी अपनी एक रिपोर्ट में कुछ नामों पर विश्लेषण किया था, जिनमें सबसे ज्यादा चर्चा प्रह्लाद जोशी की थी। अभी भी राजनीतिक अटकलों को अगर डिकोड करें तो पता चलता है कि रेस में प्रह्लाद जोशी का नाम सबसे आगे है। प्रह्लाद जोशी पीएम मोदी के सबसे भरोसेमंद मंत्री हैं। हाल ही में नए मंत्रियों को पीएम मोदी ने जब कामकाज को लेकर मंत्र दिया था, उस मीटिंग में भी प्रह्लाद जोशी ने एक तरह से मॉनिटर की भूमिका निभाई थी। इसके साथ ही जोशी ने बीजेपी के लिए जमीन पर मजबूत काम किया है।
प्रहलाद जोशी के राजनीतिक करियर की बात करें तो वे कर्नाटक के धारावाड़ संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। उन्हें संसदीय कार्यमंत्री का अहम पद मिलना ही बताता है कि वो बीजेपी के लिए कितने अधिक महत्वपूर्ण हैं। धारावाड़ जिले के बीजेपी अध्यक्ष बनने से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले जोशी 2013 में बीजेपी के कर्नाटक ईकाई के प्रमुख बने। कर्नाटक में जमीनी स्तर की राजनीति से लेकर उन्होंने दिल्ली तक की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाई।
वहीं, अगर नेतृत्व परिवर्तन की बात करें तो कर्नाटक में बदलाव का ये बिल्कुल सही समय है। अभी 2021 है और कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने में 2 वर्ष बाकी हैं। जो लोग भाजपा के वर्तमान निर्णय से रुष्ट हुए हैं, या जो भाजपा के निर्णय से रुष्ट हो सकते हैं, विशेषकर लिंगायत समुदाय के सदस्य, जोकि येदियुरप्पा को अपना आदर्श मानते हैं, उन्हे मनाने और समझाने के लिए भाजपा के पास पर्याप्त समय है। प्रह्लाद जोशी संसदीय कार्यमंत्री भी रह चुके हैं, इसलिए यदि वे मुख्यमंत्री बनते हैं तो उन्हे इस समस्या का समाधान करने में कोई भी अड़चन नहीं आएगी।
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ऐसे में यदि प्रह्लाद जोशी को कर्नाटक में मुख्यमंत्री का पदभार सौंपा जाता है, तो ये न सिर्फ उचित होगा, बल्कि आवश्यक भी। ऐसे में वे ‘पैराशूट सीएम’ की उपाधि तो कतई नहीं प्राप्त करेंगे और यह आने वाले समय में भाजपा के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होगा।
प्रह्लाद जोशी के साथ ही कर्नाटक के गृहमंत्री बसवराज बोम्मई का नाम भी मुख्यमंत्री की रेस में चल रहा है। मुख्यमंत्री पद की रेस में होने से संबंधित सवाल से बोम्मई ने किनारा कर लिया था। इससे पहले बोम्मई ने प्रह्लाद जोशी से भी मुलाकात की थी। अब ऐसे में देखना यही होगा कि प्रह्लाद जोशी को कमान मिलती है या पिर बोम्मई की तरफ बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व जाता है।