यदि कोई एक व्यक्ति के प्रति अपनी सदिच्छा या अपनी शुभ कामना प्रकट कर रहा है, तो क्या वह अपराध है? कम से कम वामपंथियों के दृष्टि में तो है, विशेषकर यदि आप राष्ट्रवादी हो। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर तो ये घृणा और ईर्ष्या इतनी बढ़ जाती है कि आप भी एक बार को हैरान रह जाओगे कि यह लोग इतनी घृणा और ईर्ष्या लाते कहाँ से हैं?
हाल ही में खेलों का महाकुंभ कहे जाने वाले ओलंपिक खेल टोक्यो में सम्पन्न हुए। कोविड की महामारी के बावजूद ये खेल टोक्यो में आयोजित हुए, इस दौरान दर्शकों की उपस्थिति पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इन खेलों में भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 7 पदक जीते, जिसमें 1 स्वर्ण पदक, 2 रजत पदक और 4 कांस्य पदक भी शामिल थे।
इन खेलों में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सक्रिय रूप से खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया। उनका न केवल पीएम मोदी ने अभिवादन किया, अपितु उन्हे स्वयं फोन पर बधाई भी दी। यही नहीं, जब महिला हॉकी टीम ग्रेट ब्रिटेन से 3-4 से कांस्य पदक के मुकाबले में पराजित हुई, तो बिलख रही महिलाओं को सांत्वना देने के लिए पीएम स्वयं आगे आए। लेकिन इतना वात्सल्य भी कुछ वामपंथियों को रास न आया। मोदी विरोध में वे इतना गिर चुके हैं कि वे संभवत: मानसिक संतुलन भी खो चुके हैं।
उदाहरण के लिए अजीत अंजुम के इस ट्वीट को देख लीजिए। अभिनव बिंद्रा के बाद भारत के दूसरे व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा को जब पीएम मोदी ने स्वयं बधाई दी, तो उस पर तंज कसते हुए इंडिया टीवी के इस पूर्व पत्रकार ने ट्वीट किया, “स्पीकर फोन पर बधाई देते देश के सुपर स्पीकर। पब्लिसिटी का कोई मौका न छूट जाए”।
स्पीकर फोन पर बधाई देते देश के सुपर स्पीकर
पब्लिसिटी का कोई मौका छूट न जाए pic.twitter.com/MErWwQ1dN4— Ajit Anjum (@ajitanjum) August 7, 2021
अब एक उत्कृष्ट खिलाड़ी को उसके कौशल के लिए बधाई देना भी पब्लिसिटी हो गया? अगर प्रधानमंत्री द्वारा नीरज चोपड़ा को फोन पर बधाई देना पब्लिसिटी है, तो उस लॉजिक से क्या यह वीडियो भी अपने समय का PR स्टंट नहीं था?
https://twitter.com/iRameshwarArya/status/1424066649250951168
अजीत अंजुम भी PM पर निशाना सादने वाले इकलौते व्यक्ति नहीं है। उनके जैसे अनेक वामपंथी हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री के वात्सल्य से भी घृणा होती है। स्वाती चतुर्वेदी ने संक्षेप में एक व्यंग्यात्मक ट्वीट किया, “यह तो होना ही था। मैंने पहले ही कहा था”।
Yeh toh hona hi tha. As predicted pic.twitter.com/2THRCTnVfo
— Swati Chaturvedi (@bainjal) August 7, 2021
एक अन्य पत्रकार अभिषेक बक्शी ने ट्वीट किया, “कोई इस आदमी को बताएगा कि हमें इसके फोन कॉल में कोई रुचि नहीं है?”
Someone tell him that unlike him, we're not interested in his phone calls. https://t.co/H6HEz1bZ62
— Abhishek Baxi (@baxiabhishek) August 7, 2021
एक अन्य ट्विटर यूजर, Nehr_Who ने ट्वीट किया, “हर मेडल के बाद ये आदमी कपड़े बदलता है, मेकअप लगाता है, कैमरा वाले को बुलवाता है, फोन को स्पीकर पर रखता है, फोकस चुराता है, और वही काम दोबारा दोहराता है।”
https://twitter.com/Nher_who/status/1424024709998407681
अब ने घृणा आखिर किसलिए? आखिर ऐसा भी क्या कर दिया पीएम मोदी ने जिसके पीछे ये सब इतना पागल हुए पड़े हैं? दरअसल, पीएम मोदी से पहले किसी भी राष्ट्राध्यक्ष ने खिलाड़ियों के प्रति इतना ध्यान नहीं दिया होगा। लेकिन जिस प्रकार से पीएम मोदी ने ओलंपिक से पहले सभी खिलाड़ियों की तैयारियों का हालचाल जाना, उनका प्रोत्साहन बढ़ाया, और उन्हें स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर लाल किला के सम्बोधन के लिए आमंत्रित भी किया, वो वामपंथियों से बिल्कुल पच नहीं रहा है। रही सही कसर तो पूर्व एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज ने सोनी स्पोर्ट्स को दिए अपने साक्षात्कार से पूरी कर दी, जहां उन्होंने बताया कि कैसे वर्तमान सरकार खिलाड़ियों का पूरा ख्याल रखती है।
पत्रकार महोदय थोड़ी बहुत शर्म बची होती तो समझ पाते pic.twitter.com/5EoYVzyPmw
— Akhand Anand 😁🚩 (@godoftrolls1) August 7, 2021
प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से देश के खिलाड़ियो का मनोबल बढ़ाया वो सराहनीय है और ये बात देश की जनता भी समझती है जिसने इन वामपंथियों की खबर लेने में कोई कमी नहीं छोड़ी। भरोसा न हो तो इन tweets को देख लीजिये।
What’s your problem now we at least get pm who cares for sports n sportsmen who win or loss he is there to support
— shivashakthi (@shivashakthi09) August 7, 2021
https://twitter.com/iRameshwarArya/status/1424066649250951168?s=20
वास्तव में वामपंथी जिस प्रकार से पीएम मोदी के खिलाड़ियों के साथ interaction को पब्लिसिटी और PR स्टंट के रूप में दिखाने का प्रयास किया जा रहा है, वो और कुछ नहीं, उनकी अपनी कुंठा है, विशेषकर इस बात की कि उनके विरोधी के प्रशासन में खिलाड़ियों को न केवल बेहतर सुविधाएँ मिल रही हैं, बल्कि देश के प्रधानमंत्री उनसे स्वयं बातचीत भी करते हैं, और विजयी होने पर घर के बड़े सदस्य की भांति उन्हें बधाई भी देते हैं।