मनोज मुंतशिर के एक वार से ही तिलमिला गया वामपंथी गैंग, अब इनका रोना जारी है

मनोज मुंतशिर वीडियो

मनोज ‘मुंतशिर’ शुक्ला। यह नाम अब वामपंथियों को कई वर्षों तक डराने वाला है। बॉलीवुड के प्रख्यात गीतकारों में से एक मनोज मुंतशिर उन चंद गीतकारों में से एक हैं, जो आज भी फिल्म उद्योग को कर्णप्रिय गीत देते रहते हैं। अब उनके एक वार से वामपंथी इतनी बुरी तरह तिलमिला गए हैं कि उन्हें न सिर छुपाने के लिए जगह मिल रही है, और न ही विरोध करने के लिए कोई उचित तर्क अथवा प्रमाण। मुगलों को जिस तरह अपने वीडियो में मनोज मुंतशिर ने धोया वो अपने आप में प्रशंसनीय, और इसी से वामपंथियों के अंग अंग में मानो जबरदस्त मिर्ची लगी है।

परंतु मनोज मुंतशिर ने मुगलों के बारे में ऐसा भी क्या कहा, जिससे वामपंथी इतनी बुरी तरह भड़क गए हैं? असल में अपने यूट्यूब चैनल पर मनोज मुंतशिर ने एक नई वीडियो अपलोड की, जिसका शीर्षक है ‘आप किसके वंशज हैं!’

अपने वीडियो के प्रारंभ में मनोज मुंतशिर ने कहा, आचार्य चाणक्य ने घोषणा की थी, ‘जो राष्ट्र शास्त्र पढ़ना छोड़ देते हैं, वो राष्ट्र समाप्त हो जाते हैं’.. अतीत को जाने बिना भविष्य निर्माण की संभावना है ही नहीं।” इस वीडियो में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें क्यों अपने इतिहास की ओर पुनः ध्यान देना चाहिए।

इसी वीडियो के प्रोमोशनल वीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए उन्होंने शेयर किया। इस वीडियो में मनोज मुंतशिर ने कहा, “पिछली कई सदियों से हमने अपने इतिहास से ज़मीनें लावारिस छोड़ दी हैं। हम इस हद तक brainwashed हो गए कि हमारे pre primary टेक्स्ट्बुक में से ग से गणेश हटाकर ग से गधा लिख दिया गया, और हमारे माथे पर बल तक नहीं पड़ा। हमारे सड़कों के नाम किसी अकबर, हुमायूँ जैसे Glorified डकैत के नाम पर पड़ गए और हम रिबन काटते मौकापरस्त नेताओं को देखकर तालियाँ बजाते रह गए”।

मनोज मुंतशिर ने अकबर की धज्जियां उड़ाते हुए अपने वीडियो में कहा कि आखिर किस मुंह से कुछ लोग उनका महिमामंडन करते हैं? मनोज के अनुसार, कुछ लोग अकबर को जिल्ले इलाही यानि खुदा की परछाई कहते हैं। जो चित्तौड़गढ़ में 30,000 लोगों को धर्म के नाम पर काट डाले, वो कैसा आदर्श राजा? ये कैसी खुदा की परछाई, जो इतनी काली है?

वामपंथियों को मनोज मुंतशिर की इस वीडियो में जबरदस्त ट्रोलिंग से कहीं भी सिर छुपाने को जगह नहीं मिल रही है। विरोध करने के लिए कोई उचित तर्क या प्रमाण तो इनके पास कभी थे ही नहीं, और जिस प्रकार से मनोज ने ‘मुस्लिम भाइयों’ को अपनी संस्कृति पर पुनर्विचार करने को कहा, उससे उन्होंने एक ही तीर से दो निशाने साधे। एक तो उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि आप चाहे कितना भी अपने आप को मुस्लिम सिद्ध कर लें, आपके पूर्वज सनातन थे और रहेंगे। इसके अलावा हाल ही में कबीर खान ने मुगलों का महिमामंडन करते हुए उनकी निंदा करने को ‘इतिहास के साथ छेड़छाड़’ करने का प्रयास बताया। ऐसे में कहीं न कहीं मनोज मुंतशिर ने अप्रत्यक्ष रूप से कबीर खान जैसे अवसरवादियों को भी इस वीडियो से आड़े हाथों लिया है।

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अब ऐसे में वामपंथी इन्हें यूं ही थोड़ी न छोड़ते। जातिवादी का राग अलापने वाले पत्रकार दिलीप मण्डल ने मनोज के असली नाम का प्रयोग करते हुए ट्वीट किया, “डीएनए चेक कराओ शुक्ला। मुझे तुम पर शक है। तुम्हारा इंडियन डीएनए होता तो भारत की राष्ट्रीय एकता को यूं तहस नहस करने की कोशिश न करते। राखीगढ़ी के कंकाल से तुम्हारा डीएनए मिलता है या नहीं, ये देखना पड़ेगा। रिपोर्ट आने तक तुम्हें doubtful में रखा गया है।”

दिलीप मण्डल के अलावा भी कई वामपंथी थे, जो मनोज की ट्रोलिंग पर जल बिन मछली की भांति तड़पने लगे। कुख्यात वामपंथी इतिहासकार एस इरफान हबीब ट्वीट करते हैं, “दुख होता है देख कर कि एक कवि और लेखक इतिहास के नाम पर घटिया तर्कों के जरिए विष उगल रहा है।”

अब ऐसे में अपने स्वघोषित इतिहास शिरोमणि देवदत्त पटनायक कैसे पीछे रहते? कॉमन सेंस और हिस्ट्री का अस्थि पंजर करते हुए जनाब ने ट्वीट किया, “इस आदमी को इतिहास किसने पढ़ाया? बंगाल पर मराठा के आक्रमण को ये क्या कहेंगे?”

https://twitter.com/devduttmyth/status/1430710715636015112

मतलब यदि आपके पास विरोध करने के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं है, तो आप कुछ भी बोलेंगे? देवदत्त के ट्वीट को देखकर तो यही लगता है। इस ट्वीट के जरिए देवदत्त मराठा को आक्रमणकारी और अप्रत्यक्ष तौर पर विदेशी सिद्ध करने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन जनाब इतने ओपन माइंडेड हैं की अपना ट्वीट Restricted श्रेणी में डाल दिया, ताकि जनता के कोपभाजन से बच सकें।

कुल मिलाकर एक वीडियो से मनोज मुंतशिर ने कई विरोधियों को धोया है। उन्होंने मुगलों का महिमामंडन करने वाले इतिहासकारों को दर्पण दिखाया है। उन्होंने लेफ्ट लिबरल गैंग को बिना किसी अशिष्ट भाषा के दिन में तारे दिखा दिए हैं, और ये तो अभी प्रारंभ है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये वही मनोज मुंतशिर, जिन्होंने ‘बाहुबली’ के हिन्दी संस्करण के लिए संवाद लिखे थे, और जल्द ही ‘आदिपुरुष’ के लिए भी संवाद लिखेंगे, जो ‘तान्हाजी’ फ़ेम ओम राऊत द्वारा निर्देशित होगी और रामायण पर आधारित होगी।

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