पंजाब की राजनीति में अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह के बीच चल रही कलह ने एक बार फिर विस्फोटक रूप ले लिया है। कांग्रेस आलाकमान अभी इस फूट को टूट में बदलने से रोकने का प्रयास कर ही रहा था कि पंजाब के विपक्षी दलों ने कांग्रेस की आपदा में अपने लिए अवसर तलाश लिए। विपक्षी दलों विशेषकर आम आदमी पार्टी ने शुक्रवार को पंजाब विधानसभा में शक्ति परीक्षण की मांग की। कांग्रेस शक्ति परीक्षण की सिरफुटव्वल के दौरान ही इस फ्लोर टेस्ट की मांग को सिद्धू के बगावती और खुफिया निर्णय से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
पंजाब कांग्रेस में राजनीतिक संकट जारी है. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू आमने-सामने हैं। विपक्षी दलों ने आगामी विधानसभा सत्र में फ्लोर टेस्ट की मांग की है। विपक्ष के नेता हरपाल चीमा के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर से मुलाकात कर कांग्रेस सरकार के खिलाफ शक्ति परीक्षण की मांग की। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक पत्र सौंपा, जिसमें कहा गया था कि पंजाब में कांग्रेस पार्टी “टुकड़ों में बंट गई है।”
ज्ञात हो शुक्रवार को ही कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धू को लताड़ लगाते हुए अपने सलाहकारों के विवाद में कांग्रेस आलाकमान को अल्टीमेटम दे दिया था। यही अल्टीमेटम सिद्धू को पसंद नहीं आया और उन्होंने कांग्रेस को ही चेतावनी दी है कि अगर उन्हें निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं दी गई तो यह पार्टी के लिए विनाशकारी होगा और अगर उन्हें दरकिनार किया गया तो पार्टी की ईंट से ईंट बजा देंगे।
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ज्ञात हो कि नेतृत्व परिवर्तन कि मांग कई मंत्रियों और विधायकों ने करते हुए कहा कि अधूरे वादों के मुद्दे पर उनका सीएम अमरिंदर पर से विश्वास उठ गया है। इसके बाद ही ताजा विवाद शुरू हो गया।
बुधवार को नवजोत सिंह सिद्धू खेमे ने कांग्रेस पंजाब प्रभारी हरीश रावत से अपील की थी कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव ना लड़ा जाए लेकिन सिद्धू खेमा इसमें विफल रहा। यह सभी अमरिंदर सिंह का राजनीतिक जीवन समाप्त करने की होड़ में जुटे हुए थे परंतु सोनिया गांधी की सहमति के बाद हरीश रावत ने स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
इसके बाद राज्य विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ कांग्रेस में पार्टी के नियंत्रण को लेकर चल रही खींचतान का फायदा उठाते हुए आम आदमी पार्टी ने फ्लोर टेस्ट की मांग कर दी।
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विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा के नेतृत्व में आप विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर से मुलाकात की और उनसे फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कांग्रेस सरकार को विशेष सत्र बुलाने का निर्देश देने का आग्रह किया। उन्होंने मांग की, “अगर मुख्यमंत्री अगले सात दिनों में बहुमत साबित करने से बचते हैं, तो वर्तमान सरकार को तुरंत भंग कर देना चाहिए।” चीमा ने कहा कि पंजाब को बचाने के नाम पर अपने ही मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत करने वाले कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी और सुखबिंदर सिंह सरकारिया, विधायक और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
इस पूरे प्रकरण में सिद्धू की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है क्योंकि जिस प्रकार सिद्धू को कांग्रेस आलाकमान ने झटका देते हुए फिर से अमरिंदर को सर्वेसर्वा प्रस्तुत कर दिया। इसके बाद सिद्धू और उनका खेमा स्तब्ध रह गया कि कहाँ चले थे सीएम कि कुर्सी पर धाक जमाने और कहाँ बेसुध होकर लौटे।
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एक व्यंग्य यहाँ सटीक बैठता है कि चौबे जी, छब्बे जी बनने गए थे और दुबे जी बनकर लौटे। इसके त्वरित बाद ही आम आदमी ने फ्लोर टेस्ट की मांग कर दी। आम आदमी पार्टी की मांग यह अंदेशा दे रही है कि यह सब सिद्धू की शह पर किया गया सुनियोजित षड्यंत्र हो सकता है।
जिससे आने वाले समय में वो कांग्रेस से अपनी बेइज्जती का बदला भी ले लें और पार्टी बदलकर ‘आप’ के खेमे में जाकर अपना राजनीतिक स्वार्थ भी सिद्ध कर पाएँ।