कांग्रेस पार्टी बड़े बुरे दौर से गुजर रही है जहां वो अपने अस्तित्व की वापसी के लिए जोड़तोड़ और गठजोड़ बनाने में लगी हुई है, वहीं उसके आंतरिक मामलों में भिड़ंत खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। वर्तमान समय में जिस राज्य में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़े संकटकाल से जूझ रही है, वो है पंजाब राज्य।
पंजाब उन राज्यों में से है जहां अभी कांग्रेस पार्टी सत्ता पर काबिज है पर यहाँ दोनों प्रमुख पदों पर बैठे कांग्रेस नेता अपनी कलहों से पार पाने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं। यह दोनों नेता और कोई नहीं हैं, बल्कि स्वयं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और राज्य की कांग्रेस पार्टी इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ही हैं।
सिद्धू बनाम अमरिंदर
सिद्धू, अमरिंदर की लाख असहमतियों के बावजूद कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष बना दिए गए थे और इसके बाद से कांग्रेस की दबी-ढँकी और आंतरिक कलह अब जगजाहिर होने लगी है। ताजा उदाहरण सोमवार का है जब सिद्धू ने अमरिंदर के नेतृत्व वाली अपनी ही पार्टी की राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पंजाब पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) द्वारा ड्रग्स पर तैयार की गई रिपोर्ट पर कार्रवाई करने में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि अगर सीलबंद रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया तो वह विधानसभा के अगले सत्र में इस पर प्रस्ताव पेश करेंगे।
In February 2018, STF headed by ADGP Harpreet Sidhu filed “status report” in Punjab & Haryana High Court, investigating statements & evidence recorded by ED that were submitted before Hon’ble Court in case of Bikramjit Singh Majithia & others involvement in Drug trafficking. 1/6 pic.twitter.com/ZRNBoiPNCk
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) August 9, 2021
यह कोई आश्चर्यजनक की बात नहीं थी क्योंकि जबसे नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए थे, उनका उस दिन से यही लक्ष्य था कि उन्हें पंजाब कांग्रेस पार्टी का इकलौता बड़ा चेहरा बनना है। जो कैप्टन अमरिंदर के रहते मुश्किल हो गया था, यही कारण था कि 2017 में अमरिंदर के नेतृत्व में बने मंत्रिमंडल में सिद्धू को पार्टी द्वारा कला, पर्यटन और संस्कृति मंत्री बनाया था।
जिस पद को उन्होंने मजबूरी में स्वीकार कर लिया था, क्योंकि उस समय उनके पास अन्य कोई भी विकल्प नहीं था। अमरिंदर की कैबिनेट में रहते हुए सिद्धू की कभी अमरिंदर से बनी नहीं और तो और सिद्धू को मंत्री पद पर बने रहना अपनी प्रतिष्ठा के तहत गंवारा नहीं लगा। इसके बाद जुलाई 2019 को सिद्धू ने मंत्री पद इस्तीफा दे दिया था।
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सिद्धू बने अध्यक्ष
सिद्धू, मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से एक सही समय का इंतज़ार कर रहे थे, और कोरोना काल के साथ ही किसान आंदोलन ने उन्हें यह सही समय भी दे दिया था। जिससे नवंबर 2020 में अमरिंदर दिल्ली किसान भेजने में जुट गए और सिद्धू अमरिंदर की जड़ें काटने में व्यस्त हो गए। इसी मेहनत का प्रतिफल सिद्धू को अब जाकर मिला और जुलाई माह में उन्हें कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब कांग्रेस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।
इस नियुक्ति के बाद से ही यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि सिद्धू अध्यक्ष बनने के बाद विपक्षी पार्टियों के लिए कम और अपनी ही पार्टी की सरकार और विशेषकर अमरिंदर के लिए अवश्य सिर दर्द बनेंगे, और अब वही हो रहा है।
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उन्होंने शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी भी मांगी। ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक Thread में सिद्धू ने कहा कि फरवरी 2018 में एडीजीपी हरप्रीत सिद्धू की अध्यक्षता में एसटीएफ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक “स्टेटस रिपोर्ट” दायर की थी, जिसमें “ईडी द्वारा दर्ज किए गए बयानों और सबूतों की जांच की गई थी। यह रिपोर्ट मजीठिया और अन्य साथियों के मादक पदार्थों (नशीले पदार्थों) की तस्करी में संलिप्तता के मामले में अदालत के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। सिद्धू ने अपनी सरकार और राज्य की पुलिस दोनों को आड़े हाथों लेते हुए सवाल पूछे कि, “पंजाब पुलिस ने क्या जांच की थी? पंजाब सरकार ने क्या कार्रवाई की? इसको जनता के समक्ष लाया जाना चाहिए। रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद से 2.5 वर्षों के अंतराल में आगे क्या कार्रवाई की गई, उसका भी स्पष्टीकरण राज्य सरकार और पुलिस को देना चाहिए?
सरकार को पूरी पारदर्शिता के साथ खुद को जनता के प्रति जवाबदेह बनाना चाहिए।” उन्होंने ट्वीट में यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने उस वर्ष एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी, जिसमें “प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अदालत के सामने पेश किए गए सबूतों” की जांच के बाद, राज्य को एसटीएफ द्वारा अदालत के साथ साझा की गई जानकारी पर तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहा गया था।
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कांग्रेस होगी ठन-ठन
सिद्धू के ट्वीट से यह तो स्पष्ट तौर पर दिख रहा है कि सिद्धू इस मामले में स्वयं को योद्धा बताते हुए दिख रहे हैं। वहीं, इससे यह भी प्रतीत हो रहा है कि आज सिद्धू भले ही कांग्रेस के पाले में हों पर खेल तो किसी और के लिए ही रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी अब पंजाब में ऐसी स्थिति में पहुंच गई है कि न तो वो संगठन के कप्तान सिद्धू पर लगाम लगा पा रही है और न ही राज्य की सत्ता में बैठे असल कप्तान अमरिंदर को मना पा रही है जो सिद्धू की नियुक्ति के बाद से ही आलाकमान से रुष्ट चल रहे हैं।