दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया (VIL) का पुनरुद्धार करने में असमर्थ रहे कंपनी के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने सरकार या किसी अन्य फर्म को अपने समूह की हिस्सेदारी की पेशकश की है। ऐसे में हो सकता है कि अब जल्द ही सरकार बीएसएनएल के माध्यम से Vodafone-Idea का अधिग्रहण करे जिसकी भविष्यवाणी TFI ने 1.5 वर्ष पहले ही कर दी थी। तब TFI ने कहा था कि अगर सरकार को बीएसएनएल के साथ साथ वोडाफोन आइडिया को बचाना है तो दोनों का विलय कर एक संयुक्त फर्म बनाना सबसे बेहतर विकल्प होगा।
दरअसल, वोडाफोन आइडिया (VIL) कंपनी के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला ने समूह की हिस्सेदारी केंद्र सरकार या यहां तक कि किसी अन्य संस्था को खरीदने की पेशकश कर दी है। “राष्ट्रीय हित” में यह फैसला लेते हुए उन्होंने सरकार से यह आग्रह किया। बिड़ला ने कहा कि दूरसंचार फर्म की मौजूदा वित्तीय स्थिति इसे collapse करने की स्थिति में है। बिड़ला ने केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को लिखे पत्र में यह बात कही।
सरकार अभी भी यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है कि रिलायंस जियो और भारती एयरटेल (Bharti Airtel) सहित कम से कम तीन टेलीकॉम भारत में काम करें। ऐसे में बिड़ला का प्रस्ताव सोने पर सुहागा साबित हो सकता है।
मार्च 2021 के अंत में वोडाफोन आइडिया का बकाया कर्ज जाहिर तौर पर 1.8 लाख करोड़ रुपये था। पिछले साल TFI ने सुझाव दिया था कि दूरसंचार क्षेत्र को एकाधिकार से बचाने के लिए ‘वोडाफोन आइडिया का राष्ट्रीयकरण करना और BSNL-MTNL के साथ विलय करना’ सबसे अच्छा विकल्प होगा। कुछ दिनों पहले Deutsche bank ने भी यही सुझाव दिया था जिसके बाद TFI के संस्थापक अतुल मिश्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, “TFI आज जो सोचता है, वैश्विक वित्तीय दिग्गज डेढ़ साल बाद सोचते हैं।“
What TFI thinks today, global financial giants think a year and a half later.
Cc: @amit_agrahari94 pic.twitter.com/AQSCJQ1OXV
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) July 27, 2021
सरकार पहले ही कह चुकी है कि बीएसएनएल को बंद करने का उनका कोई इरादा नहीं है। कंपनी पर 70,000 कर्ज और लगातार वार्षिक नुकसान के बावजूद सरकार इसे एक रणनीतिक संपत्ति मानती है।
TFI के स्तंभकार अमित अग्रहरी ने बताया था कि अगर वोडाफोन आइडिया का बीएसएनएल में विलय हो जाता है, तो इस संयुक्त इकाई में लगभग 45 करोड़ ग्राहक होंगे, जिसमें बीएसएनएल के 12 करोड़ और वोडाफोन आइडिया के 33 करोड़ ग्राहक होंगे।
यह संयुक्त इकाई बाजार में सबसे बड़ी प्लेयर बन जाएगी। बता दें कि इस टैग को रिलायंस जियो ने कुछ महीने पहले वोडाफोन आइडिया से छीन लिया था। 32 करोड़ ग्राहकों के साथ एयरटेल और 36 करोड़ ग्राहकों के साथ Jio, वोडाफोन आइडिया का बीएसएनएल की संयुक्त इकाई से काफी पीछे हो जाएंगे।
मौजूदा बाजार कीमतों पर इस अधिग्रहण पर बीएसएनएल को केवल 17,000-18,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, और यह वोडाफोन आइडिया के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के जोखिम से काफी कम है। देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक SBI ने अकेले वोडाफोन आइडिया में 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
वहीं, मोदी सरकार बीएसएनएल में 15,000-20,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगाने पर विचार कर रही है। वोडाफोन के अधिग्रहण में इन संसाधनों का निवेश करना सबसे अच्छा दांव होगा क्योंकि सरकार को अन्य 33 करोड़ नए उपभोक्ता भी मिलेंगे।
विलय से वोडाफोन के ग्राहकों की भी बचत होगी, जिन्हें अन्य कंपनियों की तलाश नहीं करनी होगी। जैसा कि भारत 5G बाजार में भी अग्रणी बनने वाला है, और भविष्य में राष्ट्रीय सुरक्षा और साइबर युद्ध में लोगों के डेटा के महत्व को देखते हुए सरकार का सबसे बड़ी ग्राहक हिस्सेदारी के साथ एक टेलिकॉम शक्ति होना एक अच्छा विचार है। इसके लिए सरकार को केवल 16,000-17,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जो कि कंपनी के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के जोखिम से कम है।