कभी विदेश मंत्री थे, आज कल तालिबान प्रेमी हैं: अजब यशवंत की गजब कहानी

पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा

PC:The Fact India

समय के साथ कुछ महत्वाकांक्षी राजनेता कैसे अपनी ही बातों से पलटी मार जाते हैं, ये आम तौर पर देखने को मिल ही जाता है, किन्तु सर्वाधिक आश्चर्य तब होता है, जब राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में भी राजनीतिक बयानबाजी होती है। तालिबान का अफगानी धरती पर अधिपत्य होने के बाद कुछ ऐसी ही स्थिति भारत में भी बन गई है। ऐसे वक्त में जब सभी राजनतिक दलों को मोदी सरकार के प्रत्येक निर्णय का समर्थन करना चाहिए, तो ऐसे वक्त में भी राजनीति शुरु हो गई है। विशेष बात ये है कि तालिबान से बातचीत की बात पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा भी करने लगे हैं, ये वही नेता हैं जिन्होंने 1999 के कंधार प्लेन हाईजैक के पूरे आपरेशन का नेतृत्व किया था, राष्ट्रवाद के मुद्दे पर प्रखर रहने वाले अब पूर्णतः बदल चुके हैं।

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद से तालिबान का वहां तांडव बढ़ता ही जा रहा है, जिसके चलते अब वैश्विक स्तर पर तालिबान को हैंडल करने की विभिन्न तैयारियां हो चुकी हैं। ऐसे में अटल सरकार में विदेश मंत्री रहे एवं वर्तमान में टीएमसी ज्वॉइन कर चुके यशवंत सिन्हा ने एक अजीबो-गरीब बयान दिया है। उन्होंने तालिबान के मुद्दे पर कहा, “भारत को बड़ा देश होने के नाते तालिबान के साथ मुद्दों को विश्वास के साथ उठाना चाहिए एवं विधवा विलाप नहीं करना चाहिए, कि पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर कब्जा हो जायेगा या उसको वहां बढ़त मिलेगी। उन्होंने कहा, “वर्ष 2021 का तालिबान वर्ष 2001 के तालिबान की तरह नहीं है। कुछ अलग प्रतीत होता है। वे परिपक्व बयान दे रहे हैं। हमें उस पर ध्यान देना होगा।

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यशवंत सिन्हा ने तालिबान को बदला हुआ बताया है, एवं मोदी सरकार को सुझाव दिया है कि वो तालिबान से बात करें। उनका ये बयान स्पष्ट करता है कि वो तालिबान के सामने मोदी सरकार को हाथ खड़े करने का सुझाव दे रहे हैं, जो कि एक आलोचनात्मक है।

जो यशवंत सिन्हा आज मोदी सरकार को तालिबान से बात करने का सुझाव दे रहे हैं, वो एक वक्त पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी की सरकार में विदेश मंत्री थे। वर्ष 1999 में जब नेपाल से भारत आने वाले इंडियन एयरलाइंस के विमान को तालिबानियों ने हाईजैक कर लिया था, एवं उसमें सवार करीब 180 लोगों को कंधार ले गए थे; ऐसे मुश्किल समय मे तत्कालीन विदेश मंत्री के रूप में यशवंत सिन्हा ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

यद्यपि 180 लोगों क जान बचाने के लिए अटल सरकार को तालिबान के दो आतंकियों समेत मौलाना मसूद अजहर को रिहा करना पड़ा था, किन्तु इसके बावजूद तालिबान के साथ आक्रामक रवैया निभाने में एवं भारतीय नागरिकों को कंधार से भारत लाने में यशवंत सिन्हा ने विशेष भूमिका निभाई थी। इसके चलते उनकी भी खूब सराहना की गई थी।

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इसके विपरीत अब जब बीजेपी में उन्हें उनकी महत्वाकांक्षा के अनुसार पद नहीं मिला, तो वो पीएम मोदी के विरोध में इतना आगे निकल गए हैं कि टीएमसी में जाकर बीजेपी का मुखरता से न केवल विरोध कर रहे हैं, अपितु अफगानिस्तान में तालिबान के साथ बात करने का सुझाव भी दे रहे हैं, जो उनके राजनीतिक छल-कपट को दर्शाता है। अफसोस की बात ये है कि एक नेता जो अटल सरकार में सम्मानित पद पर रहते हुए उत्कृष्ट कार्य कर चुका हो, वो तालिबान के साथ बातचीत करने की तुच्छ एवं शर्मनाक बातें कर रहा है।

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