बाजार में जितनी अधिक प्रतिस्पर्धा होगी, उतना ही अधिक फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा, एवं दोनों के बीच का ये समन्वय देश की अर्थव्यवस्था के लिए सर्वाधिक आवश्यक है। भारतीय अर्थव्यवस्था में विस्तार के कुछ ऐसे ही संकेत मिल भी रहे हैं, जिसमें सबसे बड़ा बदलाव कृषि क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। कृषि क्षेत्र की कंपनियों में होने वाले रजिस्ट्रेशन में 112 प्रतिशत की वृद्धि इस बात का संकेत है कि भारत में किसानों को भविष्य में बड़ी आर्थिक सफ़लता मिल सकती है, जो न केवल उनकी आय को विस्तार देगा, अपितु देश की अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक बदलाव कर सकता है।
साल 2013 से पहले देश में मात्र तीन चार मोबाइल ब्रांड्स थे, लेकिन चाईनीज कंपनियों के आने के बाद से बाजार में आई प्रतिस्पर्धा ने भारतीय स्मार्टफोन मार्केट को पूरी तरह बदल दिया। ठीक इसी तरह अब भारतीय कृषि क्षेत्र में भी बदलाव की संभावनाएं बनने लगी हैं। इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि देश में 2020-21 में कानूनी रुप से निजी कंपनियों की संख्या 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 1.55 लाख रुपए हो गई है। विश्लेषकों की मानें तो ये बढ़त अभूतपूर्व है। इतना ही नहीं सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि कृषि क्षेत्र की कंपनियों की के रजिस्ट्रेशनमें 112 प्रतिशत की रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
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निजी आर्थिक क्षेत्र में विस्तार तब हुआ है, जब देश कोरोनावायरस की खतरनाक दूसरी लहर का सामना कर रहा था। कृषि क्षेत्रों की कंपनियों में 112 प्रतिशत रजिस्ट्रेशन की बढ़ोतरी देश में प्रतिस्पर्धा के नए आयामों का संकेत देती है। मोदी सरकार ने जब तीन कृषि कानूनों के माध्यम से एक बड़े सुधार की पहल की थी, तो किसानों को सर्वाधिक आपत्ति इस बात की थी, कि निजी क्षेत्र की कंपनियां उनके लिए मुसीबतें खड़ी करेंगी। यही कारण है कि आज तक कथित किसानों के नाम लेकर सड़कों पर आंदोलन की आड़ में अराजकता फैला रहे हैं।
“…registration of new companies in manufacturing sector rose nearly 45% from 23,014 in 2019-20 to 33,483 in 2020-21…services sector, new company registrations grew by 16%…
new companies registered in agriculture and allied activities grew 112%” #EoDB https://t.co/cTX7AVfZ2l
— Nirmala Sitharaman (Modi Ka Parivar) (@nsitharaman) September 9, 2021
इसके विपरीत अब कृषि क्षेत्र की कंपनियों में उछाल किसानों के लिए बड़े बदलावों के संकेत लेकर आया है। देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कृषि ही है। इसके चलते निजी कंपनियों की अधिकती होने से देश में एक अभूतपूर्व बदलाव के संकेत हैं, जिसमें कंपनियां किसानों से सीधे फसल खरीद कर उन्हें फसल की उचित कीमत दे सकती हैं,जिसके चलते किसानों को भी पहले से अधिक सुविधाएं मिलेंगी। ऐसे में निजी क्षेत्र आने वाली ये क्रांति किसानों के लिए सहूलियत का काम कर सकती है। यही कारण है कि कंपनियों के रजिस्ट्रेशन में 112 प्रतिशत की वृद्धि को एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
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किसानों के लिए अब धीरे-धीरे दोनों हाथों में लड्डू होने की स्थिति स्पषट दिखाई दे रही है, जहां एक तरह किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में पुनः बढ़ोतरी की गई है, तो दूसरी ओर गन्ना किसानों को भी केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा नई बढ़ी हुई कीमत मिल रही है, जिसके चलते उन्हें सरकार को फसल बेचने पर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के कारण फायदा ही मिलने वाला है। वहीं, निजी क्षेत्र में कृषि संबंधित कंपनियों की संख्या में विस्तार से मार्केट में आया प्रतिस्पर्धा संबंधी माहौल भी किसानों के लिए सकारात्मक संकेत है।