कांग्रेस पार्टी को लेकर ये कहा जाता है कि पार्टी में वही होता है, जो गांधी परिवार चाहता है, और जो पार्टी से सहमत नहीं होता है, गांधी परिवार उसे पार्टी से बाहर फेंक देता है या फिर राजनीतिक संन्यास की ओर भेजा देता है। पार्टी में लंबे वक्त से हार के कारण गांधी परिवार के खिलाफ विद्रोह की स्थिति है। बुजुर्ग बगावती नेताओं का गुट लंबे वक्त से पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहा है, किन्तु अभी तक किसी भी राजनेता की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो सीधे गांधी परिवार से टकरा सके। वहीं जी-23 के लिए पंजाब की राजनीति की उठा-पटक एक मौका साबित हुई है, लेकिन सच यह है कि ये नेता अपने दम पर पार्टी के खिलाफ कुछ भी नहीं कर सकते हैं, और इस बगावती गुट का नेतृत्व करने की क्षमता केवल कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के पास है।इसकी वजह ये है कि उन्होंने राष्ट्रीय मुद्दों पर हमेशा ही पार्टी लाइन से हटकर बात की है, और पार्टी उनका बाल भी बांका नहीं कर पाई है।
अमित शाह से मुलाकात
पंजाब की राजनीति में कांग्रेस पार्टी की स्थिति दयनीय हो गई है। पार्टी के पास आज की स्थिति में न सिद्धू हैं, और न ही अमरिंदर। राहुल गांधी ने अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता का प्रमाण देते हुए पहले तो अपने पिता की उम्र के कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपमानित किया और फिर सिद्धू ने भी बिना सोचे समझे इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में कैप्टन जब दिल्ली पहुंचे तो ये कयास लगाए जाने लगे थे कि वो भाजपा में शामिल हो सकते हैं, किन्तु इन खबरों को कैप्टन ने ही खारिज कर दिया। भले ही उन्होंने पहले दिन किसी से भी मिलने की मंशा नहीं दिखाई , किन्तु दूसरे ही दिन उन्होंने पहले केन्द्रीय गृहमंत्री और भाजपा नेता अमित शाह से मुलाकात की और फिर वो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मिले। इसके बाद से पुनः उनके भाजपा में जाने के कयासों को हवा दी है।
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नई पार्टी और भाजपा से गठबंधन
ऐसा नहीं है कि पंजाब की राजनीति में कैप्टन का कद कमजोर है। ऐसे में कैप्टन कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। वहीं कांग्रेस में रहने या भाजपा में जाने को लेकर उन्होंने एक बड़ी बात भी कही है कि वो कांग्रेस में अब अपना अपमान नहीं सहेंगे, और न ही भाजपा में शामिल होंगे। कैप्टन ने संकेत दिया है कि पंजाब में अपनी नई राजनीतिक पार्टी बना सकते हैं, जिसका भाजपा से गठबंधन होगा। स्पष्ट है कि भले ही वो भाजपा में न शामिल हों किन्तु भाजपा के प्रति उनका रुझान नर्म है, और ये कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।
जी-23 का कर सकते हैं नेतृत्व
कांग्रेस में गांधी परिवार के विरोध में खड़ा एक बड़ा वर्ग हैं, जिनमें गुलाम नबी आजाद से लेकर कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा समेत 23 से ज्यादा नेता हैं। बगावत करने के बावजूद इनमें से किसी नेता के पास इतना साहस नहीं है कि वो पार्टी के खिलाफ जाकर एक समानांतर समूह खड़ा कर सके। इसके विपरीत कैप्टन अमरिंदर सिंह इन सभी गुणों में माहिर हैं। वो पहले भी दो बार पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। हालांकि, उस दौरान पार्टी के मजबूत होने के कारण वो गांधी परिवार को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सके। इसके विपरीत अब पंजाब समेत पूरे देश में कांग्रेस की हालत दयनीय है, और कैप्टन अमरिंदर सिंह इस मौके का फायदा उठा सकते हैं।
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कैप्टन अमरिंदर सिंह के पास पहले ही अपमान के कारण सहानुभूति का मुद्दा है, जिसे भुनाकर वो कांग्रेस पार्टी के लिए मुसीबतें बढ़ा सकते हैं। वहीं उनके पास इतना अधिक राजनीतिक कौशल भी है कि वो कांग्रेस नेताओं के जी-23 समूह का नेतृत्व भी कर सकते हैं, क्योंकि गांधी परिवार के विरुद्ध जिस तरह की बगावतें उन्होंने की हैं, उतनी बगावत कोई और नेता नहीं कर सकता है।