भारतीय बाजार सबसे वृहद है, जिसके कारण इसपर वर्चस्व को लेकर काफी द्वंद है। इसपर अपना आधिपत्य स्थापित करने हेतु बड़े-बड़े उद्यम और रसूखदार जैसे Amazon, Walmart आदि मैदान में कूद पड़े है। इन वैश्विक उद्यमों के काले इतिहास और कार्यशैली से हम सभी परिचित है। भारत के किसी घरेलू उद्यम द्वारा इनको रोका जाना अनिवार्य है अन्यथा राष्ट्रीय हित प्रभावित हो सकते है। ऐसे में भारतीय हितों के रक्षा हेतु रिलायंस समूह खुल कर सामने आया है। e-commerce और खुदरा क्षेत्र के भारतीय बाजार को Amazon से बचाने के लिए किशोर बियानी के फ्युचर ग्रुप को रिलायंस समूह ने खरीद लिया था लेकिन Amazon ने यह मामला मुकदमेबाज़ी मे फंसा दिया। अब इस मामलें में NCLT ने बड़ा फैसला सुनाया है।
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच ने फ्यूचर ग्रुप की फर्मों को रिलायंस रिटेल लिमिटेड को संपत्ति बेचने के लिए अपने शेयरधारकों और लेनदारों की असाधारण आम बैठक (EGM) आयोजित करने की अनुमति दे दी है। मंगलवार को एक आदेश में एनसीएलटी ने कंपनी से बैठक के लिए एक उपयुक्त तारीख तय करने को कहा और अधिग्रहण प्रक्रिया की अनुमति भी दे दी है।
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समस्या की जड़
- अगस्त 2019 में Amazon फ्यूचर की गैर-सूचीबद्ध फर्म “फ्यूचर कूपन लिमिटेड” से 49 प्रतिशत इक्विटी शेयर खरीदने के लिए सहमत हो गया था, जिसमें 3 से 10 साल की अवधि के बाद प्रमुख फ्यूचर रिटेल में खरीदने का अधिकार भी शामिल था।
- रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप दोनों ने पिछले साल अगस्त में यह घोषणा करते हुए कहा था कि रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) 24,713 करोड़ रुपये में फ्यूचर ग्रुप से पूरे रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग कारोबार का अधिग्रहण करेगी।
- योजनानुसार, फ्यूचर रिटेल, फ्यूचर कंज्यूमर, फ्यूचर सप्लाई चेन सॉल्यूशंस, फ्यूचर लाइफस्टाइल फैशन, फ्यूचर ब्रांड्स और फ्यूचर मार्केट नेटवर्क जैसी फ्यूचर ग्रुप की विभिन्न कंपनियों को पहले फ्यूचर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (FEL) में विलय कराना था। इसके बाद खुदरा और थोक उपक्रमों को RRLV की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी को हस्तांतरित किया जाना था। वहीं, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग अंडरटेकिंग को भी RRVL को ट्रांसफर किया जाना था।
- RRVL के साथ फ्यूचर ग्रुप के सौदे के बाद Amazon ने मध्यस्थता कानून के तहत सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर में फ्यूचर ग्रुप के खिलाफ मुकदमा दायर किया।
- अक्टूबर 2019 में इमरजेंसी आर्बिट्रेटर द्वारा यूएस ई-कॉमर्स प्रमुख के पक्ष में एक अंतरिम पुरस्कार पारित किया गया था, जिसने फ्यूचर रिटेल को अपनी संपत्ति को निपटाने, भारित करने या किसी भी प्रतिबंधित पार्टी द्वारा फंडिंग को सुरक्षित करने हेतु प्रतिभूति जारी करने से रोक दिया था।
- फ्यूचर रिटेल लिमिटेड ने 28 अगस्त को सौदे के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने और सिंगापुर स्थित इमरजेंसी आर्बिट्रेटर के आदेश को लागू करने का निर्देश देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
- शीर्ष अदालत ने हाल ही में Amazon के पक्ष में फैसला सुनाया था कि अंतरिम पुरस्कार भारतीय कानूनों के तहत वैध और लागू करने योग्य था।
- जहां Amazon और फ्यूचर दोनों ही मुकदमेबाजी कर रहे थे, वहीं फ्यूचर ग्रुप के वित्तीय आंकड़े खराब हो गए। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में सभी फ्यूचर ग्रुप कंपनियों ने वित्त वर्ष 2021 में भारी नुकसान, बिक्री में गिरावट और कर्ज में पर्याप्त वृद्धि की सूचना दी है।
- फ्यूचर रिटेल की होल्डिंग कंपनी में 50 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली Amazon ने यह कहते हुए मध्यस्थता अदालत (Arbitration Tribunal) का रुख किया कि यह सौदा FRL को एक शेल कंपनी में बदल देगा और इसके कारोबार को अलग कर इसकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी रिलायंस रिटेल को बेच दिया जाएगा। अमेज़न का यह भी कहना था की यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
NCLT का फैसला
NCLT द्वारा EGM के लिए रास्ता साफ करने के साथ-साथ फ्यूचर-रिलायंस रिटेल के अधिग्रहण को भी मंजूरी दे दी गई है। NCLT ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल इस योजना को मंजूरी देने वाले अंतिम आदेश की घोषणा करने से रोका था ना की किसी प्रकार के क्रियान्वयन से। अगर यह सौदा पूर्ण हुआ तो यह भारतीय खुदरा उद्योग में रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी की स्थिति को मजबूत करेगा, जो कि Amazon और Walmart जैसे ई-कॉमर्स में बहुराष्ट्रीय खिलाड़ियों द्वारा भारी निवेश देख रहे है। इस तरह हम भारतीय खुदरा बाज़ार का स्वदेशीकरण भी देख सकते है। टाटा समूह भी अपने नए सुपरऐप के साथ ऑनलाइन रिटेल पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
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Amazon और Future Group की प्रतिक्रिया
- फ्यूचर रिटेल ने एक बयान में कहा- “कंपनी स्टॉक एक्सचेंजों के अद्यतन से अत्यंत प्रसन्न है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मुंबई बेंच द्वारा पारित आदेशनुसार कंपनी को अपने शेयरधारकों और लेनदारों की बैठक आयोजित करने की अनुमति मिल गयी है, साथ ही साथ योजना के क्रियान्वयन हेतु भी अनुमोदन प्राप्त हुआ है।“ इतना ही नहीं सुचित्रा कनुपर्थी और चंद्रभान सिंह की मुंबई स्थित दो सदस्यीय एनसीएलटी पीठ ने फ्यूचर समूह की कंपनियों के विलय की योजना का विरोध करने वाले ई-कॉमर्स प्रमुख Amazon द्वारा दायर आवेदन को खारिज कर दिया। विलय से फ्यूचर प्रमोटर बियाणी को प्रमोटर और कंपनी दोनों स्तरों पर कर्ज से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी। जो महामारी के दौरान बढ़ी है और जिसके परिणामस्वरूप कई स्टोर बंद हो गए है।
- Amazon के प्रवक्ता ने कहा, “हमें अभी तक एनसीएलटी के आदेश की प्रति नहीं मिली है और इसके बाद हम अपने अगले कदम पर फैसला करेंगे।“
निष्कर्ष
फ्युचर ग्रुप का अधिग्रहण भारत के खुदरा और ऑनलाइन व्यापार को विदेशी शोषण से बचाएगा। अंबानी कितने भी बुरे होंगे लेकिन हमे इस बात का सदैव स्मरण रखना चाहिए की रिलायंस “भारत” का एक निजी उद्यम है। अतः सरकार को इन सभी पहलुओं पर ध्यान देते हुए रिलायंस समूह की मदद भी करनी चाहिए। अन्यथा, फ्युचर ग्रुप भी amazon के शोषण में दम तोड़ देगा। अगर ऐसा हुआ तो यह भारत के खुदरा व्यपार की हार होगी।