आज जब अपने जनलोकप्रिय नेता नरेन्द्र मोदी के जन्मदिवस के दिन भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर उत्सव मना रही है, तो वहीं दूसरी ओर देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस अपने कथित युवा नेता राहुल गांधी की असफलताओं पर पर्दा डालते हुए उनकी छवि को मजबूत करने के नए प्रयास कर रही है। पार्टी पूर्णतः दो गुटों में बंट चुकी है, जिसमें एक गुट गांधी परिवार के चाटुकारों एवं राहुल समर्थकों का है तो दूसरा गुट बगावती नेताओं का। ऐसे में राहुल की असफलताओं के कारण बुजुर्ग एवं बगावती वर्ग लगातार कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की मांग पर अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं। वहीं हास्यासपद बात ये भी है कि युवाओं की कमी के कारण कांग्रेस जिग्नेश मेवाणी एवं कन्हैया कुमार जैसे नेताओं को राहुल की युवा टीम में शामिल करना चाहती है।
जिस दिन भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में लाने का फैसला किया था, कांग्रेस की मुसीबतें उसी दिन से बढ़ना शुरू हो गई थी। पीएम मोदी के सात वर्षों के कार्यकाल में कांग्रेस सिकुड़ गई है। पार्टी आलाकमान की बातों से नाराज नेता अपनी बात को तवज्जो न मिलने पर पार्टी छोड़ चुके हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर सुष्मिता देव एवं जितिन प्रसाद जैसे नेताओं का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए मुश्किलों भरा है। ऐसे में कांग्रेस अब युवा नेताओं की कमी पूर्ती करने के लिए कन्हैया कुमार एवं जिग्नेश मेवाणी स्तर के नेताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है।
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मीडिया में लगातार चल रही खबरें बताती हैं कि कांग्रेस राहुल के लिए युवा नेताओं की फौज तैयार करना चाहती है। इसके लिए पार्टी की तैयारी कन्हैया को अपने पाले में लाने की है। दैनिक हिन्दुस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के सूत्रों ने बताया, “कन्हैया कुमार बिहार में पार्टी के एक महत्वपूर्ण युवा चेहरे के रूप में काम करेंगे और राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी भूमिका निभाएंगे।” कांग्रेस राष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से पीएम मोदी के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा करना चाहती है, जिसके लिए पार्टी की प्लानिंग कन्हैया को अपने पाले में लेने की है। भले ही कन्हैया ने कांग्रेस से पार्टी में शांमिल होने से इनकार किया हो, किन्तु हाल ही में उनकी मुलाकात एक बार फिर राहुल गांधी से हुई थी। उनकी लगातार राहुल से हो रही मुलाकातें इस बात का संकेत हैं कि वो कभी भी पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
कन्हैया कुमार के पहले पार्टी गुजरात में पाटीदारों की राजनीति करने वाले हार्दिक पटेल को अपने खेमें में जोड़ चुकी है। वहीं एक तरफ जहां कन्हैया को शामिल करने की कोशिश हैं, तो दूसरी ओर कांग्रेस गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को भी अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस की सोच है कि इन तीनों युवा नेताओं के साथ राहुल गांधी की छवि में सुधार किया जाए, इसके विपरीत हकीकत ये है कि इन तीनों नेताओं की छवि पीएम मोदी के सामने किसी बौने से भी कम है।
कन्हैया की बिहार में बेगुसराय सीट से लोकसभा चुनावों में जमानत जब्त हो चुकी है। ठीक इसी तरह पाटीदार आंदोलनों के बावजूद पार्टी को गुजरात चुनाव में कोई लाभ नहीं मिला। इन सबके बावजूद कांग्रेस को इन तीनों नेताओं में पार्टी का भविष्य दिख रहा है, जो कि हास्यासपद है। इसके विपरीत पार्टी की कोशिश है कि इन तीनों नेताओं को शामिल कर पार्टी में युवा फौज को मजबूत किया जाए, जिससे राहुल गांधी को मजबूती मिले। हालांकि, ये कहा जा सकता है कि राहुल के इन कदमों के बावजूद भाजपा एवं पीएम मोदी के विरुद्ध कांग्रेस की रणनीति का काम करना मुश्किल होगा।