प्रतिभा चाहे कितनी भी हो, किन्तु ये संभव नहीं है कि आप मनमानी करने लगें, क्योंकि जब असफलता मिलती है तो सबसे पहला निशाना तानाशाह ही बनते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के कायाकल्प में विराट कोहली के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। विराट कोहली ने अचानक टी-20 की कप्तानी से इस्तीफ़े का ऐलान नहीं किया, इसके पीछे एक उनके कामों का पूरा लेखा-जोखा है। कोच के चुनाव से लेकर खास लोगों को टीम वरीयता देना, उन्हें भारी पड़ा है। एक तरफ वो तानाशाही कर रहे थे, तो दूसरी ओर उन्हें असफलता मिल रही थी। इस तानाशाही में कोहली के सबसे बड़ी मुसीबत भारतीय क्रिकेट के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन बने, क्योंकि उनके साथ कोहली ने सर्वाधिक पक्षपाती रवैया अपनाया था, और वही पक्षपात उन्हें भारी पड़ रहा है।
कोहली की कप्तानी में लगातार गिर रहा भारतीय टीम के प्रदर्शन का सबसे अधिक असर किसी पर पड़ा है तो वो यकीनन विराट ही हैं। यही नहीं यह भी सामने आता रहा है कि कोहली के कारण ही टीम में गुटबाजी भी हुई। ऐसे में फ्री प्रेस जर्नल की एक रिपोर्ट बताती है कि स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के साथ कोहली का रवैया सर्वाधिक आपत्तिजनक रहा है जिसके बाद उन्होंने विद्रोह कर दिया था। जो रविचंद्रन अश्विन पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के कार्यकाल में बेहतरीन थे, कोहली के कप्तानी संभालने के बाद उन्हें लिमिटेड ओवर से बाहर ही कर दिया गया था।
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2017 के बाद से लगातार लिमिटेड ओवर की टीम से अश्विन का बाहर रहना भारतीय क्रिकेट बोर्ड को भी अखर रहा था। कोहली की असफलता के कारण बोर्ड उनसे पहले ही नाराज था। ऐसे में टी-20 विश्व कप की टीम में अश्विन को शामिल करना इसका एक उदाहरण है कि अब बोर्ड अध्यक्ष दादा अर्थात सौरव गांगुली के रहते कोहली अपनी मनमानी नहीं कर सकते। कोहली की अश्विन से घृणा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंग्लैंड की टेस्ट सीरीज के दौरान कोहली ने अपनी जिद के चलते अश्विन को प्लेइंग इलेवन में नहीं शामिल किया। इतना ही नहीं बोर्ड से लेकर कोच रवि शास्त्री तक ने अश्विन को शामिल करने की सलाह दी, किंतु कोहली अपनी जिद पर अड़े थे।
रिपोर्ट्स ये भी बताती हैं कि इंग्लेंड सीरीज के दौरान ही कोहली ने एक सीनियर खिलाड़ी के साथ बदतमीजी भी की थी, जिसके बाद से टीम में गुटबाजी शुरू हो गई थी, और कोहली की हरकतों का सर्वाधिक किसी ने विरोध किया था तो वो अश्विन ही थे। संभवतः यही कारण है कि अश्विन कोहली की मनमानियों के कारण टीम से बाहर रहे। वहीं एक तरफ टीम से विराट के संबंध बिगड़ रहे थे, तो दूसरी ओर मैदान पर उनका और टीम का परफार्मेंस लगातार गिर रहा था, जिसका नतीजा ये हुआ कि उनका विरोध जनता से लेकर टीम में आंतरिक रूप से होने लगा। अश्विन ने विराट के इन हरकतों की शिकायत BCCI तक पहुंचाइए जिसके बाद BCCI हरकत में आ गया और विराट को टी20 से इस्तीफा देने को कहा गया।
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कोहली से बोर्ड की नाराज़गी का ये भी संकेत है कि टी-20 विश्व में महेन्द्र सिंह धोनी का टीम मेंटर बनने की जानकारी तक उनको नहीं दी गई, और उन्हें ये बात बाद में ही पता चली। BCCI कोहली के इस मनमाने रवैए को अच्छी तरह से नोटिस कर रहा था, और दादा के रहते टीम में कोई इस तरह से बर्ताव करे, यह उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं हैं। भले ही ये कहा जाए कि कोहली ने अपने कार्यभार को कम करने के लिए टी-20 की कप्तानी से त्यागपत्र दिया है, किन्तु यथार्थ सत्य यही है कि कोहली से इस्तीफा, पर्दे के पीछे से दादा ने दादागिरी से दिलवाया है, और टीम के कायाकल्प की नीति अपनाई है।
कोहली के लिए मुसीबत इतनी ही नहीं है, क्योंकि यदि उनका प्रदर्शन टी-20 विश्व कप में अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा तो बोर्ड पुनः इसी तरीके से उनका इस्तीफा वन डे की कप्तानी से भी ले सकता है। इतना ही नहीं, अब खबरें ये भी है कि दादा, अब टीम का कोच के तौर पर जंबो अनिल कुंबले की एंट्री करा सकते हैं। कुंबले का टकराव कोहली से छिपा नहीं है। ऐसे में यदि ये कहा जाए कि बोर्ड कोहली के पर कुतरने की तैयारी कर रहा है, तो ये गलत नहीं होगा।
इस पूरे पैटर्न को देखें तो कोहली के लिए सर्वाधिक ख़तरनाक ये रहा कि उन्होंने दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन से पंगा लेकर मनमानी की। अब जब उनका परफार्मेंस कप्तान और खिलाड़ी दोनों के रूप में गिर रहा है, यही उन पर भारी पड़ रहा है। टीम के खिलाड़ियों के लिए अपने कप्तान के खिलाफ जाना वास्तव में कोहली की भारतीय टीम का नेतृत्व करने की क्षमता के खिलाफ एक बयान है। दिलचस्प बात यह है कि आर अश्विन द्वारा कोहली के खिलाफ बीसीसीआई को की गई शिकायत के बाद विराट ने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और विश्व टी 20 टीमों की कप्तानी छोड़ दी है।
सभी प्रारूपों में कोहली की कप्तानी पर BCCI की चर्चा को देखते हुए, ऐसा लगता है कि कोहली यह बताना चाहते थे कि कप्तानी छोड़ने का फैसला उनकी अपनी मर्जी से था और बीसीसीआई ने इसमें कोई भूमिका नहीं निभाई। हालांकि, वास्तविकता काफी विपरीत प्रतीत होती है। अब विराट कोहली का पूरा करियर टी20 वर्ल्ड कप पर निर्भर है। इसमें उनका प्रदर्शन तय करेगा कि एक प्रारूप में भी उनकी कप्तानी जारी रहती है या नहीं।
kohli is a sheet arrogant selfish sucker .