ये 21वीं सदी का भारत है। सक्षम, समर्थ और शक्तिमान !!! जल-थल-नभ के बाद अब इस मिट्टी के लाल इसका वर्चस्व अंतरिक्ष तक स्थापित करने को आतुर है। इन्ही प्रयासों के फलस्वरूप पहली बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि ISRO और हैदराबाद स्थित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की निजी नवाचार कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ है। स्काईरूट एयरोस्पेस, अगले साल लॉन्च से पहले अपने छोटे रॉकेट के परीक्षण और उसके प्रक्षेपण लिए आवश्यक योग्यता हेतु औपचारिक रूप से इसरो के साथ एक समझौते में प्रवेश करने वाली पहली निजी कंपनी बन गई है।
ISRO ने कहा कि स्काईरूट एयरोस्पेस कंपनी को विभिन्न इसरो केंद्रों पर उपलब्ध कई परीक्षण और तकनीकी सुविधाओं की अनुमति दी गयी है और इसके साथ-साथ कंपनी अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहन प्रणालियों और उप प्रणालियों के परीक्षण और योग्यता के लिए इसरो की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ भी उठा सकती है।
ISRO के पूर्व वैज्ञानिक पवन कुमार चंदना और नागा भारत डाका द्वारा 2018 में स्थापित, स्काईरूट एयरोस्पेस निजी तौर पर निर्मित अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान विकसित करनें वाली एक नवाचार कंपनी है। इसके मुख्य उत्पाद में विक्रम प्रारूप श्रेणी में विशेष रूप से छोटे उपग्रहों को स्थापित करने वाले तीन विशेष लॉन्च वाहन भी शामिल हैं।
नागा भारत डाका, स्काईरूट एयरोस्पेस के सह-संस्थापक और सीओओ, ने एक बयान में कहा- “यह समझौता ज्ञापन (एमओयू) हमारे रॉकेट कार्यक्रम में और अधिक ताकत और संभावनाओं को जोड़ता है। यह हमारे पहले लॉन्च वाहन विक्रम -1 के सभी उप-प्रणालियों के विकास और परीक्षण को पूरा करने और हमारी विश्व स्तरीय टीम को मजबूत करने में सहायता करेगा। हमने अगले साल के मध्य से लॉन्च के लिए बुकिंग शुरू कर दी है और इसमें वैश्विक ग्राहकों को सक्रिय रूप से शामिल कर रहे हैं।‘’
इससे स्काईरूट एयरोस्पेस इसरो के साथ औपचारिक रूप से समझौता करने वाली पहली निजी कंपनी बन गई है। जबकि स्पेसटेक नवाचार बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस ने भारत के पहले निजी तौर पर निर्मित हॉल थ्रस्टर का सफलतापूर्वक परीक्षण करनेवाली कंपनी है।
पिछले साल दिसंबर में स्काईरूट ने कलाम-5 नामक अपने ठोस प्रणोदन रॉकेट के सफल परीक्षण की घोषणा की थी। स्काईरूट एयरोस्पेस कंपनी के अनुसार, यह पहली बार है जब किसी निजी कंपनी ने पूर्ण ठोस प्रणोदन रॉकेट चरण का सफलतापूर्वक डिजाइन, विकास और परीक्षण किया है।
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हाई टेक और स्पेस टेक वर्जिन, स्पेस एक्स, अमेज़ॅन ये सारी कंपनियां इस तरह के योजनाओं मे असफल हो गयी। अमेज़ॅन के जेफ बेजोस की कंपनी ‘ब्लू ऑरिजिन’ को असफल स्पेसशिप लॉन्च के साथ झटका लगा। लेकिन, अपने मार्स मिशन से ISRO नें यह साबित कर दिया की उसे इस तरह के असंभव कार्य में महरथ हासिल है।
इस साल मई में, स्काईरूट ने ग्रीनको ग्रुप के संस्थापकों, अनिल चलमालासेट्टी और महेश कोल्ली के नेतृत्व में सीरीज ‘ए’ के फंडिंग राउंड में 11 मिलियन डॉलर जुटाए थे। इस राउंड में सोलर ग्रुप और पूर्व व्हाट्सएप सीबीओ नीरज अरोड़ा की भी भागीदारी देखी गई। इस दौरान मिंत्रा & क्योरफिट के संस्थापक और निवेशक मुकेश बंसल के साथ साथ वर्ल्डक्वांट वेंचर्स, ग्राफ वेंचर्स, सटन कैपिटल, वेदांशु इन्वेस्टमेंट्स और कुछ अन्य एंजेल कैपिटलिस्ट ने भी भाग लिया।
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भारत में एक ओर जहां खाद्य उद्योग, परिवहन उद्योग, आवास उद्योग और यात्रा उद्योग में निवेश और नवाचार शुरू करने की परिपाटी थी। भारत को OLA, PAYTM, ZOMATO, OYO इत्यादि के रूप में इसका भरपूर भी मिला। वहीं ISRO द्वारा एक निजी कंपनी को अपने अनुभव और विशेषज्ञता के उपयोग की सहमति देना एक नवीन प्रयोग है। वैसे भी ISRO को नए प्रयोग में महरथ हासिल है। इन्ही प्रयोगों और प्रयासों के फलस्वरूप पहली बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और हैदराबाद स्थित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की निजी नवाचार कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ है।
राष्ट्र के तौर पर हमें सर्वदा स्मरण रखना चाहिए की राष्ट्र उन्नति और राष्ट्र रक्षण का मार्ग अंतरिक्ष प्राद्यौगिकी और तकनीक से होकर गुज़रता है। ISRO नें इस सिद्धान्त को सहर्षों बार स्थापित किया है। चाहे किसी यान का प्रक्षेपण हों या फिर किसी उपग्रह का स्थापन इस गौरवशाली संस्थान ने हमेशा राष्ट्र का मस्तक ऊंचा किया है। ISRO के परियोजनाओं का लाभ भारत को कृषिभूमि से लेकर रणभूमि तक मिला है। राष्ट्रनिर्माण के इस पुनीत कार्य में कुछ मेधावी और प्रतिभाशाली युवा और कंपनियां भी अपना योगदान दिया है। ISRO नें उनका मार्ग प्रशस्त करके न सिर्फ भारत को बल प्रदान किया है बल्कि आर्थिक संभावनाओं के द्वार भी खोल दिये है। इस तरह के समझौते अंतरिक्ष पर्यटन और अंतरिक्ष अन्वेषण को बढ़ावा देंगे। ISRO को कोटिशः साधुवाद।