पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम पद की शपथ लिए काफी समय हो गया है लेकिन अभी तक ये तय नहीं हो पाया है कि कैबिनेट में कौन-कौन से मंत्री होंगे? कैबिनेट विस्तार को लेकर टकराव की बातें सामने आ रही हैं। ऐसे में खास बात ये है कि अब पंजाब में कैबिनेट में कौन शामिल होगा और कौन नहीं…इस बात का फैसला कांग्रेस आलाकमान या सीधे तौर पर कहा जाए तो राहुल गांधी ही करेंगे। अब एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि नई कैबिनेट के मुद्दे पर पीसीसी चीफ नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के बीच दरार पड़ गई है। इस मसले को बॉलीवुड की फिल्म बाहुबली से भी जोड़कर देखा जा सकता है।
कांग्रेस आलाकमान की शुरु से ही एक मंशा थी कि कैसे कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाकर पंजाब की राजनीति में दखल दिया जा सके। कैप्टन राज्य को अपनी राष्ट्रवादी नीतियों के अनुसार चला रहे थे। वहीं, अब कैप्टन के इस्तीफे के साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी नीति में सफल हो चुके हैं। उन्होंने अपने विश्वासपात्र और सिद्धू के समर्थक चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बना दिया है। इसके विपरीत अब पंजाब में कैबिनेट विस्तार और बदलाव को लेकर एक बड़ा पेंच फंस गया है। दिल्ली से लेकर चंडीगढ़ तक बैठकों का दौर जारी है किन्तु अभी तक चन्नी अपनी कैबिनेट तय नहीं कर पाए हैं।
कैबिनेट सेलेक्शन पर मतभेद
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी के घर पर रात में दो से चार-चार बजे तक बैठक कर नए मंत्रियों के नाम तय किए गए हैं। लेकिन रिपोर्ट्स ये भी बता रही है कि पंजाब में कैबिनेट को लेकर नए-नए सीएम बने चन्नी और पीसीसी चीफ सिद्धू के बीच टकराव की स्थिति आ गई है। सिद्धू अपने खेमे के लोगों को मंत्री पद देना चाहते हैं, तो वहीं चन्नी अपने लोगों को…इस पूरे खेल में एक बार फिर ये संभावनाएं बनने लगी हैं कि जल्द ही चन्नी और सिद्धू के बीच का विवाद भी सड़कों पर आ जाएगा।
बताया जा रहा है कि सिद्धू और चन्नी कई विधायकों को पंजाब कैबिनेट में शामिल करने पर एकमत नहीं हैं। कांग्रेस विधायक राजा वड़िंग, परगट सिंह और कुलजीत नागरा को शामिल करने पर दोनों के बीच मतभेद सामने आए हैं। इसके विपरीत सिद्धू तीनों को ही मंत्री बनाए जाने का पुरजोर समर्थन कर रहे हैं। इस मामले में चन्नी का मानना है कि संगठन के लोगों को पार्टी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि चुनाव नजदीक हैं। परगट सिंह पीपीसी महासचिव हैं और नागर कार्यकारी अध्यक्ष हैं, ऐसे में चुनाव के लिहाज से पार्टी में उनकी भूमिका अधिक अहम हो जाती है।
सिद्धू सीएम चन्नी के इस रुख से खफा हैं । इसके विपरीत अब एक टकराव का विषय ये भी है कि चन्नी के साथ सिद्धू को आलाकमान नहीं बुला रहा है। चन्नी अब तक तीन बार राहुल गांधी से मिल चुके हैं, इसके विपरीत सिद्धू को आखिरी की बैठक में नहीं बुलाया गया था, जिसके चलते सिद्धू भड़क गए हैं। TFI ने आपको पहले ही बताया था कि कैसे सिद्धू ने चन्नी को अपने रिमोट कंट्रोल से चलने वाला सीएम मानकर पद दिलवाया था लेकिन अब वो सिद्धू के नहीं अपितु कांग्रेस नेता राहुल गांधी के रिमोट कंट्रोल पर चलने लगे हैं। बताया जा रहा है कि चन्नी ने अब सिद्धू को ही बाईपास कर दिया है।
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कटप्पा कब पलट जाए पता नहीं
सिद्धू ने कैप्टन के खिलाफ बगावत कर उन्हें अपमानित करने के लिए अपने विधायकों और आलाकमान को सहज किया था, इसके चलते ही कांग्रेस उन्हें अपना बाहुबली समझने लगी थी। इसके विपरीत कांग्रेस आलाकमान के साथ ही सिद्धू संभवतः ये भूल गए थे कि बाहुबली के साथ एक कटप्पा भी आता है। ये कटप्पा रहता तो बाहुबली के साथ ही है किन्तु कभी भी कत्ल कर सकता है। राजनीतिक कत्ल का यही खेल अब सिद्धू के साथ भी होने लगा है।
कांग्रेस की नजर में बाहुबली बन चुके सिद्धू के साथ पार्टी ने एक ऐसे सीएम को आगे कर दिया है, जो कि सिद्धू के विरुद्ध कटप्पा का काम करने लगे है। चन्नी का ये रवैया अब पंजाब में एक नए राजनीतिक गतिरोध को जन्म दे सकता है, जिसके केन्द्र में नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम चन्नी ही होंगे।