ऐसा पहली बार हो रहा है कि पंजाब में दलित समुदाय को राजनीतिक रूप से इतना अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जो राजनीति पहले अपर क्लास पर केन्द्रित रहतीं थी, वो दलितों के मुद्दे पर आ गई है। कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे दिग्गज नेताओं को हटाने के बाद कांग्रेस ने #MeToo आरोपी चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाकर दलति कार्ड खेला है। इस प्रकरण के बाद शिरोमणि अकाली दल के साथ पंजाब में गठबंधन करने वाली बसपा की सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस को लताड़ा है। मायावती ने चन्नी को कांग्रेस की कठपुतली बताया है, जिनके पास फैसले लेने की कोई स्वतंत्रता नहीं है।
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मुश्किल में याद आए दलित
पंजाब की 32-35 प्रतिशत आबादी वाले दलित समुदाय के वोट बैंक से किसी भी राजनीतिक दल की नैया पार हो सकती है। ऐसे में कांग्रेस इस मौके पर अचानक नींद से जागी है, और चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बना दिया है। ऐसे में मायावती ने कांग्रेस पर हमला बोल उसे एक धोखेबाज पार्टी करार दिया जो कि सदैव दलितों का इस्तेमाल कर उन्हें अपमानित करती रहतीं है। मायावती ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि बेहतर होता यदि कांग्रेस पहले ही चन्नी को पूरे पांच वर्ष के लिए मुख्यमंत्री बना देती। कुछ ही समय के लिए इन्हें पंजाब का मुख्यमंत्री बनाना कोरा चुनावी हथकंडा है।
मायावती ने कांग्रेस को लेकर कहा कि ये पार्टी मुश्किल वक्त में ही दलितों को याद करती है, यद्यपि पार्टी को दलितों पर कोई भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा, “मीडिया से पता चला है कि पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव चन्नी के नेतृत्व में नहीं, बल्कि गैर–दलित के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा, जिससे भी यह साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस का दलितों पर भी अभी तक पूरा भरोसा नहीं जमा है। इनके इस दोहरे चाल–चरित्र व चेहरे आदि से वहां के खासकर दलित वर्ग के लोग जरूर सतर्क रहेंगे।”
खोल दिया कच्चा चिठ्ठा
बाबू जगजीवन राम से लेकर सीताराम केसरी तक कांग्रेस का दलित विरोधी इतिहास रहा है। ऐसे में संविधान निर्माता भीमराव अम्बेडकर का उल्लेख करते हुए मायावती ने भी कांग्रेस का कच्चा चिट्ठा खोल दिया है। उन्होंने कहा, “आजादी के बाद संविधान बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। तब यदि कांग्रेस के पंडित जवाहरलाल नेहरू एंड कंपनी के पास बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर से ज्यादा काबिल कोई व्यक्ति होता तो वे आंबेडकर को किसी भी कीमत पर संविधान निर्माण में शामिल नहीं करते।”
भाजपा का डर सताने लगा है
यद्यपि मायावती ने कांग्रेस के विरुद्ध जो कहा है, वो शत प्रतिशत सत्य है, किन्तु मायावती जो खुद को दलितों की नेता बताती हैं, उनके शासन काल में भी उत्तर प्रदेश में दलितों की स्थिति ज्यादा नहीं सुधरी है। स्पष्ट है कि वो भी राजनीति ही कर रही हैं। इसकी वजह केवल भाजपा ही है, क्योंकि पार्टी ने सबसे पहले ऐलान किया था कि वो चुनाव जीतने पर एक दलित को सीएम बनाएंगी। यही कारण है कि अपर क्लास पार्टी माने वाले अकाली दल ने बसपा के साथ गठबंधन किया, ठीक इसी तरह अब कांग्रेस ने चन्नी को सीएम बनाया।
ये स्पष्ट करता है कि पंजाब में दलित केंद्र में केवल इसलिए आ गए हैं क्योंकि भाजपा ने इस वंचित समाज की आवाज उठाई है, अब भाजपा के इस कदम से अन्य पार्टियां इतने डर में हैं कि पंजाब में दलितों को लुभाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।