– फ्रेशवर्क्स कंपनी तमिलनाडु के छोटे से शहर त्रिची में 700 वर्ग फुट के गोदाम से शुरू हुई थी, आज कंपनी के करीब 500 कर्मचारी करोड़पति बन चुके हैं।
– फ्रेशवर्क्स, अव इंफोसिस, विप्रो, HDFC बैंक, डॉ. रेड्डीज लैब जैसी कंपनियों की लिस्ट में शामिल हो गई है। यह सभी अमेरिका के नैस्डैक एक्सचेंज पर लिस्टेड हैं। सबसे पहले इंफोसिस 1999 में नैस्डैक एक्सचेंज पर लिस्ट हुई थी।
– कम्पनी के 76% कर्मचारियों के पास कम्पनी के शेयर मौजूद हैं।
न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के बाद मार्किट कैपिटल के हिसाब से दूसरी सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज का नाम है नैस्डैक। यहाँ पर एक भारतीय स्टार्टअप Freshworks Inc की लिस्टिंग हुई है। इस लिस्टिंग के साथ यह पहली भारतीय सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर (SaaS) कंपनी हो गई है जिसकी लिस्टिंग अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में हुई है।
फ्रेशवर्क्स ने IPO से 1.03 अरब डॉलर जुटाए है। कंपनी ने अपना शेयर 36 डॉलर प्रति शेयर पर जारी किया था, लेकिन पहले ही दिन 32 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज होने पर दिन के अंत में 47.55 डॉलर प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा था। इस लिस्टिंग के साथ, फ्रेशवर्क्स के 10 प्रतिशत कर्मचारी “करोड़पति” बन गए। करोड़पति बनने वाले 500 कर्मचारियों में से लगभग 70 की उम्र 30 साल से कम है। फ्रेशवर्क्स ग्रुप के 76% कर्मचारियों के पास कम्पनी का शेयर था। अगर यह कहा जाए कि भारत के SaaS क्षेत्र इसकी कहानी अभी शुरू हुई है तो यह गलत नहीं होगा।
सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर Saas क्या है?
Software as a service (सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर) एक ऐसी तकनीकी सेवा है जिसमें सॉफ्टवेयर के लाइसेंसिंग से लेकर डिलीवरी तक, सबकुछ सब्सक्रिप्शन के आधार पर होता है। इसको ऑन डिमांड सॉफ्टवेयर भी कहा जाता है क्योंकि ये इंटरनेट और क्लाउड स्पेस से नियंत्रित सॉफ्टवेयर सेवा है। इसमें कम्पनी अपने जरूरत के हिसाब से सेवाओं की मांग कर सकती है। विभिन्न क्षेत्रों के मांगो को एक केंद्रीय संचालन से नियंत्रित किया जाता है।
SaaS को लगभग सभी सॉफ़्टवेयर कंपनियों की रणनीति में शामिल किया गया है और इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर लगभग सारी कंपनियां करती है। वैश्विक IT और अनुसंधान फर्म गार्टनर ने भविष्यवाणी की है कि एक सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर (Saas) क्लाउड सेवाओं का सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है और 2021 में इसका मूल्य $ 122.6 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
भारत का बढ़ता SaaS क्षेत्र
भारत सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर (SaaS) क्षेत्र में एक बड़ी ताकत के रूप में तेजी से उभर रहा है। कंसल्टेंसी फर्म ज़िनोव के एक अनुमान के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में, सक्रिय Saas कंपनियों की संख्या दोगुनी होकर 1,000 से अधिक हो गई है, और इस क्षेत्र का राजस्व पांच गुना बढ़ गया है। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 और 2030 के बीच, भारत की सॉफ्टवेयर उत्पाद कंपनियां बाजार मूल्य के हिसाब से IT सेवा क्षेत्र को पीछे छोड़ देंगी और अगर इसी हिसाब से बढ़त हासिल करने में वह सफल रहती है, तो भारत की क्लाउड सॉफ्टवेयर कंपनियों का बाजार मूल्य 2030 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। भारत अगर तेजी से बढ़त बनाता है तो यह 2030 तक वैश्विक पटल पर यह सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर (SaaS) सेवाओं में बीस प्रतिशत की हिस्सेदारी रख सकता है।
आंकड़ो की माने तो अगले पांच वर्षों में, भारत का सास क्षेत्र 2,00,000 लोगों को रोजगार दे सकता है, जो वर्तमान में 50,000 लोगों को रोजगार देता है। इसके अलावा राजस्व लगभग 5.3 बिलियन डॉलर से बढ़कर 42 बिलियन डॉलर से 75 बिलियन डॉलर के बीच होने की उम्मीद है।
क्या Saas सेक्टर भारत के IT सेक्टर में उछाल को प्रतिबिंबित कर रहा है?
1998 में भारतीय IT क्षेत्र ने सकल घरेलू उत्पाद में 1.2% का योगदान दिया। 2017 तक यह आंकड़ा बढ़कर 7.7% हो गया है। यह स्पष्ट रूप से उछाल को प्रतिबिम्बित कर रहा है। NASSCOM के अनुसार, इस क्षेत्र ने 13% बढ़ोतरी के साथ 2019 में $180 बिलियन का राजस्व अर्जित किया, जिसमें निर्यात राजस्व $ 99 बिलियन और घरेलू राजस्व $48 बिलियन था। 2020 तक भारत के IT क्षेत्रों में लगभग 43 लाख 60 हजार कर्मचारी हैं। भारत के IT क्षेत्र में यह उछाल 1991 के सुधारों के बाद आया जब देश में आर्थिक नीतियों में निजीकरण, वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीवं रखी गई।
2000 के दशक की शुरुआत में IT क्षेत्र को 2000 के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2004 की राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड नीति और 2005 में आई विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) अधिनियम के जरिए आवश्यक प्रोत्साहन मिला। ये वहीं समय था जब इंफोसिस जैसी कम्पनियां नैस्डेक (1999) में लिस्टेड हो रही थी। आज भारतीय IT कंपनियों ने भारतीय और 80 देशों में हजारों केंद्र स्थापित कर चुकी है। मोदी सरकार ने भी भारत के सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर (SaaS) क्षेत्र को बढ़ावा देने में काम कर रही है। मोदी सरकार ने अगस्त 2015 में स्टार्टअप इंडिया और अप्रैल 2016 में स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाएं शुरू करके उद्यमिता कौशल का उपयोग करने के लिए IT सेक्टर को प्रेरित किया है।
भारत के सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर क्षेत्र के दिग्गजों का क्या कहना है?
ज़िनोव के प्रवीण भड़ाडा ने फोर्ब्स इंडिया को बताया, “आज इस क्षेत्र में लगभग एक दर्जन यूनिकॉर्न हैं और अन्य 150 से 200 कंपनियां हैं जो छोटी हैं लेकिन मजबूती से बढ़ रही हैं, जिनका राजस्व $10 मिलियन से लेकर $50 मिलियन डॉलर है।” फ्रेशवर्क्स के सह-संस्थापक और सीईओ गिरीश मातृबूथम ने क्वार्ट्ज को बताया, “एक सार्वजनिक कंपनी होने के नाते IPO के लिए लिस्टेड होना बड़ी बात नहीं है।”
50 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप तंत्र है।भारत का सास क्षेत्र जल्दी ही IT सेक्टर की सफलता को पीछे छोड़ देगा। भारतीय सास कंपनियों का उदय भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित कर रहा है, जो उस सफलता की कहानी का हिस्सा बनना चाहती हैं जो अगले पांच से दस वर्षों में होने वाली है।