प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गृहराज्य गुजरात ही है,जिसने राष्ट्रीय राजनीति में उनकी छवि को उभारा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गुजरात के सीएम की कुर्सी संभाल रहे मोदी को अपना पीएम उम्मीदवार इसीलिए बनाया था, क्योंकि गुजरात में उनके विकास कार्यों के कारण राज्य प्रगति के मार्ग की ओर बढ़ रहा था। इसके विपरीत 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से गुजरात अपने मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर असमंजस की स्थिति में था, क्योंकि उसे पीएम मोदी की छवि का कोई नेता नहीं मिल पा रहा है, जिसका संकेत 2017 के विधानसभा चुनाव में भी देखा था। 22 वर्ष में पहली बार 100 के आंकड़े के नीचे रहने वाली कांग्रेस पार्टी से कड़ी टक्कर मिली जिससे भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ। यही कारण है कि अलाकमान के इशारे पर विजय रुपाणी को सीएम पद से हटाया गया था, और कुछ इसी तरह अब डिप्टी सीएम नितिन पटेल समेत 22 मंत्रियों को हटा दिया गया है। इसी के साथ सीएम भूपेन्द्र पटेल के 24 नए मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ले ली है।
अलोकप्रियता का परिणाम
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को गुजरात दौरा किया, और उसके बाद शनिवार दोपहर ही मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इस्तीफा दे दिया। ऐसे में उम्मीद ये जताई जा रही थी कि सीएम पद डिप्टी सीएम नितिन पटेल को दिया जाएगा। इसके विपरीत भूपेन्द्र रजनीकांत पटेल को मुख्यमंत्री पद देने की घोषणा इस बात का संकेत थी कि भाजपा अब राज्य में अपनी सरकार के नेतृत्व का पूर्णतः परिवर्तन करने की तैयारी कर चुकी है। रुपाणी के सीएम रहते हुए काम करने के बावजूद अलोकप्रियता उन पर भारी पड़ी, जिसका विश्लेषण करते हुए टीएफआई ने भी बताया था, कि गुजरात मुख्यमंत्री रुपाणी झारखंड के पूर्व सीएम रघुबर दास सिंड्रोम का शिकार हुए।
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सरकार का कायाकल्प
भूपेन्द्र पटेल के सीएम बनने के बाद से ही राज्य के डिप्टी सीएम नितिन पटेल को लेकर ये कहा जा रहा था कि उनकी कुर्सी भी जा सकती है, जिसको लेकर लगातार उनके परिजनों से लेकर करीबियों तक द्वारा नाराजगी बयां की जा रही है। इन सबसे इतर वरिष्ठ होने के नाते भूपेन्द्र पटेल उनको सम्मान तो दे रहे थे, किन्तु उन्हें उनकी कुर्सी भी नहीं मिल सकी है। केन्द्रीय आलाकमान द्वारा उठाए गए कड़े कदमों के तहत सीएम भूपेन्द्र पटेल की नई कैबिनेट की बात करें तो राज्यपाल के समक्ष 24 विधायकों ने कैबिनेट पद की शपथ ली है। खास बात ये है कि रुपाणी कैबिनेट के सभी मंत्रियों का हटा दिया गया है, जिनमें डिप्टी सीएम नितिन पटेल भी शामिल हैं।
पटेल कैबिनेट के नए मंत्रियों में नंबर दो की पोजिशन विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र त्रिवेदी हैं। सीएम पद के लिए भूपेन्द्र पटेल का नाम तय होने के बाद से ही ये माना जा रहा था, कि राज्य में भाजपा को आंतरिक कलह का सामना करना पड़ सकता है। इसी का नतीजा था कि भूपेन्द्र पटेल के शपथ ग्रहण में भी वक्त लगा और वो शपथ लेने से पहले नितिन पटेल से मिले भी। इसके साथ ही भविष्य की राजनीति के लिए एक रोडमैप का भी संकेत दिया है।
चुनावी रणनीति है महत्वपूर्ण
भाजपा को पता है कि राज्य में अगले वर्ष के आखिरी में गुजरात के विधानसभा चुनाव संपन्न होंगे, गुजरात मुख्यमंत्री रुपाणी की अलोकप्रियता एवं राज्य में पार्टी की कमजोर स्थिति का अंदाजा पार्टी को उस वक्त ही लग गया था, जब 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी 100 से भी नीचे 99 पर सिमट गई थी। ऐसे में पार्टी चुनाव के 15 महीने पहले अपनी स्थिति को मजबूत करने में जुट गई है। 22 वर्ष की सत्ता विरोधी लहर के बावजूद यदि भाजपा 2017 में जीती थी, तो उसकी वजह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता एवं तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की चाणक्य नीति ही थी। ऐसे में 2022 आते आते ये सत्ता विरोधी लहर 27 साल की हो जाएगी। पार्टी को पता है कि इन विधानसभा चुनावों में विधायक से लेकर सरकार तक के मुद्दे पर सत्ता विरोधी लहर का बड़ा असर पड़ सकता है, और पार्टी को एक मात्र बड़ा फायदा पीएम मोदी की वजह से ही मिल सकता है। यही कारण है कि चुनावी रणनीति के तहत भाजपा आलाकमान ने गुजरात की पूरी कैबिनेट ही बदल दी है।
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पीएम मोदी की छवि
गुजरात का सीधा असर पीएम मोदी की छवि एवं राजनीति पर पड़ता है। 2017 के चुनाव में पार्टी को 99 सीटें मिलने पर पीएम मोदी पर ही सवाल खड़े किए गए थे, कि पार्टी पीएम मोदी का गृह राज्य होने के बावजूद कांग्रेस से बड़ी मुश्किल में जीती है। हालांकि, इससे पीएम मोदी की राष्ट्रीय छवि पर कोई सकारात्मक असर नहीं पड़ा, किन्तु विपक्षियों को उनके खिलाफ गुजरात की स्थिति का मुद्दा जरूर मिला। गुजरात में भाजपा की इस कमजोर स्थिति की वजह ये भी थी कि राज्य के नेताओं को लगता था, कि उन्हें पीएम मोदी के दम पर वोट मिलता रहेगा, किन्तु राज्य में उनकी इस ढुलमुल नीति का ही असर है कि कांग्रेस भाजपा को टक्कर देने की स्थिति में आ गई। ऐसे में केन्द्रीय आलाकमान ने राज्य सरकार का कायाकल्प कर राज्य के नेताओं को संकेत दे दिया है कि उनके पद उनकी नीतियों के कारण ही गए है।
केन्द्रीय आलाकमान द्वारा पीएम मोदी के गृहराज्य की सरकार की पूरा कायाकल्प ये दर्शाता है कि पार्टी गुजरात के संबंध में अधिक सक्रिय है।