TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    झारखंड में तनाव: जेएमएम और कांग्रेस के बीच दरार, इंडी ब्लॉक के लिए चिंता का विषय

    झारखंड में तनाव: जेएमएम और कांग्रेस के बीच दरार, इंडी ब्लॉक के लिए चिंता का विषय

    उद्धव और राज ठाकरे दो दशक बाद एक मंच पर साथ आए

    ‘भाषाई चरमपंथ’ के ज़रिए सियासी ज़मीन बचा रहे हैं उद्धव और राज ठाकरे!

    टीम बी की तैयारी: 2026 के तमिलनाडु चुनावों में डीएमके का बड़ा हथियार बन सकता है टीवीके

    2026 के तमिलनाडु चुनावों में कैसे DMK का हथियार बन सकते हैं थलापति विजय?

    सैनेटरी पैड्स पर भी राहुल गांधी: चापलूसी में अंधी हो गई है कांग्रेस!

    सैनेटरी पैड्स पर भी राहुल गांधी: चापलूसी में अंधी हो गई है कांग्रेस!

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान को कहा अलविदा, 25 साल के रिश्ते खत्म, ये रहीं वजहें

    माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान को कहा अलविदा, 25 साल के रिश्ते खत्म, ये रहीं वजहें

    विदेशी निवेश, इनोवेशन और आत्मविश्वास से भारत बन रहा है ग्लोबल लीडर: निवेश सलाहकार मनु सेठ

    विदेशी निवेश, इनोवेशन और आत्मविश्वास से भारत बन रहा है ग्लोबल लीडर: निवेश सलाहकार मनु सेठ

    हरियाणा में 1.18 लाख कर्मचारियों की सैलरी में 5% की बढ़ोतरी, आदेश जारी

    हरियाणा में 1.18 लाख कर्मचारियों की सैलरी में 5% की बढ़ोतरी, आदेश जारी

    कपड़ा उद्योग में ग्लोबल लीडर बनता भारत

    कपड़ा उद्योग में ग्लोबल लीडर बनता भारत, कैसे घुटनों पर आया बांग्लादेश

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    पाकिस्तान ने अमेरिका को सौंपी परमाणु हथियारों की कमान, सीआईए के पूर्व जासूस का बड़ा खुलासा

    पाकिस्तान ने अमेरिका को सौंपी परमाणु हथियारों की कमान, सीआईए के पूर्व जासूस का बड़ा खुलासा

    US के बाद भारत बनाएगा बंकर बस्टर मिसाइल: 24000 km/h की रफ्तार, जमीन के 100 मीटर भीतर तक करेगी वार

    US के बाद भारत बनाएगा बंकर बस्टर मिसाइल: 24000 km/h की रफ्तार, जमीन के 100 मीटर भीतर तक करेगी वार

    INS तमाल ने युद्धपोत आयात का किया अंत, आत्मनिर्भर भारत की राह पर एक और कदम

    INS तमाल के बाद अब युद्धपोत का आयात नहीं करेगा भारत, आत्मनिर्भर भारत की राह पर एक और कदम

    डिजिटल इंडिया

    डिजिटल इंडिया के 10 साल पूरे: पीएम मोदी ने बताया देश के सशक्तिकरण की क्रांति का सफर

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    पाकिस्तान ने अमेरिका को सौंपी परमाणु हथियारों की कमान, सीआईए के पूर्व जासूस का बड़ा खुलासा

    पाकिस्तान ने अमेरिका को सौंपी परमाणु हथियारों की कमान, सीआईए के पूर्व जासूस का बड़ा खुलासा

    निहाल मोदी

    नीरव मोदी का भाई निहाल मोदी अमेरिका में हुआ गिरफ्तार, भारत लाने की तैयारी शुरू

    अमेरिका में पिता को अंतिम विदाई : शवयात्रा में अचानक आसमान से फूलों के साथ बरसने लगे पैसे

    पिता को अंतिम विदाई : शवयात्रा में अचानक आसमान से फूलों के साथ बरसने लगे पैसे

    दो चीनी नागरिकों पर अमेरिकी नौसेना पर जासूसी करने का आरोप

    दो चीनी नागरिकों पर अमेरिकी नौसेना पर जासूसी करने का आरोप : DOJ ने बढ़ते खतरों की दी चेतावनी

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    इस्लाम के गढ़ सऊदी अरब में रेत में छिपा था 8000 साल पुराना मंदिर, जानें और क्या-क्या मिला

    इस्लाम के गढ़ सऊदी अरब में रेत में छिपा था 8000 साल पुराना मंदिर, जानें और क्या-क्या मिला

    पटना में सनातन महाकुंभ की तैयारियाँ तेज, 6 जुलाई को गांधी मैदान में होगा भव्य आयोजन

    पटना में सनातन महाकुंभ की तैयारियाँ तेज, 6 जुलाई को गांधी मैदान में होगा भव्य आयोजन

    अमरनाथ यात्रा शुरू: कड़ी सुरक्षा के बीच तीर्थयात्रियों का पहला जत्था रवाना

    अमरनाथ यात्रा शुरू: कड़ी सुरक्षा के बीच तीर्थयात्रियों का पहला जत्था रवाना

    दलाई लामा का बड़ा ऐलान: अगला उत्तराधिकारी जरूर आएगा, चीन का कोई दखल नहीं होगा

    दलाई लामा का बड़ा ऐलान: अगला उत्तराधिकारी जरूर आएगा, चीन का कोई दखल नहीं होगा

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार होगा भारत और पाकिस्तान के बीच मैच

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार होगा भारत और पाकिस्तान के बीच मैच

    भारत ने फिर ब्लॉक किए पाकिस्तानी कलाकारों के सोशल मीडिया अकाउंट्स

    भारत ने फिर ब्लॉक किए पाकिस्तानी कलाकारों के सोशल मीडिया अकाउंट्स

    ‘मुझे पाकिस्तान को प्यार भेजने से कोई नहीं रोक सकता’: नसीरुद्दीन शाह के पाक प्रेम के क्या हैं मायने?

    ‘मुझे पाकिस्तान को प्यार भेजने से कोई नहीं रोक सकता’: नसीरुद्दीन शाह के पाक प्रेम के क्या हैं मायने?

    कुमार विश्वास

    कुमार विश्वास ने सरदार जी3 के लिए दिलजीत को लगाई लताड़

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    झारखंड में तनाव: जेएमएम और कांग्रेस के बीच दरार, इंडी ब्लॉक के लिए चिंता का विषय

    झारखंड में तनाव: जेएमएम और कांग्रेस के बीच दरार, इंडी ब्लॉक के लिए चिंता का विषय

    उद्धव और राज ठाकरे दो दशक बाद एक मंच पर साथ आए

    ‘भाषाई चरमपंथ’ के ज़रिए सियासी ज़मीन बचा रहे हैं उद्धव और राज ठाकरे!

    टीम बी की तैयारी: 2026 के तमिलनाडु चुनावों में डीएमके का बड़ा हथियार बन सकता है टीवीके

    2026 के तमिलनाडु चुनावों में कैसे DMK का हथियार बन सकते हैं थलापति विजय?

    सैनेटरी पैड्स पर भी राहुल गांधी: चापलूसी में अंधी हो गई है कांग्रेस!

    सैनेटरी पैड्स पर भी राहुल गांधी: चापलूसी में अंधी हो गई है कांग्रेस!

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान को कहा अलविदा, 25 साल के रिश्ते खत्म, ये रहीं वजहें

    माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान को कहा अलविदा, 25 साल के रिश्ते खत्म, ये रहीं वजहें

    विदेशी निवेश, इनोवेशन और आत्मविश्वास से भारत बन रहा है ग्लोबल लीडर: निवेश सलाहकार मनु सेठ

    विदेशी निवेश, इनोवेशन और आत्मविश्वास से भारत बन रहा है ग्लोबल लीडर: निवेश सलाहकार मनु सेठ

    हरियाणा में 1.18 लाख कर्मचारियों की सैलरी में 5% की बढ़ोतरी, आदेश जारी

    हरियाणा में 1.18 लाख कर्मचारियों की सैलरी में 5% की बढ़ोतरी, आदेश जारी

    कपड़ा उद्योग में ग्लोबल लीडर बनता भारत

    कपड़ा उद्योग में ग्लोबल लीडर बनता भारत, कैसे घुटनों पर आया बांग्लादेश

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    पाकिस्तान ने अमेरिका को सौंपी परमाणु हथियारों की कमान, सीआईए के पूर्व जासूस का बड़ा खुलासा

    पाकिस्तान ने अमेरिका को सौंपी परमाणु हथियारों की कमान, सीआईए के पूर्व जासूस का बड़ा खुलासा

    US के बाद भारत बनाएगा बंकर बस्टर मिसाइल: 24000 km/h की रफ्तार, जमीन के 100 मीटर भीतर तक करेगी वार

    US के बाद भारत बनाएगा बंकर बस्टर मिसाइल: 24000 km/h की रफ्तार, जमीन के 100 मीटर भीतर तक करेगी वार

    INS तमाल ने युद्धपोत आयात का किया अंत, आत्मनिर्भर भारत की राह पर एक और कदम

    INS तमाल के बाद अब युद्धपोत का आयात नहीं करेगा भारत, आत्मनिर्भर भारत की राह पर एक और कदम

    डिजिटल इंडिया

    डिजिटल इंडिया के 10 साल पूरे: पीएम मोदी ने बताया देश के सशक्तिकरण की क्रांति का सफर

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    पाकिस्तान ने अमेरिका को सौंपी परमाणु हथियारों की कमान, सीआईए के पूर्व जासूस का बड़ा खुलासा

    पाकिस्तान ने अमेरिका को सौंपी परमाणु हथियारों की कमान, सीआईए के पूर्व जासूस का बड़ा खुलासा

    निहाल मोदी

    नीरव मोदी का भाई निहाल मोदी अमेरिका में हुआ गिरफ्तार, भारत लाने की तैयारी शुरू

    अमेरिका में पिता को अंतिम विदाई : शवयात्रा में अचानक आसमान से फूलों के साथ बरसने लगे पैसे

    पिता को अंतिम विदाई : शवयात्रा में अचानक आसमान से फूलों के साथ बरसने लगे पैसे

    दो चीनी नागरिकों पर अमेरिकी नौसेना पर जासूसी करने का आरोप

    दो चीनी नागरिकों पर अमेरिकी नौसेना पर जासूसी करने का आरोप : DOJ ने बढ़ते खतरों की दी चेतावनी

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    इस्लाम के गढ़ सऊदी अरब में रेत में छिपा था 8000 साल पुराना मंदिर, जानें और क्या-क्या मिला

    इस्लाम के गढ़ सऊदी अरब में रेत में छिपा था 8000 साल पुराना मंदिर, जानें और क्या-क्या मिला

    पटना में सनातन महाकुंभ की तैयारियाँ तेज, 6 जुलाई को गांधी मैदान में होगा भव्य आयोजन

    पटना में सनातन महाकुंभ की तैयारियाँ तेज, 6 जुलाई को गांधी मैदान में होगा भव्य आयोजन

    अमरनाथ यात्रा शुरू: कड़ी सुरक्षा के बीच तीर्थयात्रियों का पहला जत्था रवाना

    अमरनाथ यात्रा शुरू: कड़ी सुरक्षा के बीच तीर्थयात्रियों का पहला जत्था रवाना

    दलाई लामा का बड़ा ऐलान: अगला उत्तराधिकारी जरूर आएगा, चीन का कोई दखल नहीं होगा

    दलाई लामा का बड़ा ऐलान: अगला उत्तराधिकारी जरूर आएगा, चीन का कोई दखल नहीं होगा

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार होगा भारत और पाकिस्तान के बीच मैच

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार होगा भारत और पाकिस्तान के बीच मैच

    भारत ने फिर ब्लॉक किए पाकिस्तानी कलाकारों के सोशल मीडिया अकाउंट्स

    भारत ने फिर ब्लॉक किए पाकिस्तानी कलाकारों के सोशल मीडिया अकाउंट्स

    ‘मुझे पाकिस्तान को प्यार भेजने से कोई नहीं रोक सकता’: नसीरुद्दीन शाह के पाक प्रेम के क्या हैं मायने?

    ‘मुझे पाकिस्तान को प्यार भेजने से कोई नहीं रोक सकता’: नसीरुद्दीन शाह के पाक प्रेम के क्या हैं मायने?

    कुमार विश्वास

    कुमार विश्वास ने सरदार जी3 के लिए दिलजीत को लगाई लताड़

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

कैसे ऑटोमन साम्राज्य के विध्वंस ने खिलाफत आंदोलन की नींव रखी जिसके कारण मोपला हिंदू विरोधी नरसंहार हुआ

भाग-4

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
16 September 2021
in इतिहास
ऑटोमन साम्राज्य
Share on FacebookShare on X

प्रथम विश्व युद्ध की रणभेरी चारों ओर गूंज उठी। यूरोप में एक राजकुमार की हत्या देखते ही देखते एक वैश्विक संग्राम में परिवर्तित हो गया, जहां सभी को सत्ता की लालसा को तृप्त करना था। इस युद्ध से न मानवता को लाभ हुआ, और न ही विजयी हुए देशों को, परंतु हानि सभी की हुई। सर्वाधिक हानि उस देश की हुई, जिसने पराजित पक्ष जर्मनी को बढ़ावा दिया, ताकि इस्लामिक साम्राज्य के डूबते सूर्य यानि ऑटोमन साम्राज्य को बचाया जा सके। परंतु ऐसा नहीं हो सका, और तुर्की की पराजय ने 3 वर्षों बाद इतिहास के एक अनकहे नरसंहार की नींव रखी, मोपलाह नरसंहार की।

आज के इस अंक में आपको अवगत कराऊँगा मोपला के नरसंहार के उन अपरिचित, अनसुने तथ्यों, जो वामपंथी इतिहासकार कभी नहीं चाहते कि देश इनके बारे में अवगत हो। पिछले अंक में हमने आपको इस विषय से परिचित कराया था कि कैसे मोपला नरसंहार से पूर्व छोटे स्तर की 50 से अधिक हिंसक गतिविधियां होती रहती थी, जिससे मोपला जैसी त्रासदी की पृष्ठभूमि रची जा सकी। इस संस्करण में आप इस तथ्य से परिचित होंगे कि कैसे प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय के साथ ही तुर्की की इस्लामिक खिलाफत का भी अंत हुआ, और कैसे ऑटोमन साम्राज्य के विध्वंस मोपला नरसंहार के प्रमुख कारकों में से एक सिद्ध हुआ।

संबंधितपोस्ट

जब महात्मा गांधी को ‘नस्लभेदी’ बताकर घाना में हटाई गई थी उनकी प्रतिमा

INA की जासूस सरस्वती राजमणि: अंग्रेज़ों को छकाने वाली योद्धा जिन्हें भारत में पेंशन के लिए भटकना पड़ा

दांडी मार्च और वायसराय लॉर्ड इरविन को लिखा गया गांधी का वो ऐतिहासिक पत्र

और लोड करें

ऑटोमन सल्तनत का अस्त होता सूर्य 

जैसा कि हम अवगत हुए हैं, 19वीं सदी का अंत होते-होते मालाबार क्षेत्र राजनीतिक अस्थिरता के विकट परिस्थिति का सामना कर रहा था। परंतु 20 वीं शताब्दी के प्रारंभ में यही स्थिति सम्पूर्ण संसार की थी। एक ओर यूरोप में औद्योगिक क्रांति के कारण वैभव और विलासिता अपने चरमोत्कर्ष पर थी, तो वहीं यूरोप से कुछ ही दूरी पर स्थित मध्य एशिया में इस्लामिक सल्तनत का सूर्य अस्त हो रहा था। ये वो समय था, जब सऊदी अरब इस्लामिक जगत का निर्विरोध सम्राट नहीं था, और संयुक्त अरब अमीरात का लगभग कोई अस्तित्व ही नहीं था।

तब तुर्की का ऑटोमन साम्राज्य इस्लामिक जगत का सर्वमान्य नेता था, और उसका बादशाह इस्लामिक जगत का खलीफा यानि नेता था। परंतु ऑटोमन साम्राज्य पहले जितना सर्वशक्तिशाली नहीं था। वह अपनी प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करना चाहता था, और इसके लिए प्रथम विश्व युद्ध उनके लिए किसी सुनहरे अवसर से कम नहीं था।

जर्मनी और तुर्की – दो असंभावित सहयोगी

यही वो समय था, जब यूरोप में जर्मनी का प्रादुर्भाव शीघ्रता से हो रहा था। औद्योगिक क्रांति का यदि किसी ने सर्वाधिक लाभ उठाया था, तो वो था जर्मनी। औद्योगिक, आर्थिक और वित्तीय रूप से वह शीघ्र ही सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सम्मिलित होने लगा, और जल्द ही वह यूके और अमेरिका जैसे समृद्ध देशों को आँखें दिखाने लगा। आज जो स्थिति चीन की है, एक समय यूरोप में यही स्थिति जर्मनी की भी थी।

अब जर्मनी के लिए रणनीतिक रूप से तुर्की काफी महत्वपूर्ण थी, और तुर्की के लिए जर्मनी का समर्थन। जर्मनी के समर्थन से तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य को बल मिलता, और तुर्की एवं जर्मनी संयुक्त रूप से अपने शत्रु रूस को पराजित कर देते। परंतु, विश्व युद्ध के परिणाम ने पूरा पासा ही पलट दिया। जर्मनी भी पराजित हुआ, और तुर्की भी।

सेवरेस की संधि

परंतु कथा तो यहाँ से आरंभ होती है। 1920 में फ्रांस के सेवरेस शहर में हस्ताक्षरित एक समझौते के अनुसार पराजित तुर्की को अपने अधीन अधिकतर क्षेत्रफल उनके मूल स्वामी, यानि उनके वास्तविक निवासियों को सौंपनी पड़ी। इसी से ऑटोमन साम्राज्य का वास्तविक पतन प्रारंभ हुआ था। परंतु इसका भारत से क्या नाता था, और मालाबर के मोपला नरसंहार में तुर्की के खिलाफत साम्राज्य की क्या भूमिका थी?

खलीफा के अपमान से क्रोधित भारतीय मुसलमान

उस समय भी विश्व के कई मुसलमानों के लिए तुर्की के खलीफा सर्वमान्य नेता माने जाते थे, और उनका प्रभुत्व का लोहा विश्व के अनेक मुस्लिम मानते थे। ऐसे में खलीफा का अपमान अर्थात उनका अपमान, और यही भावना भारत के कई मुसलमानों में भी उमड़ रही थी। सेवरेस का समझौता केवल तुर्की के लिए अपमान का विषय नहीं था, अपितु भारतीय मुस्लिमों के लिए भी अपमान का विषय था।

इस समय तक भारतीय मुसलमानों का भारत के स्वाधीनता आंदोलन से कोई लेना देना नहीं था। 1857 की क्रांति में मुट्ठी भर मुसलमानों ने अवश्य भाग ली थी, परंतु उनमें भी अधिकतर मराठा साम्राज्य के प्रति निष्ठावान थे। किसी भी भारतीय मुस्लिम ने शुद्ध मन से भारत को स्वतंत्र कराने के लिए 1857 की क्रांति में भाग नहीं लिया था, और 1857 की क्रांति के पश्चात ब्रिटिश साम्राज्य के लिए उनकी निष्ठा बढ़ती ही गई। पहले सर सैयद अहमद खान के रूप में उन्होंने सिद्ध किया कि मुस्लिम समुदाय अँग्रेज़ों के प्रति सदैव निष्ठावान रहेगी, और तद्पश्चात अँग्रेज़ों की नीतियों के अनुसार 1906 में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की रचना हुई, जिसने आगे चलकर भारत के विभाजन में एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई।

परंतु प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की पराजय और ब्रिटेन जैसे देशों के हाथों तुर्की के खलीफा के अपमान ने उन्हें पुनर्विचार पर विवश किया। यहीं से खिलाफत आंदोलन की नींव पड़ी, जिसका नेतृत्व अली बंधुओं ने किया – मोहम्मद अली और शौकत अली, और साथ दिया मौलाना मोहम्मद अली जौहर और मौलाना मुहीयुद्दीन अहमद अथवा मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने। उद्देश्य स्पष्ट था – तुर्की के अपदस्थ खलीफा के साथ हुए ‘अन्याय’ के विरोध में भारत की ओर से एक अभियान आरंभ करना, और इसी खिलाफत आंदोलन में कांग्रेस पार्टी ने अपने हेतु एक अवसर भी खोजा।

कांग्रेस और उसकी धर्मनिरपेक्षता

जिस समय खिलाफत आंदोलन प्रारंभ हुआ, संयोगवश उसी समय भारत में अँग्रेज़ों के विरुद्ध असहयोग आंदोलन भी प्रारंभ हुआ। 1920 में कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में प्रख्यात नेता मोहनदास करमचंद गांधी ने ‘सम्पूर्ण असहयोग’ का नारा दिया, जिसके अंतर्गत ब्रिटिश सरकार को देशवासी किसी भी स्तर पर किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं देंगे, और अँग्रेज़ों से जुड़े हर प्रकार के वस्तुओं का सम्पूर्ण बहिष्कार भी करेंगे। इसी के अंतर्गत वे अँग्रेज़ों को ये भी सिद्ध करना चाहते थे कि उनके विरुद्ध हर समुदाय के व्यक्ति एक हो सकते हैं, और इसी उद्देश्य से मोहनदास गांधी, जो आज महात्मा गांधी के नाम से भी चर्चित हैं, ने खिलाफत आंदोलन के भागीदारों को स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ने का आह्वान किया।

इस आह्वान के पीछे गांधीजी के दो उद्देश्य थे– वे अँग्रेज़ों के समक्ष एक सशक्त भारत की छवि पेश करना चाहते थे, और वे अपने आप को एक ऐसे नेता के रूप में प्रस्तुत करना चाहते थे, जो सभी को साथ लेकर चल सके। परंतु, वे एक महत्वपूर्ण बात ही भूल गए – खिलाफत आंदोलन का मूल उद्देश्य।

खिलाफत का प्रचार करते गांधी

खिलाफत आंदोलन का मूल उद्देश्य था – ब्रिटिश साम्राज्य एवं यूरोप पर ऑटोमन साम्राज्य को पुनर्स्थापित करने के लिए दबाव बनाना और तुर्की के खलीफा को उनका स्थान पुनः दिलाना। क्या इसका भारत या भारत की संस्कृति से कोई नाता था? क्या इससे भारत को कोई लाभ मिलता? ऐसा कुछ भी न होने के बाद भी मोहनदास गांधी ने अपनी अदूरदर्शिता का परिचय देते हुए खिलाफत आंदोलन को भरपूर समर्थन दिया, और खिलाफत की मांगों को कांग्रेस के मंच से बढ़ावा भी दिया। पंथनिरपेक्षता के नाम पर वे भारत के सांस्कृतिक विनाश की ही नींव रख रहे थे।

जिस प्रकार से निरंतर तुष्टीकरण ने डायरेक्ट एक्शन डे जैसे वीभत्स त्रासदी का सृजन किया, ठीक उसी प्रकार से मोहनदास गांधी की अदूरदर्शिता और कॉंग्रेस की तुष्टीकरण की नीति ने मोपला के नरसंहार की पृष्ठभूमि रची। यदि खिलाफत आन्दोलन को कांग्रेस ने अपने मंच पर इतना स्पष्ट बढ़ावा न दिया होता, तो ये भी संभव था कि मोपला के मुस्लिम सांप्रदायिक हिंसा अवश्य करते, परंतु वह इतना वीभत्स न होता, और न ही इतना विशाल होता, जितना 1921 के मोपला नरसंहार थे।

खिलाफत आंदोलन पर कांग्रेस की अदूरदर्शिता ने निस्संदेह मोपला की नींव रखी, परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि इससे उन्होंने कोई सीख नहीं ली। अगले अंक में हम इस दंगे के नृशंस वृतांत को और स्पष्ट रूप में समझेंगे। हम यह समझेंगे की महिलाओं को बेरहमी से पीटना,जीवित व्यक्तियों की खाल उतारना,पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का सामूहिक नरसंहार,पूरे परिवारों को जिंदा जलाना,जबरन हजारों हिंदुओं का धर्मांतरण और जिन्होंने इस्लाम अपनाने से इनकार किया, उनकी हत्या करना,अधमरे लोगों को कुओं में फेंकना और पीड़ितों को मरने और कष्टों से मुक्त होने के लिए संघर्ष करने हेतु छोड़ देना का कार्य कैसे किया गया? हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए अशांत क्षेत्रों में स्थित कई मंदिरों को कैसे अपवित्र और निर्ममता पूर्वक नष्ट कर दिया गया? तब तक के लिए साधुवाद।

 

भाग 1 – मोपला नरसंहार: कैसे टीपू सुल्तान और उसके पिता हैदर अली ने मोपला नरसंहार के बीज बोए थे

भाग 2- मोपला नरसंहार: टीपू सुल्तान के बाद मोपला मुसलमानों और हिंदुओं के बीच विभाजन का कारण 

भाग 3- मोपला नरसंहार: 1921 कोई अकेली घटना नहीं थी, 1836 से 1921 के बीच 50 से अधिक दंगे हुए थे

Tags: खिलाफत आंदोलनमहात्मा गाँधीमोपला नरसंहार
शेयर64ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

ये Hindu IT Cell आखिर है क्या जिसने राणा अय्यूब की मुश्किलें बढ़ा दी हैं?

अगली पोस्ट

बिजनौर के कथित रेप और हत्या के मामले में आरोपी निकला शहजाद, वामपंथियों ने साधी चुप्पी

संबंधित पोस्ट

इस्लाम के गढ़ सऊदी अरब में रेत में छिपा था 8000 साल पुराना मंदिर, जानें और क्या-क्या मिला
इतिहास

इस्लाम के गढ़ सऊदी अरब में रेत में छिपा था 8000 साल पुराना मंदिर, जानें और क्या-क्या मिला

4 July 2025

इस्लाम के गढ़ नाम से विख्यात सऊदी अरब का नाम सुनते ही आंखों के सामने रेगिस्तानी देश की छवि सामने आ जाती है। लेकिन, अब...

संविधान की प्रस्तावना में कैसे आए ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द?
इतिहास

संविधान की प्रस्तावना में कैसे आए ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द?

27 June 2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के बयानों के बाद 'समाजवादी' और 'पंथनिरपेक्ष' ये दोनों शब्द चर्चा में हैं। देशभर में इस पर...

25 जून 1989 का ‘मोगा नरसंहार’: संघ के स्वयंसेवकों के अमर बलिदान की स्मृति
इतिहास

25 जून 1989 का ‘मोगा नरसंहार’: संघ के स्वयंसेवकों के अमर बलिदान की स्मृति

25 June 2025

25 जून एक ऐसी तिथि है जिसे देश शायद ही कभी भूल पाये। 25 जून 1975 की मध्य रात्रि इंदिरा गाँधी ने देश को आपातकाल...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Murugan Wave Rattles INDIA Bloc, Triggers Reactionary Meet in Madurai

Murugan Wave Rattles INDIA Bloc, Triggers Reactionary Meet in Madurai

00:08:10

Rage on stage: why a police officer resigned quit after CM's outburst

00:03:40

Right to religion vs duty to identify: where should India draw the line?

00:04:34

Junior Kharge Calls to Ban RSS Amid Karnataka Congress Civil War!

00:10:02

Kerala Muslim Groups oppose Zumba classes for School Children

00:07:21
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited