केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले डेढ़ महीने में 6 एनजीओ पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उनके विदेशी फंडिंग के लाइसेंस को रद्द कर दिया है। यह सभी एनजीओ FCRA की गाइड लाइन का उल्लंघन करते पाए गए हैं। इन NGOs ने विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल धर्मांतरण के उद्देश्य से किया है। इसमें ईसाई इवेंजलिस्ट और इस्लामिक संगठन दोनों शामिल है। इस साल अब तक कुल 9 एनजीओ का लाइसेंस गृह मंत्रालय द्वारा रद्द किया जा चुका है।
हाल ही में केरल के कोझिकोड में स्थित एक कट्टर सुन्नी संगठन Markazul Ighasathil Kairiyathil Hindiyya का लाइसेंस रद्द करके उसके सभी खातों को सीज कर लिया गया था। सुन्नी इस्लामिक नेता अबुबकर अहमद द्वारा संचालित एनजीओ को हर साल 200 करोड़ रुपए की फंडिंग मिलती थी। 27 अगस्त को इस एनजीओ का लाइसेंस रद्द कर दिया गया। इसी प्रकार उड़ीसा स्थित पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंपॉर्टेंट ऑफ ट्राईबल्स और मदुरै स्थित रस फाउंडेशन (Russ Foundation) का लाइसेंस भी 28 अगस्त को रद्द कर दिया गया। रस फाउंडेशन के एक निदेशक पर 2019 में 10 वर्षीय नाबालिग से यौन शोषण का आरोप लगा था।
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जुलाई में लखनऊ स्थित अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन पर भी गृह मंत्रालय ने कार्रवाई की। यह संगठन उत्तर प्रदेश व आसपास के क्षेत्र में रिलिजियस कन्वर्जन को बढ़ावा दे रहा था। जुलाई में ही मेवात स्थित एक अन्य संगठन पर भी इसी प्रकार की कार्रवाई हुई है। हमने अपनी एक रिपोर्ट में भी बताया था कैसे उत्तर प्रदेश में मूक बधिर लोगों से लेकर अलग-अलग तरह के बेसहारा लोगों का हिन्दू धर्म से इस्लाम मजहब में परिवर्तन करने का काम धड़ल्ले से किया जाता। ATS की गिरफ्त में आए मोहम्मद उमर गौतम और मुफ़्ती काजी जहाँगीर कासमी ने 1000 से अधिक लोगों को डरा धमकाकर और लालच देकर विभिन्न माध्यम से इस्लाम में परिवर्तित करवाया था।
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अभी जून महीने में कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव (Commonwealth Human Rights Initiative (CHRI)) नामक संगठन का लाइसेंस सस्पेंड किया गया वहीं, आंध्र प्रदेश में कार्यरत Holy Spirit Ministries नामक संगठन का विदेशी फंडिंग लाइसेंस भी रद्द किया गया है।
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एक के बाद एक जिस तेजी से ऐसे एनजीओ का खुलासा हो रहा है जो धन का लोभ देकर लोगों का रिलिजियस कन्वर्जन करा रहे हैं, उसे देखते हुए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सनातन संस्कृति को समाप्त करने के लिए हजार वर्ष से चल रहे अनवरत प्रयास अभी जारी हैं।
एक ओर तो यह एनजीओ विदेशी फंडिंग का प्रयोग करके भोले भाले हिंदुओं का मतांतरण करवा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर सरकार भी ऐसे संगठनों को टैक्स में छूट देती है और विभिन्न प्रकार की आर्थिक मदद भी देती है। दूसरी ओर केंद्र व राज्य सरकारें हिन्दू मंदिरों पर टैक्स लगाती हैं। उनके ट्रस्ट के अधिग्रहण करके स्वयं मंदिरों का संचालन करती हैं।
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भारत का प्रशासनिक तंत्र अपनी ढाँचागत कमियों के कारण पूर्ण रूप से हिंदू विरोधी है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हमने अपना प्रशासनिक तंत्र ब्रिटिश शासन से ग्रहण किया है। ऐसे में जब तक प्रशासनिक सुधार लागू नहीं किये जाते और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त नहीं किया जाता एवं ईसाई और इस्लामिक संगठनों विदेशी फंडिंग की पूरी तरह बंद नहीं की जाती; तब तक धर्मांतरण को रोका नहीं जा सकता। जब पश्चिमी ईसाई देश और मुस्लिम देश, अपने यहाँ सांस्कृतिक, धार्मिक और रिलिजियस संगठनों को विदेशी फंडिंग द्वारा विस्तार की अनुमति नहीं देते तो भारत में इस संदर्भ में और कड़े नियम क्यों नहीं लागू किए जाते।