इन दिनों हम स्पष्ट रुप से देख सकते हैं कि किस प्रकार से वामपंथी बुद्धिजीवी रक्षात्मक मुद्दों पर भारत को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। जब बात भारत और चीन के वर्तमान तनातनी पर आती है तो वामपंथी किसी भी स्थिति में भारत को हीन और चीन को श्रेष्ठ सिद्ध दिखाना चाहते हैं। लेकिन इस बार भारतीय थलसेना के वर्तमान उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सीपी मोहंती ने तथ्यों सहित न केवल इन वामपंथियों की पोल खोली बल्कि ये भी बताया है कि यदि केंद्र सरकार ने सही समय पर सैन्यबल में निवेश न किया होता, तो गलवान घाटी तो छोड़िए हम डोकलाम भी गंवा बैठते।
सही समय पर सरकार ने किया निवेश
एक समारोह को संबोधित करते हुए थलसेना उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सीपी मोहंती ने बिना किसी का नाम लिए स्पष्ट कहा कि भारत के सुरक्षाबलों में सही समय पर सही निवेश करने से देश की सुरक्षा रणनीति को एक नई राह मिली है। उन्होंने कहा, “यदि देश ने सुरक्षा पर सही समय में निवेश न किया होता तो कारगिल और डोकलाम दोनों में हमारी पराजय निश्चित थी। जम्मू कश्मीर में भी हमारी आंतरिक सुरक्षा का कोई ठिकाना नहीं होता, पूर्वोत्तर क्षेत्र निरंतर हिंसक गतिविधियों से त्रस्त रहता और नक्सलियों की पौ बारह रहती”।
यहां उनका संकेत निस्संदेह वर्तमान बॉर्डर समस्याओं को लेकर था, जहां भारत, पाकिस्तान के साथ चीन की गुंडई को भी झेल रहा है। दोनों मोर्चों पर भारत न सिर्फ सशक्त है, अपितु पिछले ही वर्ष हमारी सेनाओं ने गलवान घाटी में चीन को मुंहतोड़ जवाब भी दिया है। हालांकि, इसमें 20 सैनिकों को अपने प्राणों की आहुति भी देनी पड़ी थी।
लेफ्टिनेंट जनरल सीपी मोहंती यहीं नहीं रुके। जब उनसे पूछा गया कि सैन्यबलों पर जो धन खर्च किया जा रहा है, क्या वो उचित है? साथ ही उससे संबंधित कई बुद्धिजीवियों के तर्क पर उनके विचार पूछे गए, तो उन्होंने बेहद व्यंग्यात्मक तंज कसते हुए कहा, “यदि तिब्बत के पास सशक्त सेनाएं होती, तो उनपर आक्रमण करने का कोई साहस तक नहीं कर पाता”।
कांग्रेस ने तिब्बत कर दिया था दान
ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से यह कथन कांग्रेस और उनके चाटुकारों पर एक करारे तमाचे के समान है, जो आजकल सुरक्षाबलों में निवेश को लेकर केंद्र सरकार को नीचा दिखाने के प्रयास में लगे रहते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कैसे कांग्रेस सरकार ने एक प्रकार से तिब्बत चीन को दान कर दी थी, जबकि 1949 में चीन के पास संसाधन और शक्ति भी नहीं थी कि वह तिब्बत को अपने नियंत्रण में ले सके। हमने तो ये भी देखा है कि कैसे जब भी केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार ने सेना के आधुनिकीकरण के प्रयास किए हैं तब कांग्रेस और वामपंथी गिरोह ने सदैव बाधा डालने का प्रयास किया है। राफेल प्रकरण से बढ़िया उदाहरण और क्या हो सकता है।
कांग्रेस और बुद्धिजीवी गैंग सुरक्षाबलों में निवेश के नाम पर केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है, वह स्वयं अपने करतूतों को आज तक सफाई से नहीं छुपा पाई। जिस पार्टी ने देश के सुरक्षाबलों के लिए गोलाबारूद तक खरीदने में कंजूसी दिखाई हो, उससे आप आखिर कैसे देश की सुरक्षा के लिए चिंतित होने की आशा कर सकते हैं। 2020-21 में केंद्र सरकार ने लगभग पौने पांच लाख करोड़ रुपये देश की सुरक्षा के लिए आवंटित किए, जो 2013-14 में यूपीए के शासन में आवंटित मात्र 2 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े से ढाई गुना अधिक था। ऐसे में थल सेना उपप्रमुख ने तथ्यों सहित ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ को बिना लाग लपेट के जबरदस्त धोया भी और ये भी स्पष्ट किया है कि जब तक भारतीय सुरक्षाबल तैनात है, देश के किसी भी नागरिक को भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है।