आज आईपीएल अपने चरमोत्कर्ष पर है। ‘क्रिकेट का महाकुंभ’ कहे जाने वाले इस प्रोफेशनल क्रिकेट लीग का गठन टी20 क्रिकेट को एक नई उड़ान देने और भारतीय क्रिकेटरों को वैश्विक क्रिकेट के मापदंडों के अनुकूल बनाने हेतु हुआ था। अगर आज इस लीग के प्रदर्शन और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करें तो ये अपने उद्देश्य में अपेक्षाओं से कहीं अधिक सफल रहा है। लेकिन जिस व्यक्ति के कारण आज आईपीएल इतना सफल है, जिस व्यक्ति ने आईपीएल को आज इस स्तर तक पहुंचाया, आज उस व्यक्ति की प्रशंसा करना तो छोड़िए, उसे कोई पूछता भी नहीं। हम बात कर रहे हैं उद्योगपति एवं राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी की, जिन्होंने आईपीएल को लेकर मास्टर प्लान बनाया था और उनके कारण ही आईपीएल की नींव पड़ी। लेकिन ये ललित मोदी हैं कौन? इन्होंने ऐसा क्या किया कि आईपीएल जैसे सफल टूर्नामेंट की नींव पड़ने के बाद भी ये मारे-मारे फिर रहे हैं?
90 के दशक में ही बनाया था प्लान
दरअसल, ललित मोदी प्रसिद्ध उद्योगपति गूजरमल मोदी के परिवार से नाता रखते हैं, जिनकी गिनती कभी भारत के शीर्ष उद्योगपति परिवारों में हुआ करती थी। मोदी ग्रुप ऑफ कम्पनीज़ के अंतर्गत साबुन से लेकर शैक्षणिक संस्थानों तक पर उनका अच्छा खासा प्रभाव था। उन्होंने तो एक औद्योगिक शहर तक बसा रखा था, जिसका नाम था मोदीनगर और एक समय में यह देश के लिए रोज़गार उत्पन्न करने के सर्वोच्च जगहों में से एक था।
तो ललित मोदी का क्रिकेट से नाता कैसे जुड़ा? असल में वह अमेरिका के स्पोर्ट्स लीग से बेहद प्रभावित थे और उन्होंने 90 के दशक में ही BCCI को एक प्रोफेशनल लीग आयोजित कराने का सुझाव दिया। हालांकि, BCCI ने उनके सुझाव को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन 2005 में जब ज़ी मीडिया ग्रुप ने पूर्व क्रिकेटरों के साथ मिलकर केरी पैकर लीग की शैली में इंडियन क्रिकेट लीग की घोषणा की तो BCCI सकपका गई। उन्होंने इस लीग को प्रतिबंधित कराने में सफलता तो पा ली लेकिन उन्हें एक असरदार विकल्प भी ढूंढना आवश्यक था। यहीं से शुरु होती है आईपीएल को लेकर ललित मोदी की कहानी।
और पढ़े- कभी थे ‘किंग कोहली’ अब एक ही महीने में हुए सिर्फ कोहली
तब ललित मोदी पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे और वे राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष थे। एक उद्योगपति होने के नाते उनके अंदर व्यापारिक सोच काफी गजब की थी, जिसके कारण वर्षों से जीर्ण शीर्ण पड़ा सवाई मानसिंह स्टेडियम रातों रात एक आकर्षक बिज़नेस मॉडल में परिवर्तित हो गया। इसी मॉडल के बल पर ललित मोदी ने एक आकर्षक टी20 लीग का ऑफर दिया, जो न केवल BCCI के लिए व्यवसायिक रूप से हितकारी होता, अपितु भारत को टी20 क्रिकेट के लिए उचित एक्सपोज़र भी देता।
अब मरता क्या न करता, BCCI को ललित मोदी का यह ऑफर स्वीकारना ही पड़ा। लेकिन 2007 में जब भारत ने टी20 विश्व कप के प्रथम संस्करण में विजय पाई तो यह अप्रत्याशित विजय BCCI के लिए एक सुनहरा अवसर भी सिद्ध हुई। उनके लिए अब आईपीएल की मजबूरी एक जैकपॉट थी जिससे उन्हें बेहिसाब धन मिल सकता था। चूंकि शरद पवार तत्कालीन BCCI अध्यक्ष थे और उन्हें ऐसा बनने में ललित मोदी ने काफी सहायता की थी। इसीलिए ललित मोदी जल्द ही BCCI के उपाध्यक्ष बन गए और 2008 में आईपीएल का पहला सीजन खेला गया।
2013 में BCCI ने लगा दिया पूर्णकालिक बैन
फिर ऐसा क्या हुआ कि जो व्यक्ति शासन और BCCI के इतने करीब था, जिसके कनेक्शन इतने मजबूत थे कि कोई उसका कुछ न बिगाड़ सके, वो आज कहीं का नहीं है? दरअसल, साल 2010 में आईपीएल 2011 के लिए 2 नई टीमें चुनी जानी थी। तब ललित मोदी ने आरोप लगाया था कि फ्रेंचाइजी कोच्चि टस्कर्स केरल में शशि थरूर से अवैध हिस्सेदारी में है, जिसके कारण तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
और पढ़े- दादागिरी 2.0: टीम इंडिया में बड़े बदलाव की संभावना, कुंबले रवि शास्त्री की जगह लेंगे
इसके पश्चात ललित मोदी पर कोच्चि की टीम ने आईपीएल से हटने का दबाव डालने का आरोप लगाया। जिसके बाद BCCI ने अपनी कार्रवाई में ललित मोदी को कथित तौर से अनुशासनहीनता एवं वित्तीय अनियमितता का दोषी पाया और 2013 में उनपर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन तत्कालीन कांग्रेस शासन इतने पर ही नहीं रुकी। जिस व्यक्ति के कारण उन्हें इतनी प्रसिद्धि मिली, जिस व्यक्ति के कारण देश को आईपीएल मिला, उसे घोटालेबाज़ सिद्ध करने के चक्कर में उसे भारत से निकालकर ही दम लिया था।
जिस विचार के कारण आज ललित मोदी अपने ही देश से बाहर रहने को विवश हैं, वहीं विचार आज पूरी दुनिया में क्रिकेट को लोकप्रिय बनाए हुए हैं। आज भी आईपीएल क्रिकेट की लोकप्रियता का पर्याय है लेकिन राजनीतिक दांवपेंच के कारण वही व्यक्ति इसकी भेंट चढ़ गया जिसने इस भव्य इमारत की नींव स्थापित की थी।