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“Dismantling Global Hindutva conference” में महिंद्रा का नाम चौंकाने वाला और अविश्वसनीय है

आनंद महिंद्रा को स्पष्टीकरण देना चाहिए!

Aniket Raj द्वारा Aniket Raj
7 September 2021
in चर्चित
डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व
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नम्र निवेदन: इस ख़बर को आपके ध्यान और वैचारिक मंथन की ज़रूरत है।

‘’10 से 12 सितंबर तक ‘डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ का आयोजन किया जा रहा है’’ अँग्रेजी का असर आपके समझ पर ना पड़े इसलिए हिन्दी अनुवाद अनिवार्य हो जाता है। ‘Dismantling’ का अर्थ- उखाड़ फेकना, विध्वंस कर देना, विवस्त्रीकरण, ढहाना या तोड़-फोड़ करना होता है। TFI ने पहले अपनी  रिपोर्ट में बताया है कि कैसे तालिबान से ध्यान हटाने के लिए वैश्विक स्तर पर इस तरह से हिंदुओं के खिलाफ आयोजन किया जा रहा है। अब यह खबर सामने आ रही है कि डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व के आयोजन में महिंद्रा ग्रुप का भी नाम है। ट्विटर पर अक्सर राष्ट्रवादी ट्वीट्स के लिए जाने जाने वाले आनंद महिंद्रा की कंपनी इस तरह से आयोजन का हिस्सा है और फंडिंग भी कर रही है। यह खबर न सिर्फ चौंकाने वाला है बल्कि अविश्वसनीय भी है। हालांकि, यही सच है।

पूरी ख़बर ये है कि अनाम आयोजकों द्वारा 10 से 12 सितंबर तक ‘डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ का आयोजन किया जा रहा है और इसका उद्देश्य” भारत और अन्य जगहों पर हिंदू वर्चस्ववादी विचारधारा के समेकन की खोज करना” है। सम्मेलन के आयोजकों का दावा है कि इस कार्यक्रम को 50 से अधिक विश्वविद्यालयों में 70 से अधिक केंद्रों या विभागों द्वारा सह-प्रायोजित किया गया है। आयोजकों ने शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों को अपने प्रायोजकों और सह-प्रायोजकों के रूप में सूचीबद्ध किया है जिनमें कोलंबिया विश्वविद्यालय, एमोरी विश्वविद्यालय, हार्वर्ड विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, रटगर्स विश्वविद्यालय, प्रिंसटन विश्वविद्यालय, शिकागो विश्वविद्यालय और बर्कले, सैन डिएगो और सांता में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय शामिल हैं।

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अंबानी टेलीकॉम सेक्टर में आये और ये सेक्टर हमेशा के लिए बदल गया, अब महिंद्रा भी आ रहे हैं

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आनंद महिंद्रा के महिंद्रा ह्यूमैनिटीज सेंटर (जो कि हार्वर्ड विश्वविद्यालयसे संबंध रखता है) को विवादास्पद‘’डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’’ सम्मेलन के “सह-प्रायोजक” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जिसका दुनिया भर के हिंदुओं ने विरोध किया है।

10 मिलियन डॉलर दान किया था महिंद्रा ने

2010 में आनंद महिंद्रा ने हार्वर्ड में महिंद्रा ह्यूमैनिटीज सेंटर की स्थापना के लिए 10 मिलियन डॉलर का दान दिया था, जो हार्वर्ड के इतिहास में मानविकी विभाग के लिए सबसे बड़ा दान था। इसके बाद हावर्ड के इस केंद्र का नाम नाम बदलकर महिंद्रा ह्यूमैनिटीज सेंटर कर दिया गया।

दिलचस्प बात यह है कि महिंद्रा ने तब कहा था कि महिंद्रा ह्यूमैनिटीज सेंटर कला, संस्कृति, विज्ञान और दर्शन के वैश्विक सोच में भारत के योगदान की बौद्धिक विरासत का हिस्सा होगा। ऐसे में यह अजीब लगेगा कि एक दशक बाद वही केंद्र एक कट्टर हिंदू विरोधी और भारत विरोधी सम्मेलन को प्रायोजित कर रहा है। डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व सम्मेलन पर वैश्विक स्तर पर हिंदुओं के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है और कई संस्थानों ने अपने Logo और नाम को इस आयोजन से हटाने के लिए भी कहा है। महिंद्रा सेंटर फॉर ह्यूमैनिटीज का नाम अभी भी इस नफरत-सम्मेलन के साथ प्रमुखता से जुड़ा हुआ है जिसके बाद यह प्रश्न तो स्वाभाविक है कि क्या ग्लोबल हिंदुत्व कार्यक्रम को आनंद महिंद्रा का आशीर्वाद प्राप्त है।

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आनंद महिंद्रा भारत के एक गणमान्य और अतिप्रतिष्ठित व्यक्ति है। उनके उद्यम और प्रयासों ने वैश्विक स्तर पर ना सिर्फ भारत की शाख को मजबूत किया है बल्कि उसके आर्थिक महाशक्ति बनने का मार्ग भी प्रशस्त किया है। आनंद महिंद्रा सकारात्मकता और आशावाद फैलाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अत्यंत लोकप्रिय हैं। उन्होंने हाल ही में भारत के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा को एक XUV 700 भी उपहार में दी थी, जो देश के लिए प्रशंसा के प्रतीक के रूप में थी। यह आश्चर्य की बात है कि महिंद्रा द्वारा वित्त पोषित एक संस्था ऐसी अप्रिय घटना में शामिल है जो हिंदुओं को अपमानित करना चाहती है।

जैसे-जैसे आयोजन की तारीखें नजदीक आती जा रही हैं, इस घटना के पीछे कई लोगों का खुलासा भी हो रहा है। विजय पटेल नाम के एक नेटिजन ने बताया है कि इस आयोजन के पीछे एक भारतीय पति-पत्नी की जोड़ी और उनके बेटे की संलिप्तता है।

Thread

You must wonder who is the mastermind of Hindumisia and propaganda conference #DismantlingGlobalHindutva

according to my sources, there is a husband-wife duo and their son is the mastermind of this propaganda.

Let me expose them. pic.twitter.com/phjUTvN49S

— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) September 5, 2021

विजय के सूत्रों के अनुसार, अनिया लूंबा उनके पति सुवीर कौल तथा उनके बेटे तारिक तचिल डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व प्रचार के मास्टरमाइंड हैं। वे सभी पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय से संबंधित हैं। 2013 में अनिया और उनके पति ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी को पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल द्वारा आयोजित इंडिया इकोनॉमिक फोरम में बोलने से रोक दिया था। इसका अर्थ यह है कि पीएम मोदी के देश की कमान संभालने से पहले ही परिवार को उनसे खास नफरत थी।

लूंबा के पिता एक पूर्णकालिक ट्रेड यूनियनिस्ट और कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे। इस प्रकार, यह पता लगाया जा सकता है कि वह एक कम्युनिस्ट है या लोकप्रिय बोलचाल में कहें तो एक अर्बन नक्सल है। विजय ने ट्विटर थ्रेड में आगे खुलासा किया कि लूंबा के पति सुवीर कौल भी पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। उनके बेटे तारिक तचिल उसी विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर द एडवांस स्टडी ऑफ इंडिया (CASI) के निदेशक हैं, जहां उनके माता-पिता काम कर रहे हैं। तीनों कट्टर कम्युनिस्ट हैं और भारत विरोधी एजेंडे में बेहद सक्रिय हैं। वे सभी शीर्ष कम्युनिस्ट राजनेताओं, एजेंडा पत्रकारों और पूरे भारत के विश्वविद्यालयों के कम्युनिस्ट प्रोफेसरों से जुड़े हुए हैं।

डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व और महिंद्रा कनेक्शन

सेंटर फॉर द एडवांस्ड स्टडी ऑफ़ इंडिया (CASI) के अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड की सूची में कई और प्रमुख भारतीय नाम हैं। पहले माना जा रहा था कि विवाद में आनंद महिंद्रा का नाम एक संयोग हो सकता है क्योंकि संस्थान के कुछ भारत विरोधी तत्व संकाय के सिर पर चढ़ गए और इस आयोजन के प्रति अपनी निष्ठा की घोषणा कर दी, लेकिन भारत के मानद आजीवन सदस्यों की CASI सूची पर एक नज़र डालें तो यह इंगित करता है कि यह सिर्फ एक संयोग नहीं हो सकता है।

केशुभाई महिंद्रा – महिंद्रा समूह के मानद अध्यक्ष और CASI के मानद सदस्य हैं, उनका भी इस लिस्ट में नाम है। लगभग पांच दशकों तक कंपनी का नेतृत्व करने और अपने भतीजे आनंद महिंद्रा को पद सौंपने के बाद अगस्त 2012 में महिंद्रा समूह के अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।

डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व conference एक बड़ा तमाशा है जो एक ही सांस में हिंदुओं और नाजियों की तुलना करने का निकृष्ट प्रयास करता है। हिंदुओं के खिलाफ युद्ध की घोषणा सहायक प्रकाशनों में ऑप-एड से एक पूर्ण जन अभियान में बदल गई है। हालांकि, एकमात्र आश्चर्य आनंद महिंद्रा कनेक्शन है और एक उम्मीद है कि महिंद्रा प्रमुख आयोजन में अपनी भागीदारी के बारे में हवा को साफ कर देंगे।

आनंद महिंद्रा और डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व सम्मेलन के आयोजकों-प्रायोजकों को ये समझना चाहिए कि उनके इस कृत्य से हिन्दुत्व को रत्ती भर फर्क नहीं पड़ता। इतिहास के झंझावातों, इस्लाम के आक्रमणों और गोरों के छल के आगे जहां मिस्र, रोम, पारसी, फ़ारसी सभी मिट गए वहीं हिन्दुत्व ने अपने विराट स्वरूप में इसे समाहित कर लिया। चूहों के खोदने से पहाड़ नहीं उखड़ते ना ही नालों की बेचैनी का असर सागर पर पड़ता है। हिन्दुत्व स्वयं के बारे में चिंतित नहीं है। उसे तो चिंता बस इस बात की है कि कहीं इस प्रकार के आयोजनों से भारत के राष्ट्रवाद को तो धूमिल नहीं किया जा रहा है। अब पाठकगण ज़रा सोचें की एक ओर जो धर्म स्वयं के सनक हेतु राष्ट्र को ‘dismantle’ कर दे उसके विपरीत उस धर्म को क्यों बदनाम किया जा रहा है जो स्वयं से पहले राष्ट्र के सम्मान के लिए चिंतित हो। इसका जवाब आनंद महिंद्रा को आगे आकर देना चाहिए। सत्य-सनातन को तो कभी आंच नहीं आएगी लेकिन आनंद की प्रतिष्ठा और राष्ट्रभक्ति पर कई सवाल उठ खड़े होंगे।

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ऐसी विषम परिस्थिति में हिन्दू समाज क्या कर रहा है इसी बात से आप डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व आयोजन के प्रयोजन की आवश्यकता को समझ लेंगे। विरोध में एक हिन्दू लेख लिख रहा और दूसरा उसे पढ़ रहा है। मंदिरों से कोई भ्रामक उद्घोष नहीं हुआ, आयोजन में किसी ने गलत तरीके से बाधा डालने की कोशिश नहीं की, दिन-ईमान भी खतरे में नहीं पड़ा और किसी का गर्दन नहीं कटा। ये सारे कार्य होते अगर आयोजक महोदय ‘dismantling radical Islam’ का आयोजन करते, लेकिन शार्ली एब्डो  से लेकर पेरिस हमलों तक को देख चुके आयोजक महोदय आपने गर्दन का मोल समझते है। अतः वो ऐसा आयोजन करने का दुस्साहस कभी नहीं कर सकते। जो धर्म और संस्कृति इतनी सहिष्णु है कि आपके इस अपमान को भी इतने सभ्य तरीके से संभाल रही है, पता नहीं लोग उसे ही बदनाम करने के पीछे क्यों पड़े है? खैर, दोगलेपन की भी अपने सीमाएँ है।

 

Tags: CASIDismantling Global Hindutva conferenceआनंद महिंद्रा
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