नरेश टिकैत ने कैमरे पर बताया, कैसे किसानों का रणनीतिक तौर पर शोषण किया जा सकता है

नरेश टिकैत

PC: Zee News

एक प्रायोजित तरीके से लोगों को भ्रमित करके सरकार के विरुद्ध माहौल चाहे जितना भी बना लो, किन्तु उसका खुलासा एक न एक दिन हो ही जाता है। वही हुआ है किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के टिकैत भाइयों के साथ। राकेश टिकैत का दोहरा चरित्र तो पहले ही अनेकों बार सामने आ चुका है। इसके विपरीत अब उनके भाई नरेश टिकैत स्वयं स्वीकार कर चुके हैं कि कैसे ये लोग किसानों के हितों के नाम पर खिलवाड़ करते हैं और एमएसपी से कम कीमत पर फसल बिकवाने का गोरखधंधा करते हैं। वहीं, पर्दे के पीछे से वो एक उचित कीमत पर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और अपने खेतों को लीज पर देने को भी तैयार हैं, जिसमें मुख्य रूप से नुकसान आम किसानों का ही होता है।

हम सभी ने किसान आंदोलन के अनेकों रंग देखें हैं, जिसमें कभी 26 जनवरी की अराजकता दिखती है तो कभी आंदोलन स्थलों पर महिलाओं और मीडियाकर्मियों के साथ यौन उत्पीड़न और  रेप के मामले। ये सभी पहले ही विश्वसनीयता को निचले स्तर पर लेकर जा चुके हैं। ऐसे में अब जी न्यूज का एक स्टिंग ऑपरेशन सामने आया है, जिसने किसान नेता राकेश टिकैत की पोल खोल कर रख दी है। स्टिंग ऑपरेशन में ये स्पष्ट तौर पर दिखता है कि राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत किसानों के जिन मुद्दों पर आंदोलन कर रहे हैं, असल में वो उन्हीं कृषि कानूनों से लाभ कमाना चाहते हैं और एमएसपी से कम में गन्ना किसानों की फसल बिकवाकर भी लाभ कमाना चाहते हैं। हालांकि, इस स्टिंग आपरेशन के रिलीज होने के बाद अब राकेश टिकैत भड़क गए हैं और मीडिया को ही धमकी देने पर उतर आए हैं।

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एक्सपोज हुए नरेश टिकैत

नरेश टिकैत ने इस मुद्दे पर अपनी जहर की नीति जाहिर कर दी है। स्टिंग ऑपरेशन के दौरान उन्होंने गन्ने की फसल को एमएसपी से कम में बेचने की बात स्वीकारी है। जब एक रिपोर्टर ने उनसे उद्योगपति बनकर गन्ने की खरीद पर बात की तो उन्होंने कहा कि गन्ना सरकारी दामों से भी कम कीमत में मिल जाएगा। उन्होंने कहा, “अजी, बढ़िया है यहां तो…यहां तो इतना गन्ना है…और गन्ना बहुत ही ठीक रेट में मिल जाएगा…इतना गन्ना है…मिल इतना गन्ना नहीं ले पाता…इतना गन्ना नहीं ले पाता मिल…बढ़िया है, अच्छा गन्ना लो…पेमेंट नगद करो…मिल से भी कम रेट में मिल जाएगा….जो मिल का रेट है, जो मिल का 325 रु. (प्रति क्विंटल) का रेट है…वो तो उसकी बात है…तो कोल्हू का रेट 225 रु. मिल जाए, 250रु. मिल जाए…275रु. मिल जाए… ऐसी कोई बात नहीं”।

किसानों के साथ धोखा कर रहे हैं नरेश टिकैत

इतना ही नहीं, जब उद्योगपति बनकर गए रिपोर्टरों ने लीज पर जमीन लेने की बात कही तो नरेश टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों में जमीन के कब्जे होने का कोई जिक्र नहीं है लेकिन लोग जमीन लीज पर देने से हिचक रहे हैं। वहीं, जब इस रिपोर्टर ने जमीन लीज पर लेने की एक बड़ी कीमत देने की बात की, तो प्राइवेट और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का विरोध करने वाले राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत तुरंत अपनी जमीन लीज पर देने को राजी हो गए और उन्हें अपनी जमीन के हाथ से निकलने का भी कोई डर नहीं है। लेकिन छोटे किसानों को भ्रम की स्थिति में रखकर उनकी आड़ में यह अपनी दुकान चला रहे हैं।

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नरेश टिकैत का जी न्यूज द्वारा किया गया ये स्टिंग ऑपरेशन उनके दोहरे चरित्र को दर्शाता है। टिकैत भाई मुख्य तौर पर एमएसपी के नाम पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर जमीन हाथ से जाने के डर किसानों को दिखा रहे हैं… वही नरेश टिकैत अधिक कीमत के लिए अपने खेत भी लीज पर देने को तैयार हैं और एमएसपी से कम में गन्ने की फसल भी बिकवाने को राजी हैं। एमएसपी से कम में फसल बिकवाकर वो सरेआम किसानों के साथ धोखा करते हैं किन्तु उनके ढोंग किसान हित वाले हैं।

इस स्टिंग ऑपरेशन ने साबित कर दिया है कि टिकैत बंधु किसानों के बीच दुष्प्रचार फैलाकर अपने लिए एक राजनीतिक माहौल तैयार कर रहे हैं, जिसका यथार्थ से कोई सरोकार नहीं है, अपितु उनका उद्देश्य केवल राजनीतिक लाभ कमाने का ही है।

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