आज यदि राज्यों के बीच नीति संचालन कर, उन्हें अमल में लाने की प्रतियोगिता हो, तो सबसे पीछे केरल ही नज़र आएगा। फिर चाहे वो कोरोना नियंत्रण की बात हो या आर्थिक पक्ष को मजबूत कर राज्य को अच्छा शासन देने की, केरल सरकार इन सभी पहलुओं पर फेल साबित हुई है। वहीं दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश हर उस पक्ष पर मजबूती बनाये रखने में सफल रहा है जहाँ केरल फिस्ड्डी साबित हुआ। यही कारण है, जो अब केरल में स्थापित कंपनियां वहां सबकुछ बंद करके उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए कूच कर रही हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा में आलू के चिप्स के उत्पादन के लिए भारत में निर्मित पेप्सिको के सबसे बड़े संयंत्र का उद्घाटन किया l
ज्ञात हो कि, सितम्बर 2020 को पेप्सिको ने श्रमिक अशांति के कारण केरल में अपनी उत्पादन इकाई को बंद कर दिया था। इसके बाद यूपी में कंपनी के 814 करोड़ रूपये जैसी बड़ी लगत के निवेश ने सबको चौंका दिया है।
दरअसल, केरल में एजेंडा धारकों की सरकार के शासकीय रुपी व्यवहार से तंग आकर कई कम्पनियाँ अपना व्यवसाय समेटकर यूपी आने लगी हैं। पेप्सिको पहली कंपनी नहीं जिसने प्लांट के साथ पलायन किया है, इससे पूर्व केरल आधारित काइटेक्स समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक साबू एम जैकब ने यूपी और योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा था कि, यूपी देश का दूसरा शीर्षतम व्यापार-अनुकूल राज्य है और कम समय में राज्य ने व्यापार के मामले में बहुत कुछ हासिल किया है। जैकब भी एक ही बात से आहत हैं कि केरल का वातावरण व्यापार अनुकूल नहीं रहा है। यही कारण है क्यों सभी केरल को छोड़ उत्तर प्रदेश में अपने व्यवसाय को लेकर जाना चाहते हैं।
इस क्रम की शुरुआत पेप्सिको ने कर भी दी है। पेप्सिको द्वारा प्लांट को 814 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित किया गया है, जबकि शुरुआत में इसकी लगत 500 करोड़ निर्धारित की गई थी परन्तु बाद में इसे बढ़ा दिया गया । मथुरा में कोसी कलां फूड प्लांट, भारत में उत्पादन क्षेत्र में पेप्सिको के सबसे बड़े ग्रीनफील्ड निवेश का प्रतीक है। यह प्लांट राज्य में 1,500 से अधिक कामगारों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर देने का काम करेगा। पेप्सिको द्वारा इस प्लांट में महिला कर्मचारियों के लिए कम से कम 30% कोटा रखा गया है ताकि उन्हें भी सामान अवसर मिल सकें और अकेली महिला के कमाने के स्त्रोत खुल सकें। इसके अलावा, कोसी स्थित इस प्लांट के माध्यम से राज्य के 5,000 से अधिक स्थानीय किसानों को भी लाभ होगा क्योंकि पेप्सिको इंडिया का एक लक्ष्य स्थानीय किसानों से सालाना 1.50 लाख टन आलू खरीदने का भी है।
और पढ़ें- केरल vs यूपी: जब एक राज्य ने भारत की पोस्ट COVID ग्रोथ को बढ़ाया, दूसरा उसे रोक रहा
इस सबसे यह पता चलता है कि योगी सरकार ने जिस प्रकार राज्य में निवेश नीति को अमल में लाने का काम करा है, उससे भारतीय और गैर भारतीय कंपनियां बहुत प्रभावित हैं। यही कारण है कि सुदूर केरल जैसे राज्यों से अपनी इकाइयां बंद करते हुए कई कंपनियां उत्तर प्रदेश आने के लिए निकल पड़ी हैं। दूसरी ओर, केरल के कुशासन की झलक भी स्पष्ट दिख रही है कि किस प्रकार केरल न “तीन में है न तेराह में” अर्थात न ही उससे राज्य की बदहाल कोरोना स्थिति संभल रही है और न राज्य में बसे बसाए व्यवसाय।