कुछ ऐसे संस्थान या संगठन होते हैं, जो समाज में बदलाव लाने के नाम पर अपन एजेंडा थोपते रहते हैं। भारत में तो ऐसे संस्थानों की भरमार है, ये समाज में जागरुकता लाने के नाम पर देश की बहुसंख्यक हिन्दू आबादी के विरुद्ध अभियान चलाते रहते हैं, जिसका उदाहरण पेटा (PETA) भी है। PETA ने भारत में गौवंश के विरुद्ध अभियान चलाने से लेकर पटाखों के विरुद्ध तक, अपना एजेंडा थोपा है, यद्यपि इसे अन्य किसी भी धर्म के त्यौहारों से लेश मात्र भी फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे में अब इसको जब कोई भाव नहीं देता है, तो पेटा अपनी प्रासंगिकता बचाने के लिए फ्रूट पॉर्नोग्राफी एवं अश्लीलता भी फैलाने लगा है, और फलों के जरिए अश्लीलता को विस्तार दे रहा है।
People for the Ethical Treatment of Animals अर्थात पेटा… एक ऐसा संगठन जिसका गठन पशुओं को बचाने के साथ ही उनके अधिकार को विस्तार देने के लिए किया गया था, इसके विपरीत अगर अब ये कहें कि पेटा फ्रूट पॉर्नोग्राफी एवं अश्लीलता को प्रमोट करने लगा है, तो संभवतः गलत नहीं होगा, क्योंकि उसका हालिया कैंपेन तो कुछ इसी ओर इशारा कर रहा है। पेटा एक अभियान के तहत 3 सप्ताह का एक शाकाहारी चैलेंज नामक अभियान चला रहा है, जो कि कुछ हद तक समझ आता है, किन्तु इसके विपरीत पेटा फलों को किसी अश्लील खिलौने की तरह भी पेश कर रहा है।
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पेटा (PETA) ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उसने अलग-अलग फलों को लेकर आपत्तिजनक हरकतें की जा रही हैं, जो कि निश्चित तौर पर फ्रूट पॉर्नोग्राफी को विस्तार देने का संकेत देता है। इन फलों के साथ यौन संबंधी ऐसी हरकतें की जा रही हैं, जिन्हें पहली ही नजर में अश्लीलता की पराकाष्ठा माना जा सकता है। पेटा का संकेत है अश्लीलत को विस्तार देने का प्रतीत होता है, जो कि एक कथित समाजिक संगठन के शर्मनाक बात है। संगठन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ये एक ऐसा वीडियो शेयर किया था, जिसे बच्चों को देखने तक की इजाजत नहीं होनी चाहिए।
https://twitter.com/peta/status/1440434934095642631?s=20
अब सवाल ये उठता है कि पेटा को ऐसा वीडियो शेयर करने की आवश्यकता ही क्या थी? तो यहीं से शुरु होता है पेटा के प्रासंगिकता बनाने की कोशिश करना। दरअसल अगर पेटा के इतिहास को देखें तो इसने भारतीय संस्कृति के विरुद्ध सर्वाधिक अभियान चलाया है। पशु अधिकार की बात करने वाले पेटा ने ही गौवंश के विरुद्ध सर्वाधिक एजेंडा चलाया है। जल्लीकट्टु खेल से लेकर दिवाली में पटाखे जलाने के मुद्दे पर पेटा हिन्दू विरोधी ही रहा है। होली में पानी बचाने से लेकर अभियान में भी पेटा की विशेष भूमिका रही है।
ऐसे में लगातार हिन्दू विरोधी एजेंडे के कारण भारत में पेटा की लोकप्रियता कम होती जा रही हैं। भारत में लोग पेटा की बातों को तनिक भी भाव नहीं दे रहे हैं, ऐसे में अपनी अप्रासंगिकता के कारण असहज होने के चलते संभवतः अब पेटा अश्लीलता फैलाकर लोकप्रियता पाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके लिए पेटा द्वारा अब फ्रूट पॉर्नोग्राफी का सहारा भी लिया जा रहा है।